The Oval : ये दमदार रिकॉर्ड्स और हर टेस्ट सिरीज का अंतिम मैच, आखिर क्यों खास है यह ऐतिहासिक मैदान?

लंदन का द ओवल मैदान क्रिकेट इतिहास का एक ऐतिहासिक केंद्र है, जहां 1880 में इंग्लैंड में पहला टेस्ट मैच खेला गया था. यह मैदान एशेज़ सिरीज़ की शुरुआत, डॉन ब्रैडमैन की अंतिम पारी, और टेस्ट क्रिकेट के कई बड़े रिकॉर्ड्स का गवाह रहा है. यहां फुटबॉल के एफ़ए कप फ़ाइनल और रॉक कॉन्सर्ट्स भी हुए हैं. 2004 में इसका पुनर्निर्माण हुआ और 2017 में यह टेस्ट क्रिकेट की 100वीं मेज़बानी करने वाला प्रतिष्ठित मैदान बना.;

( Image Source:  X/@wordonic )
By :  अभिजीत श्रीवास्तव
Updated On : 1 Aug 2025 12:52 PM IST

भारत और इंग्लैंड के बीच तेंदुलकर-एंडरसन सिरीज़ का अंतिम टेस्ट मैच लंदन के द ओवल मैदान पर खेला जा रहा है. द ओवल का क्रिकेट के इतिहास से बहुत गहरा नाता रहा है. लंदन का द ओवल क्रिकेट का वो ऐतिहासिक मैदान है जहां इंग्लैंड में पहली बार टेस्ट मैच खेला गया था. जी हां, ये वही मैदान है जहां 1880 में पहली बार इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट खेला गया था और जिसमें इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराया और उसी मैच में इस मैदान ने क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी डब्ल्यूजी ग्रेस का डेब्यू शतक भी देखा.

तब से अब तक यह परंपरा चली आ रही है कि इंग्लैंड में जब भी कोई टेस्ट सिरीज़ होती है तो उस सिरीज़ का समापन इसी मैदान पर खेले गए टेस्ट मैच से होता है. ठीक उसी तरह जिस तरह भारत के ख़िलाफ़ खेले जा रहे पहले तेंदुलकर-एंडरसन सिरीज़ का समापन हो रहा है.

एशेज़ टेस्ट सिरीज़ का आगाज़

इतना ही नहीं 1880 में पहला टेस्ट मैच खेले जाने के दो साल बाद 1882 के अगस्त महीने में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली एशेज़ क्रिकेट सिरीज़ का आगाज़ भी इस मैदान पर हुआ था. लेकिन जब पहली सिरीज़ ही इंग्लैंड की टीम हार गई तो ‘द स्पोर्टिंग टाइम्स’ ने अपने मशहूर मज़ाकिया अंदाज़ में शोक संदेश छापा. जिसमें लिखा गया-

इंग्लिश क्रिकेट की याद में...

जो 29 अगस्त 1882 को द ओवल के मैदान पर दिवंगत हो गया,

इसे याद करके बहुत से दोस्त और जानने वाले दुखी हैं.

ईश्वर उसकी (अर्थात़ इंग्लिश क्रिकेट की) आत्मा को शांति दे.

नोट: इसका अंतिम संस्कार किया जाएगा और राख ऑस्ट्रेलिया ले जाई जाएगी.

.... और इसी के साथ ही इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज़ टेस्ट सिरीज़ की एक-से-बढ़कर-एक मज़ेदार कहानियों की शुरुआत हुई. तब से लेकर अब तक, 180 साल पुराना यह मैदान कई ऐतिहासिक क्रिकेट मैचों का गवाह बन चुका है. लॉर्ड्स कई मायने में लंदन का ऐतिहासिक मैदान कहलाता है, पर द ओवल पर रची गई क्रिकेट की कई कहानियों ने इसे इतिहास में कमोबेश वहीं दर्जा दिया है जो लॉर्ड्स को हासिल है.

 

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टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी साझेदारी

1902 में इंग्लैंड ने यहां गिलबर्ट जेसप की शतकीय पारी की बदौलत एक विकेट से धमाकेदार जीत हासिल की. 1934 में ऑस्ट्रेलिया ने इसी मैदान पर सर डॉन ब्रैडमैन के 244 और बिल पॉन्सफ़ोर्ड के 266 रनों की बदौलत 701 रन बनाए. दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 451 रन जोड़े. यह तब टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी साझेदारी थी. अगले 63 वर्षों तक टेस्ट क्रिकेट में किसी भी विकेट के लिए यह सबसे बड़ी साझेदारी का रिकॉर्ड रहा. ऑस्ट्रेलिया ने उस मैच में इंग्लैंड को 562 रनों से हराया था जो तब अपनी सरज़मीं पर इंग्लैंड की सबसे बड़ी हार का रिकॉर्ड था.

टेस्ट क्रिकेट का सबसे बड़ा स्कोर

चार साल बाद 1938 में इंग्लैंड ने इसी मैदान पर 903 रन बना डाले. 59 सालों तक यह टेस्ट क्रिकेट में किसी भी टीम के सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड रहा. आज भी यह इंग्लैंड का टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ा स्कोर है. उस मैच में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 579 रनों से हराया था जो आज भी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है. पिछले 87 सालों में दुनिया की कोई भी टीम इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं सकी है. इसी मैच में इंग्लैंड के सर लेन हटन ने 364 रनों की पारी खेली जो अगले 20 सालों तक टेस्ट क्रिकेट के सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड बना रहा

सर डॉन ब्रैडमैन की आखिरी टेस्ट पारी

इस मैदान ने 1948 में सर डॉन ब्रैडमैन की वो आखिरी पारी भी देखी है जिसमें वो डक यानी शून्य पर आउट हो गए थे और टेस्ट क्रिकेट में 100 रनों के औसत का रिकॉर्ड बनाने से महरूम रह गए थे. 1953 में डेनिस कॉम्पटन ने इसी मैदान पर वो मशहूर चौका लगाया जिसकी बदौलत इंग्लैंड ने एक बड़े अंतराल के बाद एशेज़ की ट्रॉफ़ी पर दोबारा क़ब्ज़ा जमाया. 1976 में माइकल होल्डिंग ने द ओवल की धीमी पिच पर भी 14 विकेट लेकर तहलका मचा दिया था… तो 1994 में डेवोन माल्कम ने दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 57 रनों पर 9 विकेट झटक कर यहां ऐतिहासिक प्रदर्शन किया.

 

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क्रिकेट से इतर फ़ुटबॉल और अन्य आयोजन

द ओवल का मालिकाना हक़ डची ऑफ़ कॉर्नवाल के पास है, जो प्रिंस ऑफ़ वेल्स भी हैं, यही कारण है कि सरे काउंटी की बैज पर उनके फ़ेदर्स 1915 से ही दिखाई देते हैं. द ओवल सरे काउंटी का होम ग्राउंड है. सरे क्रिकेट क्लब 1845 में बना. इस क्लब का मैदान सिर्फ़ क्रिकेट ही नहीं बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण खेलों की मेजबानी कर चुका है. 1872 में इसी मैदान पर पहला एफ़ए कप का फ़ाइनल खेला गया था, जिसे वांडरर्स ने 2000 दर्शकों के सामने जीता. अगले 20 सालों तक तक एफ़ए कप फ़ाइनल यहीं खेला जाता रहा.

वहीं पहले एफ़ए कप फ़ाइनल के ठीक एक साल बाद इसी मैदान पर इंग्लैंड ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल मैच खेला. इस मैदान पर कई रॉक कॉन्सर्ट्स भी आयोजित किए जा चुके हैं. दूसरे विश्व युद्ध के समय यहां बंदियों को भी कुछ समय के लिए रखा गया था. लंबे इतिहास का गवाह रहा द ओवल का मैदान 90 के दशक के अंत में मरम्मत की कमी की वजह से खस्ता हालत में आ गया था. तब 2004 में इसे क़रीब 300 करोड़ रुपये खर्च कर फिर संवारा गया. 27 जुलाई 2017 को द ओवल के मैदान ने टेस्ट क्रिकेट के आयोजन का शतक जमा कर एक और ख़ूबसूरत रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया, जो भारत और इंग्लैंड के बीच हो रहे टेस्ट मैच के साथ 108 के शुभ अंकों तक अब पहुंच गया है.

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