बिहार में अब पाला बदल का दौर, जानें किन-किन पार्टियों के MLAs और MPs ने किया खेला? किसने थामा किसका हाथ?
Bihar Chunav 2025: बिहार की सियासत में एक बार फिर ‘पाला बदल’ का दौर शुरू हो गया है. विधानसभा चुनाव से पहले कई विधायक और सांसद पुरानी पार्टी छोड़कर नए सियासी ठिकाने की तलाश में हैं. जबकि कईयों ने सूची जारी होने से पहले पासा बदल लिया है. जानिए, किस नेता ने छोड़ी अपनी पार्टी और थामा किसका हाथ?;
Bihar Elections 2025: बिहार की राजनीति में मौसम बदलने के साथ-साथ अब सियासी तापमान भी चरम पर पहुंच गया है. जैसे-जैसे 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रियाओं के दूसरे चरण करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे नेताओं का ‘पाला बदल’ का सिलसिला तेज हो गया है. कोई नेता टिकट की गारंटी के लिए नई पार्टी की राह पकड़ रहा है तो कोई सत्ता समीकरण देखकर राजनीतिक दांव खेल रहा है. आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी और कांग्रेस, सब में जोड़-तोड़ का खेल जारी है. इस बार का सियासी फेरबदल कई दलों की किस्मत तय करने वाला माना जा रहा है.
सियासी खेल करने वाले एमपी और एमएलए
- आरजेडी की नवादा से विधायक विभा देवी, राजौली से विधायक प्रकाश वीर, भभुआ से आरजेडी विधायक भरत बिंद और मोहनिया से आरजेडी विधायक संगीता कुमारी ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भरत बिंद और संगीता कुमार बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. विभा और प्रकाश की भी बीजेपी में जानी के संभावना है.
- इंडिया गठबंधन में शामिल चेनारी से कांग्रेस विधायक मुरारी प्रसाद गौतम भी इस्तीफा दे चुके हैं. इनकी भी बीजेपी में शामिल होने की संभावना है.
- चरण आनंद ने आरजेडी से इस्तीफा देकर जेडीयू में शामिल होने संकेत दिए हैं. वहीं तीन RJD विधायक जो फ्लोर टेस्ट के दौरान नीतीश सरकार का समर्थन किया था वे जेडीयू में शामिल हो सकते हैं.
- खगरिया जिले के परबत्ता से जेडीयू विधायक संजय कुमार तीन अक्टूबर को इस्तीफा देकर आरजेडी में शामिल हो चुके हैं. जेडीयू के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा भी इस्तीफा देकर RJD का दामन थाम चुके हैं. कुशवाहा को पूर्णिया सीट पर पप्पू यादव ने हराया था.
- अब पूर्णिया से बीमा भारती, पप्पू यादव और कुशवाहा एक ही प्लेटफार्म में नजर आ रहे हैं. तीनों के एक ही गठबंधन में होने से सीमांचल का सियासी समीकरण बिगाड़ सकता है.
इस्तीफे की वजह
विभा देवी और प्रकाश वीर ने अपने इस्तीफे का कारण RJD में बढ़ती अंतर्कलह और नेतृत्व में गहराए संकट बताया है. जबकि प्रकाश वीर ने आरोप लगाया कि उन्हें तेजस्वी यादव की यात्रा के दौरान आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे उन्हें ठेस पहुंची. उन्होंने कहा, " यात्रा के दौरान किसी ने भीड़ में से चिल्लाया तेजस्वी भैया प्रकाश वीर को हटाओ. इससे मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची. अब RJD में वापस जाने का कोई सवाल ही नहीं है.
हालांकि, दोनों नेताओं ने अभी तक औपचारिक रूप से BJP में शामिल होने की घोषणा नहीं की है, लेकिन उनके इस्तीफे और BJP के नेताओं के साथ उनकी हालिया मुलाकातों से यह संकेत मिलते हैं कि वे जल्द ही BJP का दामन थाम सकते हैं
पासा बदल का सियासी असर
सत्ता समीकरण - जब विधायक या सांसद अपनी पार्टी बदलते हैं, तो यह राज्य सरकारों या गठबंधनों की स्थिरता को सीधे प्रभावित कर सकता है.
चुनावी रणनीति - चुनाव से पहले पाला बदलना अक्सर संकेत देता है कि नेता अपनी जीत की संभावना बेहतर दल के साथ जोड़ना चाहते हैं.
पाला बदल कितना सही - मतदाताओं की नज़रों में यह सवाल खड़ा करता है. क्या ये बदलाव नैतिक हैं? क्या नेता अपनी प्रतिबद्धता निभाएंगे?
मीडिया और प्रचार - दल बदलने की खबरें मीडिया में सुर्खियाँ बनती हैं, जिससे दबाव बनता है कि विरोधी दलों को भी जवाब देना पड़े.
गठबंधन की मजबूती - दलों को भरोसेमंद सहयोगी चाहिए; ऐसे नेताओं की सौदेबाजी से गठबंधन में झटके आ सकते हैं.
नाराजगी का इजहार - चुनाव करीब होने पर कई नेता पार्टी बदलते नजर आते हैं. कम या ज्यादा ऐसा सभी बड़ी पार्टियों में चुनाव से ठीक पहले होता है. इसके पीछे मुख्य वहज टिकट मिलने की संभावना, स्थानीय समीकरण, जातीय-वोट बैंक और क्षेत्रीय दबाव होता है. फिर दल के भीतर अंदरूनी मतभेद, नीतिगत असहमति या नेतृत्व से नाराजगी भी होता है.