बिहार में शिक्षा कर्मियों को बड़ी सौगात: मिड-डे मील कुक से लेकर हेल्थ इंस्ट्रक्टर तक का वेतन दोगुना

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रसोइयों, रात्रि प्रहरियों तथा शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय को दोगुना करने का बड़ा एलान किया है. यह निर्णय राज्य सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत शिक्षा क्षेत्र को व्यापक स्तर पर मजबूती देने के लिए सभी स्तरों के कर्मचारियों को सामाजिक और आर्थिक सम्मान देने का प्रयास किया जा रहा है.;

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रसोइयों, रात्रि प्रहरियों तथा शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय को दोगुना करने का बड़ा एलान किया है. यह निर्णय राज्य सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत शिक्षा क्षेत्र को व्यापक स्तर पर मजबूती देने के लिए सभी स्तरों के कर्मचारियों को सामाजिक और आर्थिक सम्मान देने का प्रयास किया जा रहा है.

सीएम नीतीश ने अपने ट्वीट में स्पष्ट किया कि उनकी सरकार 2005 से ही शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है. अब इन कर्मियों की भूमिका को मान्यता देते हुए उन्हें आर्थिक रूप से सम्मान देने का निर्णय लिया गया है.

शिक्षा सुधार में दिख रहा है असर: नीतीश कुमार

सीएम नीतीश ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा कि 'नवम्बर 2005 में सरकार बनने के बाद से ही हमलोग शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वर्ष 2005 में शिक्षा का कुल बजट 4366 करोड़ रूपए था जो अब बढ़कर 77690 करोड़ रूपए हो गया है. बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति, नए विद्यालय भवनों के निर्माण एवं आधारभूत संरचनाओं के विकास से शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार हुआ है.

रसोइयों, प्रहरियों और अनुदेशकों को दोगुना मानदेय

मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में जिन कर्मियों की भूमिका अहम रही है-जैसे रसोइये, रात्रि प्रहरी और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक-उनकी मानदेय राशि में दोगुनी वृद्धि की जा रही है.

  • मध्याह्न भोजन रसोइया: ₹1650 से बढ़ाकर ₹3300 प्रति माह
  • रात्रि प्रहरी: ₹5000 से बढ़ाकर ₹10000 प्रति माह
  • शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक: ₹8000 से बढ़ाकर ₹16000 प्रति माह

वार्षिक वेतन वृद्धि में भी संशोधन

सिर्फ मासिक मानदेय ही नहीं, बल्कि वार्षिक वेतनवृद्धि को भी ध्यान में रखा गया है. पहले जहां वार्षिक वृद्धि ₹200 थी, अब इसे बढ़ाकर ₹400 कर दिया गया है. इससे कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि होगी और वे अपने कार्यों को अधिक उत्साह और समर्पण के साथ करेंगे.

चुनावी साल में बड़ा मास्टरस्ट्रोक

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह फैसला नीतीश कुमार का चुनावी मास्टरस्ट्रोक हो सकता है. एक ओर जहां इससे शिक्षा व्यवस्था में सहयोग करने वाले कर्मियों को राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर सरकार के प्रति सकारात्मक भावना का भी निर्माण होगा, जिसका असर चुनावी नतीजों में दिख सकता है.

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