बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट पर थम नहीं रही बहस, पूर्व चयनकर्ता भी उतरे विरोध में
जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट पर बहस तेज़ हो गई है. पूर्व चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर और संदीप पाटिल ने बीसीसीआई की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि बुमराह को आईपीएल से ज्यादा इंग्लैंड टेस्ट सिरीज़ को प्राथमिकता देनी चाहिए थी. वेंगसरकर ने मुकेश अंबानी से बात कर बुमराह को टेस्ट खेलने के लिए तैयार करने की बात कही, जबकि पाटिल ने खिलाड़ियों को देश के लिए पूर्ण समर्पण की नसीहत दी. शेन बॉन्ड ने भी चोट के खतरे के कारण वर्कलोड मैनेजमेंट की ज़रूरत बताई.;
पिछले नौ महीने से जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट को लेकर जो चर्चा चल रही है, उसने थमने का नाम तो दूर, बल्कि अब और ज़ोर पकड़ लिया है. इसमें सबसे ताज़ा नाम 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के दो क्रिकेटर और मुख्य चयनकर्ता की भूमिका निभा चुके दिलीप वेंगसरकर और संदीप पाटिल का है. दिलीप वेंगसरकर ने साफ़ लहजे में कहा है कि बुमराह के वर्कलोड का प्रबंधन करने में बीसीसीआई ने चूक की है, तो संदीप पाटिल ने भी बीसीसीआई और बुमराह पर निशाना साधा है.
वेंगसरकर का कहना है कि बुमराह को आईपीएल-2025 के बजाय भारत-इंग्लैंड टेस्ट सिरीज़़ को प्राथमिकता देनी चाहिए थी. तो संदीप पाटिल ने जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट की नीति को लेकर बीसीसीआई के मौजूदा प्रबंधन पर निशाना साधा है. बीसीसीआई ने यह तय किया था कि बुमराह इंग्लैंड में केवल तीन टेस्ट मैच ही खेलेंगे और हुआ भी ऐसा ही. बुमराह हेडिंग्ले, लॉर्ड्स औऱ ओल्ड ट्रैफ़र्ड टेस्ट खेले.
वेंगसरकर ने एक अंग्रेज़ी के अख़बार को दिए इंटरव्यू में कहा, "बीसीसीआई और चयनकर्ताओं को मुकेश अंबानी को यह समझाने की ज़रूरत थी कि बुमराह को क्यों आईपीएल नहीं खेलना चाहिए इंग्लैंड टेस्ट स़िरीज़ में देश के लिए उनका खेलना ज़रूरी था न कि आईपीएल में फ़्रेंचाइज़ी के लिए. हमारे पास एक फ़िट औऱ सभी मैच खेलने वाला बुमराह चाहिए था जो इस ऐतिहासिक सिरीज़ को भारत की झोली में डाल सके. तो अगर मैं चयनकर्ता होता तो मुंबई इंडियंस के मालिक मुकेश अंबानी और बुमराह दोनों को समझा देता कि इंग्लैंड सिरीज़ के लिए आईपीएल मिस करना या फिर कम मैच खेलना बेहतर होगा. मुझे यकीन है कि वो मान जाते.”
संदीप पाटिल ने की बीसीसीआई के मौजूदा प्रबंधन की आलोचना
वहीं संदीप पाटिल कहते हैं कि उनके जमाने में क्रिकेट बोर्ड ने ऐसे कार्यभार प्रबंधन के उपायों पर कभी विचार नहीं किया. पाटिल ने कहा, "मुझे हैरानी है कि बीसीसीआई इन सब बातों पर कैसे राज़ी हो रहा है? क्या फ़िज़ियो कप्तान से अधिक, मुख्य कोच से भी अधिक अहम है? क्या अब हम उम्मीद करें कि चयन समिति की बैठकों में फ़िज़ियो बैठेगा? क्या वही फैसला लेगा?" उनका कहना है कि राष्ट्रीय टीम के लिए चुने जाने पर खिलाड़ियों को अपना सब कुछ झोंकने के लिए तैयार रहना चाहिए.
गावस्कर-कपिल ने कभी ब्रेक नहीं लिया
पाटिल ने कहा, "जब आप अपने देश के लिए चुने जाते हैं, तो आप अपने देश के लिए मर मिटते हैं. आप एक योद्धा हैं. मैंने सुनील गावस्कर को टेस्ट मैच के पांचों दिन बल्लेबाज़ी करते देखा है, कपिल देव को टेस्ट मैचों के ज़्यादातर दिनों में गेंदबाज़ी करते देखा है, यहां तक कि वो नेट्स में भी हमें गेंदबाज़ी करते थे. उन्होंने कभी ब्रेक नहीं लिया, कभी शिकायत नहीं की और 16 साल से भी अधिक समय तक लगातार बिना थके खेलते रहे. ख़ुद मैंने 1981 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर सिर में चोट लगने के बावजूद अगला टेस्ट मैच नहीं छोड़ा था."
पाटिल का कहना है कि आजकल के खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं और चिकित्सा सहायता मिला करती हैं लेकिन पिछली पीढ़ी के खिलाड़ियों के पास ये सुविधाएं नहीं थीं फिर भी वो चोट के बावजूद खेलते रहते थे और देश के लिए ऐसा करके बहुत ख़ुश होते थे. पाटिल ने कहा, "आजकल के खिलाड़ियों के पास सारी सुविधाएं हैं. हमारे खेलने के दिनों में ऐसे रिहैब कार्यक्रम नहीं हुआ करते थे. कई बार, चोटों के बावजूद हम खेलते रहे, हम देश के लिए खेलकर ख़ुश थे."
ऑस्ट्रेलिया- बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सिरीज़ में बुमराह
बुमराह ने इस साल ऑस्ट्रेलिया में खेली गई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी टेस्ट सिरीज में सबसे सफल गेंदबाज़ थे. उन्होंने वहां सबसे अधिक 32 विकेट चटकाए थे. जसप्रीत बुमराह ने ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर पांच टेस्ट मैचों में 151.2 ओवर गेंदबाज़ी की और किसी भी गेंदबाज़ से अधिक 32 विकेट चटकाए. किसी भी गेंदबाज़ से अधिक 39 ओवर मेडेन डाले. किसी भी गेंदबाज़ से बेहतरीन, महज़ 13.06 की औसत से गेंदबाज़ी की. पर्थ टेस्ट में 30 ओवर, 8 विकेट. एडिलेड टेस्ट में 24 ओवर, 4 विकेट. ब्रिसबेन टेस्ट में 34 ओवर, 8 विकेट. मेलबर्न टेस्ट में सर्वाधित 52.2 ओवर, 9 विकेट. सिडनी टेस्ट में 10 ओवर, 2 विकेट और चोटिल हो गए.
जब सिडनी में अंतिम टेस्ट मैच चल रहा था उसी दौरान बुमराह की पीठ चोटिल हो गई. उन्हें स्कैन के लिए ले जाया गया. शुरुआत में पता चला की उन्हें पीठ में दर्द है, लेकिन वो स्ट्रेस से जुड़ी चोट निकली. सिडनी में बुमराह 10 ओवरों में दो विकेट ले चुके थे, पर इस चोट की वजह से वो दोबारा मैदान पर नहीं लौटे और टीम इंडिया वो मैच हार गई. साथ ही उस सिरीज़ को भी 1-3 से गंवा बैठी.
वर्कलोड मैनेजमेंट इज़ बुल...
तभी बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट की चर्चा शुरू हुई थी. हालांकि 1983 वर्ल्ड कप के फ़ाइनल मैच में गॉर्डन ग्रीनिज़ का विकेट चटकाने वाले मध्यम गति के गेंदबाज़ बलविंदर सिंह संधू ने उसी दौरान इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी. संधू ने कहा, "वर्कलोड? उन्होंने कितने ओवर गेंदबाज़ी की? 150 से कुछ अधिक, ठीक. लेकिन कितने मैचों या इनिंग्स में? पांच मैच या नौ पारियों में, सही कहा न? यानी यह औसतन 16 ओवर प्रति पारी या 30 ओवर प्रति मैच हुआ. और एक पारी में उन्होंने जितने भी ओवर डाले वो लगातार नहीं डाले गए थे. उन्होंने स्पेल में गेंदबाज़ी की है. तो क्या यह उतना अधिक वर्कलोड है? वर्कलोड मैनेजमेंट बुल... है. यह ऑस्ट्रेलियाई शब्द है, जिसे क्रिकेट में ऑस्ट्रेलियाई लेकर आए. वर्कलोड मैनेजमेंट कुछ नहीं है. मैं इससे सहमत नहीं हूं. मैं क्रिकेट के उस दौर से आता हूं जहां क्रिकेटर अपने बॉडी की सुनते थे किसी और की नहीं. मैं इस वर्कलोड मैनेजमेंट के विचार से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं."
लेकिन शेन बॉन्ड का है अलग नज़रिया...
जब इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलियाई दौरे से चोटिल होकर बुमराह भारत लौटे तो उन्हें बेंगुलुरु स्थित बीसीसीआई के सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस में रिहैब से गुज़रना पड़ा था. इस वजह से वो चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2025 में भी नहीं खेल सके थे. हालांकि स्वस्थ होने के बाद जब बुमराह आईपीएल में खेले तो उसकी भी खूब आलोचना हुई. कइयों ने माना कि प्रीमियर लीग में खेलना उनकी मजबूरी है. आईपीएल के पहले से ही बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट पर चर्चा शुरू हो गई थी. तो आईपीएल के बाद न्यूज़ीलैंड के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ शेन बॉन्ड ने भी कहा था कि अगर बुमराह को उसी जगह पर दोबारा चोट लगती है तो उनका क्रिकेट करियर ख़त्म हो सकता है.
दरअसल बॉन्ड भी बुमराह की तरह ही 29 साल की उम्र में चोट की वजह से अपनी पीठ की सर्जरी करवा चुके हैं. उसके बाद वो अपना करियर 34 साल कीउम्र तक खींचने में सफल रहे थे. हालांकि उन्होंने इसके बाद अचानक सभी प्रारूपों से संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी. शेन बॉन्ड ने ये भी कहा था कि बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट किया जाना ज़रूरी है. तब बॉन्ड ने यह ज़ोर देते हुए कहा था कि आईपीएल के तुरंत बाद वर्ल्ड टेस्ट सिरीज़ में इंग्लैंड में खेलना बुमराह के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है, लिहाजा उन्हें केवल दो टेस्ट मैचों में ही खिलाएं क्योंकि अगर उन्हें दोबारा उसी जगह चोट लगी तो उनका करियर समाप्त हो सकता है.