1983 के बाद 1986: कपिल देव की सेना ने रचा इतिहास! इंग्लैंड में भारत की ऐतिहासिक फतह, जिसकी गूंज आज भी जिंदा है
कपिल देव की कप्तानी में भारत ने 1986 में इंग्लैंड को उसकी ज़मीन पर 2-0 से हराकर ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ जीत दर्ज की. दिलीप वेंगसरकर के दो शानदार शतक के साथ ही चेतन शर्मा और मनिंदर सिंह की घातक गेंदबाज़ी ने भारत को बढ़त दिलाई. लॉर्ड्स और लीड्स में मिली जीत ने भारतीय क्रिकेट को नया आत्मविश्वास दिया. यह जीत विदेशी धरती पर भारत की सबसे बड़ी टेस्ट विजय मानी जाती है.;
कपिल देव का नाम सुनते ही हर भारतीय के जेहन में सबसे पहले 1983 का विश्व कप आ जाता है, जब ‘हरियाणा हरिकेन’ ने भारत को क्रिकेट का ताज दिलाया था, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि कपिल देव की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड की ज़मीन पर 1986 में 2-0 से टेस्ट सीरीज़ जीतकर इतिहास रच दिया था. यह भारत की इंग्लैंड में सबसे बड़ी टेस्ट जीत थी, जो भारतीय क्रिकेट के आत्मविश्वास की नींव बनी.
भारत और इंग्लैंड के बीच यह टेस्ट सीरीज तीन मैचों की खेली गई. पहला मैच लंदन, दूसरा लीड्स और तीसरा बर्मिंघम में खेला गया. आइए, इस सीरीज के बारे में विस्तार से जानते हैं...
पहला टेस्ट (लॉर्ड्स, लंदन)
कपिल देव ने पहले गेंदबाज़ी चुनी. इंग्लैंड ने ग्राहम गूच (114) की शतकीय पारी की मदद से 294 रन बनाए. चेतन शर्मा ने घातक गेंदबाज़ी करते हुए 64 रन देकर 5 विकेट चटकाए. दिलीप वेंगसरकर ने नाबाद 126 रन बनाकर भारत को 341 तक पहुंचाया और 47 रन की बढ़त दिलाई. दूसरी पारी में कपिल देव (4/52) और मनिंदर सिंह (3/9) ने इंग्लैंड को 180 रन पर समेट दिया. भारत ने 134 रन का लक्ष्य 5 विकेट खोकर हासिल किया.
प्लेयर ऑफ द मैच कपिल देव को चुना गया. उन्होंने मैच में कुल 5 विकेट चटकाने के साथ ही रन-चेज के दौरान 10 गेंदों में नाबाद 23 रन बनाए.
दूसरा टेस्ट (हैडिंग्ले, लीड्स)
भारत ने पहले बल्लेबाज़ी की और वेंगसरकर (61) के दम पर 272 रन बनाए. जवाब में मदन लाल (3/18) और बिन्नी (5/40) की शानदार गेंदबाज़ी से इंग्लैंड महज़ 102 रन पर ढेर हो गया. दूसरी पारी में भारत की हालत 102/6 हो गई, लेकिन वेंगसरकर (102*) की जुझारू पारी ने स्कोर को 237 तक पहुंचा दिया और इंग्लैंड को 407 रन का लक्ष्य मिला. मनिंदर (4/28) और बिन्नी (2/18) ने इंग्लैंड को 128 पर समेट दिया और भारत को 279 रन से ऐतिहासिक जीत मिली.
प्लेयर ऑफ द मैच दिलीप वेंगसरकर को चुना गया. उन्होंने दूसरी पारी में शानदार शतक जड़कर भारत को मुसीबत से बाहर निकाला. यह इंग्लैंड में किसी भारतीय द्वारा बनाए गए सबसे बेहतरीन शतकों में से एक है.
तीसरा टेस्ट (एजबेस्टन, बर्मिंघम)
इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी की और कप्तान गैटिंग (183*) के दम पर 390 रन बनाए. भारत ने अमरनाथ (79) और अज़हरुद्दीन (64) के अर्धशतकों की बदौलत बराबरी करते हुए 390 रन बनाए. चेतन शर्मा (6/58) ने दूसरी पारी में इंग्लैंड को 235 पर रोक दिया. भारत को जीत के लिए 236 रन चाहिए थे, लेकिन समय की कमी के चलते मैच ड्रॉ हो गया.
हीरो ऑफ द सीरीज़:
- दिलीप वेंगसरकर – 360 रन, दो शतक, एक अर्धशतक
- चेतन शर्मा – 16 विकेट, दो बार पांच विकेट
- मनिंदर सिंह और बिन्नी – 12-12 विकेट
कपिल देव की कप्तानी, गेंदबाज़ों का कहर और वेंगसरकर की दृढ़ता से इस सीरीज़ ने भारत को टेस्ट क्रिकेट में वैश्विक ताकत बनाने की शुरुआत दी थी.