चुनावी जंग का नया हथियार, रील्स-शॉर्ट्स से गरमाया बिहार, इंस्टा और यूट्यूब बने गेम चेंजर

Bihar Assembly Election 2025: बिहार चुनाव 2025 में मतदाताओं तक पहुंचने का सबसे असरदार तरीका अब सिर्फ रैली या पोस्टर-बैनर नहीं रहा बल्कि डिजिटल प्रचार बन गया है. खासकर 18-39 साल के युवा मतदाता जो बिहार के मतदाताओं का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, वह इंस्टाग्राम, यूट्यूब और व्हाट्सऐप पर सबसे ज्यादा एक्टिव है.;

( Image Source:  Meta AI and perplexity )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 12 Sept 2025 4:08 PM IST

Bihar Assembly Election 2025 Campaign: बिहार चुनाव 2025 में टिक टॉक बैन के बाद इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स और व्हाट्सएप ग्रुप प्रचार के सबसे असरदार और आक्रामक मंच बन गए हैं. सियासी दल और उनके नेता अब इन्हीं प्लेटफॉर्म के जरिए हर वर्ग के मतदाताओं से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

पहले चुनाव प्रचार शहरों तक सीमित था, लेकिन सस्ता डाटा और स्मार्टफोन ने डिजिटल कैम्पेन ने इसे गांवों से भी दूर ढाणी तक पहुंचा दिया है. अब ग्रामीण मतदाता भी शॉर्ट वीडियो और व्हाट्सएप फॉरवर्ड के जरिए राजनीति से जुड़ी जानकारी न केवल ले रहे हैं, बल्कि अपना ओपिनियन भी देने लगे हैं. इसका सीधा असर यह हुआ है कि अब नेता पारंपरिक जनसभा की जगह डिजिटल प्रचार करने लगे हैं. आइए, जानते हैं सोशल मीडिया पर अलग-अलग माध्यमों पर बिहार चुनाव प्रचार को लेकर क्या क्या चल रहा है.

 1. टिक टॉक बैन से बदला डिजिटल चेहरा

साल 2020 तक टिक टॉक चुनावी कैंपेन का बड़ा हथियार था. छोटे-छोटे वीडियो के जरिए नेता जनता तक अपना संदेश पहुंचाते थे, लेकिन टिक टॉक बैन के बाद राजनीतिक पार्टियों ने नए विकल्प तलाशे और रील्स-शॉर्ट्स ने इस कमी को पूरा कर दिया.

2. इंस्टाग्राम और यूट्यूब बने मेन 'अड्डा'

बिहार में 18-35 उम्र के मतदाताओं की औसत संख्या देश में सबसे ज्यादा है. यही वर्ग इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं. पार्टियां अब यहां ट्रेंडिंग म्यूजिक और वायरल वीडियो का इस्तेमाल कर युवाओं को जोड़ने का काम कर रही हैं.

3. व्हाट्सऐप बना बूथ स्तर पर प्रभावी जरिया

पार्टी कार्यकर्ता अब हर पंचायत और मोहल्ले में बने व्हाट्सएप ग्रुप्स से मतदाताओं को जोड़ रहे हैं. इससे लोकल स्तर पर उम्मीदवार की छवि मजबूत करने और विपक्षी प्रोपेगेंडा का जवाब देने में आसानी हो रही है.

4. पारंपरिक सभा बनाम डिजिटल कैम्पेन

जहां पहले नेता को गांव-गांव जाकर सभा करनी पड़ती थी, अब एक वायरल वीडियो लाखों तक पहुंच जाता है. यही वजह है कि डिजिटल कैम्पेन को पारंपरिक प्रचार से ज्यादा असरदार माना जा रहा है, जिसे हर वर्ग के महिला और पुरुष मतदाता पसंद कर रहे हैं.

5. भोजपुरी, मगही या मैथिली के रील्स होते हैं सबसे ज्यादा वायरल

बिहार में 18-35 उम्र के मतदाताओं की संख्या, देश में सबसे ज्यादा  है. बिहार चुनाव आयोग ने मतदाता सूची (जनवरी 2024 के आधार वर्ष मानते हुए 18 से 19, 20 से 29, और 30 39  आयु वर्ग के हिसाब से भी) डाटा तैयार किया है. Bihar CEO कार्यालय के मुताबिक बिहार में 20-29 आयु वर्ग में 1, 61,58,649 मतदाता हैं. 30-39 आयु वर्ग में  2, 00,23,414 और 18 से 19 आयु वर्ग में 9,26, 422 मतदाता हैं. यानि 18 से 35 आयुर्ग में सबसे ज्यादा 20 से 20 आयु वर्ग के हैं. यदि हम इन तीनों जोड़ (18-19, 20-29 और 30 से 39) तो 36 से 40 मिलियन यानी 3.6 से 4 करोड़ के करीब हैं. 

6. इस कंटेंट को सबसे ज्यादा देखते और शेयर करते हैं मतदाता

इंस्टाग्राम रील्स और फेसबुक पर लोग शॉर्ट वीडियो जो एंटरटेनिंग, संदेश देने वाला और और तंजिया रील्स जिसमें सियासी मैसेज हो, को देखना पसंद करते हैं. बिहार में लोकल बोली या डायलेक्ट पर आधारित भोजपुरी, मगही या मैथिली टच वाली रील्स सबसे तेजी से वायरल होती हैं. युवा वर्ग में शामिल मतदाता मीम-बेस्ड प्रचार और क्लिप्स व डायलॉग रीमिक्स के रूप में देखना ज्यादा पसंद करते हैं.

युवा वोटरों पर असर पर इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स वीडियो ज्यादा असरदार साबित हो रहे हैं. गांव में रहने वाले पारंपरिक वोटरों पर व्हाट्सएप और ब्रांडिंग और इमेज बिल्डिंग वाला प्रचार यूट्यूब लॉन्ग फॉर्म और फेसबुक रील्स और शॉर्ट्स ज्यादा इंगेजमेंट लाते हैं.

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