बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना नीतीश कुमार के लिए कैसे बन सकती है संजीवनी? किसे मिलेगा इसका लाभ
CM Mahila Rojgar Yojna: बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने चुनाव से ठीक पहले महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत की है. यह योजना न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में सियासी कदम माना जा रहा है, बल्कि नीतीश कुमार की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभा सकती है. रोजगार और स्वरोजगार से जुड़ी यह पहल आने वाले चुनावों में नीतीश कुमार लिए सियासी 'संजीवनी' साबित हो सकती है.;
Bihar CM Mahila Rojgar Yojna: बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी हमेशा से निर्णायक रही है. साइकिल योजना, आरक्षण और स्वयं सहायता समूह (SHG) मॉडल जैसे कदमों से नीतीश कुमार इसका लाभ पहले भी उठा चुके हैं. वह हर चुनाव में महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश करते रहे हैं. अब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का एलान कर विरोधी दलों को कहीं का नहीं छोड़ा है. बिहार चुनाव से ठीक पहले इस योजना के एलान से इस योजना का असर महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता से लेकर समाज में उनकी भूमिका तक में देखा जा रहा है. आइए, जानते हैं कि बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना सियासी नजरिए से कैसे अहम है.
क्या है CM महिला रोजगार योजना?मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना बिहार में नीतीश कुमार सरकार की एक नई पहल है, जिसे राज्य सरकार ने महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर देने और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के मकसद से शुरू किया है. इस योजना का मकसद प्रत्येक परिवार की एक महिला को यह अवसर देना कि वो अपनी पसंद का रोजगार शुरू कर आत्मनिर्भर बन सके. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके आर्थिक हालात सुधारना करना भी अहम वजह है.
प्रारंभिक सहायता के रूप में हर महिला को 10 हजार रुपये की पहली किस्त मिलेगी. ताकि महिला रोजगार शुरू कर सके. बाद में रोजगार शुरू होने और उसकी समीक्षा के आधार पर ₹2,00,000 तक की अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी जा सकती है.
योजना का लाभ उठाने के लिए जरूरी योग्यता
- 18 से 60 वर्ष की आयु वाली महिलाओं को इस योजना के लिए पात्र माना गया है.
- महिला आवेदक या उसका पति आयकरदाता की श्रेणी में नहीं होना चाहिए.
- आवेदक या उसका पति नियमित या संविदा सरकारी सेवा में नहीं होना चाहिए.
- योजना का लाभ लेने के लिए यह अनिवार्य है कि महिला जीविका नामक स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हो.
- यदि महिला अविवाहित है और उसके माता-पिता जीवित नहीं हों तो उसे एकल परिवार माना जाएगा.
क्या है सियासी महत्व
इस योजना का लक्ष्य महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है. इसके लिए महिलाओं को स्वरोजगार, स्किल डेवलपमेंट और छोटे उद्योगों के लिए वित्तीय सहायता और ट्रेनिंग दी जाएगी. इस योजना का लाभ उठाने वाली ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों की महिलाएं जनता दल यूनाइटेड के पक्ष में वोट डालने का मन बना सकती हैं. अगर ऐसा हुआ तो जेडीयू का वोट बैंक मजबूत होगा और उसका असर चुनाव परिणामों में भी हो सकता है.
नीतीश कुमार के लिए संजीवनी?
बिहार की राजनीति में महिलाएं निर्णायक मतदाता रही हैं. शराबबंदी से नीतीश को सियासी लाभ मिला था. नीतीश अब इस योजना के जरिए महिला की वोट का लाभ उठा पाएंगे. युवाओं और खासकर महिलाओं के बीच बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है. इस योजना के जरिए महिलाएं खुद को आत्मनिर्भर बना पाएंगी. इतना ही नहीं, हाल के राजनीतिक उतार-चढ़ाव में नीतीश की छवि डगमग गई थी. यह योजना नीतीश कुमार को फिर से महिला हितैषी नेता के रूप में स्थापित कर सकता है. सेल्फ हेल्प ग्रुप और पंचायत के जरिए योजना का लाभ सीधे गांवों में रहने वाली महिलाओं तक पहुंचेगा.
महिला रोजगार योजना के अहम पहलू
- महिलाओं को स्वरोजगार के लिए 2.5 लाख रुपये तक की सहायता.
- स्किल ट्रेनिंग सेंटर की सुविधा.
- स्टार्टअप और छोटे उद्योगों को बढ़ावा.
- महिला स्वयं सहायता समूहों को अतिरिक्त सहायता.
- 5 लाख से ज्यादा महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य.
कितना होगा इसका असर?
अगर बिहार मुख्यमंत्री रोजगार योजना जमीनी स्तर पर सही तरह से लागू हुई तो महिला वोटरों का बड़ा हिस्सा नीतीश कुमार के पक्ष में जा सकता है. RJD और BJP जैसी पार्टियों के लिए इसका तोड़ निकालना मुश्किल होगा, क्योंकि महिला रोजगार और आत्मनिर्भरता हर वर्ग की जरूरत है. महिलाओं के वोट का झुकाव नीतीश कुमार के पक्ष में गया तो विधानसभा चुनाव NDA की स्थिति काफी मजबूत हो सकती है. ऐसे में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना नीतीश कुमार के लिए केवल विकास कार्यक्रम नहीं बल्कि एक चुनावी ब्रह्मास्त्र बन सकती है. अगर यह जमीनी स्तर पर असर दिखाती है तो 2025 में यह योजना उन्हें सत्ता में वापसी दिलाने वाली 'संजीवनी' साबित हो सकती है.