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INDvsENG : यहां कपिल की कप्तानी में जीते, सचिन-सौरव-द्रविड़ की तिकड़ी ने जमाई सेंचुरी; क्‍या गिल के लिए लकी साबित होगा हेडिंग्ले?

टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेलने लीड्स पहुंची है, जहां पहला मुकाबला 13 जून से हेडिंग्ले मैदान पर होगा. कप्तान शुभमन गिल की अगुवाई में भारत 18 साल बाद इंग्लैंड में सीरीज़ जीतने की कोशिश करेगा. यह वही मैदान है जहां भारत ने 1986 और 2002 में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. आंकड़े बताते हैं कि यह मैदान रोमांचक टेस्ट मुकाबलों का गवाह रहा है, जिसमें ब्रैडमैन और सचिन जैसे दिग्गजों की यादगार पारियां शामिल हैं.

INDvsENG : यहां कपिल की कप्तानी में जीते, सचिन-सौरव-द्रविड़ की तिकड़ी ने जमाई सेंचुरी; क्‍या गिल के लिए लकी साबित होगा हेडिंग्ले?
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टीम इंडिया इंग्लैंड के दौरे पर है. गुरुवार से दोनों देशों के बीच पांच मैचों की टेस्ट सिरीज़ शुरू हो रही है. भारतीय टीम नए नवेले कप्तान शुभमन गिल के नेतृत्व में वहां खेलेगी और उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वो न केवल टेस्ट मैचों में जीत हासिल करें बल्कि सिरीज़ भी भारत की झोली में डालें.

भारत ने इंग्लैंड की धरती पर पिछली सिरीज़ 18 साल पहले 2007 में जीती थी. चार साल पहले 2021 में वहां खेली गई आख़िरी सिरीज़ को भारत ड्रॉ कराने में कामयाब ज़रूर रहा था, पर बतौर कप्तान शुभमन गिल के लिए बढ़िया यह है कि उन्हें अपना पहला टेस्ट उस ग्राउंड पर खेलना है जहां भारत ने इतिहास रचा था और एक से अधिक जीत दर्ज कर चुका है.

आपको बता दें कि ये मैदान लीड्स स्थित हेडिंग्ले क्रिकेट ग्राउंड का है, जहां भारतीय टीम पहली बार 1952 में टेस्ट खेली पर इस मैदान पर पहली जीत हासिल करने में उसे 34 साल लग गए.

जब हेडिंग्ले में पहली बार इंग्लैंड को हराया

भारत को इस मैदान पर पहली जीत 1986 के दौरे में हासिल हुई. वह इंग्लैंड में टेस्ट मैचों में मिली केवल दूसरी जीत थी. इंग्लैंड में पहली बार भारत 1971 में जीता था. 1986 के दौरे पर कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय टीम ने उस मैच में पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 272 रन बनाए थे. वर्तमान बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी और मदन लाल ने मिलकर इंग्लैंड के आठ बल्लेबाज़ों को आउट किया. इंग्लैंड के कई बल्लेबाज़ अपना ख़ाता भी नहीं खोल पाए और पूरी टीम महज़ 102 रनों पर आउट हो गई. भारत की दूसरी पारी में एक छोर से लगातार विकेट गिरते रहे पर दूसरे छोर को दिलीप वेंगसरकर ने संभाल लिया और नाबाद 102 रन बनाए. इंग्लैंड दूसरी पारी में भी केवल 128 रन ही बना सकी और वह मैच 279 रनों से हार गई.

हेडिंग्ले में दूसरी जीत- पिछली जीत से भी बड़े फासले से हराया

हेडिंग्ले में टेस्ट मैच हारने के बाद इंग्लैंड ने भारतीय टीम के 1990 और 1996 के दौरे में वहां कोई मुक़ाबला नहीं रखा. जब 2002 के दौर पर एक बार फिर हेडिंग्ले में टेस्ट आयोजित किया गया तो भारतीय टीम ने फिर जीत का परचम लहरा दिया. उस मैच में भारत ने पहले बल्लेबाज़ी चुनी और वीरेंद्र सहवाग के जल्दी आउट हो जाने के बाद संजय बांगर ने अर्धशतकीय पारी खेलते हुए कप्तान राहुल द्रविड़ के साथ दूसरे विकेट के लिए 170 रन जोड़े. फिर द्रविड़ ने सचिन के साथ तीसरे विकेट के लिए, तो सचिन ने सौरव गांगुली के साथ चौथे विकेट के लिए शतकीय साझेदारी निभाई. द्रविड़, सचिन और सौरव तीनों ने शतक भी जमाए और भारत ने 628 रनों का पहाड़ खड़ा किया. इंग्लैंड की टीम पहली पारी में 273 रन बनाई तो भारत ने उन्हें फ़ॉलोऑन के लिए उतार दिया. दूसरी पारी में इंग्लैंड 309 रन बना कर ऑल आउट हो गई और भारत एक पारी 46 रनों के बड़े अंतर से जीत गया.

हेडिंग्ले नाटकीय मैच का ग़वाह

हेडिंग्ले क्रिकेट इतिहास के संभवतः सबसे नाटकीय टेस्ट मैच का ग़वाह बना है. 1981 में खेले गए उस टेस्ट मैच में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को 18 रनों से हराया था. उस मैच में इंग्लैंड पहली पारी (174) के आधार पर 227 रनों से पीछे था तो ऑस्ट्रेलिया (401) ने उसे फ़ॉलोऑन कराया. दूसरी पारी में भी इंग्लैंड की हालत ख़राब थी और उसका स्कोर 135/7 था. लेकिन पहली पारी में छह विकेट चटकाने वाले इंग्लैंड के ऑलराउंडर इयान बॉथम ने एक छोर से तेज़ बल्लेबाज़ी की और केवल 148 गेंदों पर 149 रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया के सामने महज़ 130 रनों का लक्ष्य रखा गया. ऑस्ट्रेलिया ने 56 रन केवल एक विकेट के नुकसान पर बना भी लिए, पर यहां से बॉब विलिस ने ऐसी घातक गेंदबाज़ी की कि ऑस्ट्रेलियाई टीम केवल 111 रन बना कर ऑल आउट हो गई और वह मैच 18 रनों के अंतर से हार गई. विलिस ने उस पारी में आठ विकेट जो आज भी इस मैदान पर सबसे बढ़िया गेंदबाज़ी प्रदर्शन है. वहीं अपने ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए बॉथम ‘मैन ऑफ़ द मैच’ चुने गए.

क्या बोलते हैं आंकड़े

इंग्लैंड इस मैदान पर 81 मैच खेल चुका है और उसे 37 मैचों में जीत तो 25 में हार मिली है. इस मैदान ने सर डॉन ब्रैडमैन के दो तिहरे शतक देखे हैं. ब्रैडमैन ने यहां 1930 में 334 रनों की सबसे बड़ी पारी खेली थी जो आज भी इस मैदान पर रिकॉर्ड है. ब्रैडमैन का एक तिहरा शतक तो मैच के पहले दिन ही बन गया था जो आज भी एक दिन में बनाया गया तिहरे शतक का एकमात्र उदाहरण है. भारत के छह बल्लेबाज़ों ने भी यहां शतक जमाया है. इस मैदान पर पहला शतक जमाने वाले पहले भारतीय विजय मांजरेकर थे, जिन्होंने 1952 में 133 रनों की पारी खेली थी. उनके बाद नवाब पटौदी (जूनियर), दिलीप वेंगसरकर, राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली शतक जमा चुके हैं. इस मैदान पर किसी भारतीय की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी सचिन तेंदुलकर (193 रन) के नाम है.

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