बंशीधर ब्रजवासी ने ऐसा लड़ा चुनाव...नीतीश-तेजस्वी को दी मात, अब बन गए शिक्षकों के बड़े नेता

बिहार विधान परिषद की तिरहुत स्नातक सीट पर उपचुनाव हुए. इसमें शिक्षक नेता व निर्दलीय उम्मीदवार बंशीधर ब्रजवासी ने बड़ी जीत हासिल की है. ब्रजवासी ने जनसुराज, राजद और जदयू के प्रत्याशी को हरा दिया है. ब्रजवासी को कुल 27724 वोट मिले हैं और वह तिरहुत की लड़ाई जीतने में सफल रहे. यह सीट पहले जेडीयू की थी जो अब चौथे नंबर पर आ गई है. वहीं आरजेडी तीसरे नंबर पर है.;

( Image Source:  @BanBihari12 )

Banshidhar Brajwasi: हाल में बिहार विधान परिषद की तिरहुत स्नातक सीट पर उपचुनाव हुए. चुनाव के नतीजों से बिहार की राजनीति में हलचल देखने को मिली है. इसमें शिक्षक नेता व निर्दलीय उम्मीदवार बंशीधर ब्रजवासी ने बड़ी जीत हासिल की है. जिसमें बड़ी पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बंशीधर ब्रजवासी ने जनसुराज, राजद और जदयू के प्रत्याशी को हरा दिया है. ब्रजवासी को कुल 27724 वोट मिले हैं और वह तिरहुत की लड़ाई जीतने में सफल रहे. यह सीट पहले जेडीयू की थी जो अब चौथे नंबर पर आ गई है. वहीं आरजेडी तीसरे नंबर पर है.

बंशीधर ब्रजवासी की प्रचंड जीत

तिरहुत उपचुनाव में बंशीधर ब्रजवासी भारी बहुमत हासिल हुआ है. जीत के बाद तिरहुत मंडल के कमिश्नर व आरओ एम सरवनन ने उन्हें जीत का सर्टिफिकेट सौंपा. सरवनन ने बताया कि इस चुनाव में बंशीधर ब्रजवासी जीते हैं, उन्हें कुल 27724 वोट आए हैं. ब्रजवासी ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि ये जीत संघर्ष की जीत है. सरकार ने शिक्षकों को बहुत प्रताड़ित किया है. इसका जवाब शिक्षकों ने दिया है.

शिक्षकों के लिए उठाई आवाज

ब्रजवासी हमेशा शिक्षा विभाग और शिक्षकों से जुड़े मामलों पर अपनी बात रखते आए हैं. जिससे वह चर्चा में आ गए. वह परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उन्होंने MA और B Ed की पढ़ाई करने की और 2005 में नियोजित शिक्षक के रूप में नौकरी ज्वाइन की, लेकिन केके पाठक ने उन्हें निकाल दिया. इसके बाद उन्होंने शिक्षकों के हितों के लिए आवाज उठाई. ब्रजवासी को शिक्षकों ने चुनाव लड़ने के लिए मनाया. वह बिहार में बड़े शिक्षकों के नेता के रूप में जाने जाते हैं.

पहले कर चुके हैं कई आंदोलन

बंशीधर ब्रजवासी पहले शिक्षक से जुड़े कई आंदोलन में शामिल हो चुके हैं. साल 2013 में पटना शिक्षक आंदोलन पर लाठीचार्ज है. इसके बाद बंशीधर गिरफ्तार हुए. 2015 में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग को लेकर रथ यात्रा निकाली थी. उन्होंने केके पाठक के खिलाफ लगातार बयानबाजी की. बता दें कि ब्रजवासी मुजफ्फरपुर इलाके की राजनीति में प्रभावी जाति हैं. उनके खिलाफ दो केस भी लंबित हैं. जिनमें सरकारी सेवक के काम में बांधा डालने का आरोप लगाया गया है.

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