WTC Final: 27 साल बाद मिली जीत और हट गया चोकर्स का टैग, मारक्रम के चेहरे पर लौटी मुस्कान
साउथ अफ्रीका ने 27 साल बाद आईसीसी ट्रॉफी जीतकर अपने ऊपर लगे चोकर्स के दाग को मिटा दिया है. टेम्बा बावुमा की कप्तानी में साउथ अफ्रीका ने फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीत ली है. एडेन मारक्रम ने दूसरी पारी में शानदार शतक लगाया. उन्होंने 136 रन की मैच जिताऊ पारी खेली.;
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फ़ाइनलः दक्षिण अफ़्रीका vs ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया: 212 और 207
दक्षिण अफ़्रीकाः 138 और 282/5
नतीजाः ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियन बनी दक्षिण अफ़्रीकी टीम.
दक्षिण अफ़्रीका वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीतने वाली, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बाद केवल तीसरी टीम बनी.
ये मुकाबला था क्रिकेट के अलग-अलग फॉर्मेट के 10 बार के वर्ल्ड चैंपियन और उस टीम के बीच जिसे बार-बार बड़े मुकाम हासिल करने के मुहाने पर पहुंचकर फिसलने के कारण चोकर्स का टैग हासिल था, लेकिन इस बार तमाम दावे, आंकड़े और समीकरणों के बावजूद 'चोकर्स' नहीं चूके और बलशाली कंगारुओं को परास्त कर 27 साल बाद चैंपियन बन ही गए. लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर वर्ल्ड चैंपियनशिप के फ़ाइनल में एक तरफ ऑस्ट्रेलिया थी तो दूसरी ओर दक्षिण अफ़्रीका.
वनडे वर्ल्ड कप छह बार, चैंपियंस ट्रॉफ़ी दो बार, टी20 वर्ल्ड कप एक बार और पिछले बार के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीत कर ऑस्ट्रेलिया इस टूर्नामेंट की हॉट फ़ेवरेट थी. तो अभी पिछले साल ही टी20 वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में छह विकेट हाथ में होते हुए केवल 30 गेंदों पर 30 रन बनाने का लक्ष्य सामने होने के बावजूद भारत से हारने वाली दक्षिण अफ़्रीका अपने चोकर्स वाले टैक के कारण मुक़ाबले में ही नहीं आंकी जा रही थी.
ऑस्ट्रेलिया ने जब पहली पारी में 212 रन बनाए तो लगा कि दक्षिण अफ़्रीका ने तो कमाल कर दिया है लेकिन जब वो ख़ुद 138 रन पर ही ऑल आउट हो गए तो वही चोकर्स वाली बात फिर याद आने लगी क्योंकि कंगारुओं ने पहली पारी में 74 रनों की बढ़त बना ली थी.
कंगारुओं की दूसरी पारी भी जब पूरी तरह ढहने के कगार पर थी और स्कोरबोर्ड 73/7 दिखा रहा था तो चोकर्स का टैग लिए दक्षिण अफ़्रीकी टीम ने उनके तीन पुछल्ले बल्लेबाज़ों को आउट करने में 130 रन खर्च कर दिए. आखिर लक्ष्य मिला कि अगर चोकर्स का टैग हटाना है तो 282 रन बनाने ही होंगे. ये इस मैदान पर चौथी पारी में चेज़ किया गया दूसरा ऐसा विशाल स्कोर था जो बिड़ले ही बनता है. लॉर्ड्स पर चेज़ का रिकॉर्ड वेस्ट इंडीज़ के नाम है जो उसने 1984 में 342 का स्कोर बना कर हासिल किया था.
मजबूत हो इरादा तो सफलता के रास्ते...
लेकिन तीसरे दिन विशाल 282 रनों के चेज़ का नेतृत्व दक्षिण अफ़्रीका के क्रिकेट की सर्वेश्रेष्ठ टेस्ट पारी खेलने के इरादे से उतरे एडेन मारक्रम ने किया. 136 रन बनाए, एक ऐसी अद्भुत पारी खेली जिसके मुरीद न केवल दर्शक और दक्षिण अफ़्रीकी फ़ैन हुए बल्कि दुनिया के हर कोने का बसा क्रिकेट को चाहने वाला हर वो शख्स हुआ जिसने भी इसे देखा. टेम्बा बवुमा ने कप्तानी पारी खेली और मारक्रम के साथ डटकर तीसरे विकेट लिए 147 रन जोड़े, एक ऐसी साझेदारी जिसने बिल्कुल ठीक समय पर इस जीत की सबसे बड़ी बुनियाद रखी.
हालांकि, इस ऐतिहासिक जीत की दहलीज से कुछ क़दम पहले मारक्रम आउट हो गए तो निराश दिखे, जो उन्हें होना नहीं चाहिए था. उन्होंने अपना काम कर दिया था, जो मैदान में एक एक कंगारू खिलाड़ी बखूबी समझ रहे थे. इसी वजह से ट्रेविस हेड ने उनके सम्मान में कैच को सेलिब्रेट तक नहीं किया और सभी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने बधाई देकर उन्हें मैदान में रुख़सत किया, तो स्टेडियम में बैठा हर शख़्स भी अपनी सीट से उठा और तालियों की गर्जना तब तक चलती रही जब तक कि बल्ला हाथ में उठाए सभी का अभिवादन स्वीकार करते मारक्रम पवेलियन न पहुंच गए.
सच्ची लगन और ख़ुद पर यकीन
मारक्रम 200 मिनट तक क्रीज़ पर एक छोर संभाले रखे और 136 रनों की पारी में सिंगल्स और डबल्स के साथ 14 चौके जड़े. उनकी पारी संयमित रहते हुए कुछ आक्रामक शॉट्स का ऐसा ग़जब का मिश्रण थी जो जो मौक़े के लिहाज से बिल्कुल सटीक और उतनी ही असरदार हुई, इस दौरान उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था. यहां तक कि जब उन्होंने शतक बनाया तब भी उनके चेहरे कोई मुस्कुराहट नहीं दिखी क्योंकि उन्हें पता था कि मंज़िल अभी बाकी है.
मैच के तीसरे दिन जब कप्तान बवुमा के साथ वो नाबाद शतक जमा कर पवेलियन लौटे तो निश्चित रूप से उन्हें पता था कि उन्होंने क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक दोबारा लिखने के लिए मजबूर कर दिया है और एक ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रहे हैं. लेकिन जब चौथे दिन की सुबह केवल 18वीं गेंद पर कप्तान भी आउट हो गए तो विकेट पर टिके रहने का उनकी ज़िद ऐसे दृढ़ संकल्प में बदल गया जिसे पैट कमिंस की धारदार गेंदबाज़ों की पूरी सेना भी डिगा नहीं सकी.
लक्ष्य पर एकाग्रता
कप्तान बवूमा 217 के स्कोर पर आउट हुए थे. नए बल्लेबाज़ ट्रिस्टन स्टब्स आए और 8 रन बना कर वो भी वापस चले गए लेकिन मारक्रम एक मज़बूत दीवार की तरह डटे रहे. हालांकि जब स्कोर 276 हुआ और जीत केवल छह रन दूर थी तब मैदान में जबरदस्त पराक्रम दिखा कर ख़ुद मारक्रम भी आउट हो गए.
कुछ ही पलों बाद जब दक्षिण अफ़्रीका को जब ऐतिहासिक जीत मिली तब पिच पर मारक्रम को होना चाहिए था. इस जीत को स्टेडियम में और पूरी दुनिया में टीवी पर देखते, झूमते-नाचते दर्शकों को राहत तब मिली जब उन्होंने मैच के बाद मारक्रम को मुस्कुराते, हंसते और खिलखिलाते देखा. हो भी क्यों न, दक्षिण अफ़्रीका की इस शौर्यगाथा में मारक्रम का यह पराक्रम किसी भी महान खिलाड़ी के बड़े से बड़े प्रदर्शन के सामने एवरेस्ट जैसा विशाल जो बन गया, साथ ही ‘चोकर्स’ का टैग भी हट गया.