'Perverted Mind, Threat To Girls': पाकिस्तान समर्थक और महिलाओं पर अश्लील पोस्ट डालने वाले असम के प्रोफेसर पर भड़का सुप्रीम कोर्ट
असम के एक प्रोफेसर पर सोशल मीडिया पर पाकिस्तान समर्थक बयान और महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट डालने के आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की मानसिकता न केवल विकृत है, बल्कि समाज और खासकर महिलाओं के लिए एक गंभीर खतरा भी है.;
सुप्रीम कोर्ट ने असम के एक सरकारी कॉलेज के प्रोफेसर मोहम्मद जॉयनल अब्दीन पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि वह 'एक विकृत मानसिकता' के व्यक्ति हैं, जो इंटरनेट का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और लड़कियों के लिए खतरा बन चुके हैं. कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब प्रोफेसर ने अपने खिलाफ चल रहे देशविरोधी और अश्लील पोस्ट के मामलों में जमानत की मांग की.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. यह मामला असम के प्रोफेसर द्वारा सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के समर्थन में और महिलाओं पर अश्लील पोस्ट डालने से जुड़ा है.
पाकिस्तान समर्थक पोस्ट बना विवाद की जड़
अब्दीन पर आरोप है कि उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया था - “हम पाकिस्तानी नागरिकों के भाइयों के साथ हैं और आगे भी रहेंगे.” इस पोस्ट में उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति का भी समर्थन किया था, जिन्होंने पाकिस्तान का पक्ष लिया था. इस पोस्ट के बाद असम पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और देशविरोधी गतिविधियों (BNS की धारा 152) के तहत केस दर्ज किया. ट्रायल कोर्ट ने केस चार्ज-फ्रेमिंग के चरण में होने के कारण उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन हाईकोर्ट ने भी जमानत नहीं दी. हाईकोर्ट ने कहा कि पोस्ट ऐसे समय में डाला गया जब भारत-पाकिस्तान संबंध तनावपूर्ण थे और यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के समर्थन में था. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा कदम भारत के नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों (Article 51A) के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और सख्त टिप्पणी
इसके बाद प्रोफेसर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनके वकील ने कहा कि अब्दीन एक सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर हैं, जिन्हें निलंबित किया जा चुका है और वे 179 दिन जेल में बिता चुके हैं. राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि अब्दीन के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज हैं - एक देशविरोधी पोस्ट से जुड़ी और दूसरी POCSO ऐक्ट के तहत, जिसमें उन पर लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ अश्लील और अभद्र पोस्ट करने के आरोप हैं.
जस्टिस सूर्यकांत ने क्या कहा?
“आपने बच्चों और परिपक्व महिलाओं तक को नहीं छोड़ा. आप हर तरह की घटिया हरकतें कर रहे हैं और फिर कहते हैं कि कानून से ऊपर हैं? आप किस तरह के शिक्षक हैं?” आप एक विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति हैं. ऐसे व्यक्ति को कॉलेज में प्रवेश की भी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. आप लड़कियों के लिए खतरा हैं. आपने ‘प्रोफेसर’ शब्द की गरिमा पर कलंक लगाया है.”
‘परिपक्वता की कमी’ का तर्क
प्रोफेसर की ओर से दलील दी गई कि यह “अपरिपक्वता” का मामला है, न कि जानबूझकर किया गया अपराध. उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दी थी. बचाव पक्ष ने बताया कि अब्दीन की दो नाबालिग बेटियां हैं और ट्रायल कोर्ट में सुनवाई इसलिए नहीं हो रही क्योंकि मई से वहां कोई प्रेसीडिंग ऑफिसर नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के वकील को एक हफ्ते में निर्देश प्राप्त करने को कहा है और गुवाहाटी हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि वह संबंधित अदालत में जल्द से जल्द एक प्रेसीडिंग ऑफिसर की नियुक्ति पर विचार करे ताकि मुकदमे की सुनवाई आगे बढ़ सके. कोर्ट ने कहा, “अगर प्रेसीडिंग ऑफिसर उपलब्ध नहीं है, तो मुख्य न्यायाधीश इस मामले को प्राथमिकता के साथ लें और बिना देरी के उस कोर्ट में अधिकारी की नियुक्ति करें या फिर केस को किसी अन्य अदालत में ट्रांसफर करें.”
अदालत हो गई है सख्त
मोहम्मद जॉयनल अब्दीन का मामला सिर्फ देशविरोधी पोस्ट तक सीमित नहीं है. उन पर सोशल मीडिया पर महिलाओं के खिलाफ भद्दे और अभद्र कमेंट करने के गंभीर आरोप भी हैं. सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों से यह साफ संकेत मिलता है कि अदालत इंटरनेट पर फैल रही नफरत और अश्लीलता को हल्के में लेने के मूड में नहीं है. यह मामला इस बात की भी चेतावनी है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करने वालों को अब अदालत से कोई राहत नहीं मिलने वाली.