क्या दूसरा टेस्ट भारत के नाम होगा? इतिहास क्या कहता है, अड़चनें क्या हैं और जीत का रास्ता क्या हो सकता है?

एजबेस्टन टेस्ट में शुभमन गिल की 269 रनों की कप्तानी पारी और मोहम्मद सिराज की 6 विकेट की घातक गेंदबाज़ी से भारत ने इंग्लैंड पर 244 रनों की बढ़त बना ली है. हालांकि भारत पहले भी 500+ रन बनाने के बाद टेस्ट हार चुका है, जैसा कि 2008 में सिडनी में हुआ था. इंग्लैंड की वापसी भी नामुमकिन नहीं है, क्योंकि इस मैदान पर उन्होंने पहले 378 रन का सफल रन चेज़ किया है. मुकाबला अब पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत इंग्लैंड को कितना बड़ा लक्ष्य देता है और गेंदबाज़ी से उसे रोक पाता है या नहीं.;

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By :  अभिजीत श्रीवास्तव
Updated On : 5 July 2025 3:54 PM IST

India vs England Edgbaston Test 2025: एजबेस्टन टेस्ट में शुभमन गिल की कप्तानी पारी (269 रन) के बाद गेंदबाज़ों के शानदार प्रदर्शन ने भारत को मज़बूत स्थिति में ला दिया है. तीसरे दिन का खेल ख़त्म होने तक टीम इंडिया ने दूसरी पारी में महज़ एक विकेट पर 64 रन भी बना लिए हैं और अब लीड 244 रनों की हो चुकी है. यहां से उसे कम से कम 250 रन और जोड़ने होंगे, ताकि इंग्लैंड के सामने एक बड़ा लक्ष्य रखा जा सके, जिसके दबाव में वो बिखर जाएं ओर शुभमन के नेतृत्व वाली टीम सभी विषम परिस्थितियों के बावजूद जीत जाए. विषम परिस्थितियों से मतलब इंग्लिश कंडीशन, बुमराह की अनुपस्थिति और टीम के अधिकांश खिलाड़ियों का बहुत कम टेस्ट के अनुभव से है, लेकिन क्या क्या टीम इंडिया पहली पारी में 500+ बनाने के बाद भी यह मैच हार सकती है?

पहली पारी में 500+ बनाने के बाद सिडनी में क्या हुआ था?

भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास में ऐसा संदर्भ केवल एक बार ही मिलता है, जब टीम इंडिया ने पहली पारी में 500+ रन बनाए और उसके बावजूद मैच हार गई. तब टीम इंडिया 2008 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रही थी. सिडनी के मैदान पर मैच खेला जा रहा था, जहां ऑस्ट्रेलिया पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी तो 463 रन बना दिए. टीम की बागडोर अनिल कुंबले के पास थी और रिकी पोंटिंग ऑस्ट्रेलिया के कप्तान थे.

ऑस्ट्रेलिया के 463 रनों के जवाब में भारत ने सचिन तेंदुलकर (नाबाद 154 रन) और वीवीएस लक्ष्मण (109 रन) के शतकों की बदौलत पहली पारी में 500+ (532 रन) बनाए और 69 रनों की लीड भी ली. ऑस्ट्रेलिया ने फिर 7 विकेट पर 401 रन बनाकर अपनी दूसरी पारी घोषित कर दी और टीम इंडिया को जीतने के लिए 332 रनों का लक्ष्य दिया. पर भारतीय टीम केवल 210 रन बना कर ऑल आउट हो गई और ऑस्ट्रेलिया ने वो मैच 122 रनों से जीत लिया.

हेडिंग्ले में भी टीम इंडिया को मिली हार

अभी पिछला मैच जो हेडिंग्ले में खेला गया है, उसका ही उदाहरण लें तो टीम इंडिया ने पहली पारी में क़रीब 500 रन (471 रन) ही बनाए थे, और तो और, इंग्लैंड के सामने 371 रनों का लक्ष्य रखा फिर भी जीतने की जगह मैच हार गई, लेकिन वो हेडिंग्ले का मैदान था, जहां उससे पहले भी इंग्लैंड ने 315 रन और 362 रन जैसे बड़े लक्ष्य हासिल किए हैं.

इतिहास ग़वाह है...

एजबेस्टन का रिकॉर्ड क्या कहता है? इस मैदान पर इंग्लैंड के सबसे बड़ा स्कोर हासिल करने का क्या रिकॉर्ड है? क्या यहां से इंग्लैंड की टीम वापसी कर सकती है? एजबेस्टन पर इंग्लैंड की टीम ने भारत के ख़िलाफ़ 2022 में 378 रन का स्कोर सफलतापूर्वक चेज़ किया था, जो इस मैदान पर सबसे बड़े रन चेज़ का रिकॉर्ड भी है, लेकिन 2019 में इसी मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 398 रनों का लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रही थी. वहीं 2003 में दक्षिण अफ़्रीका के 321 रन और 1973 में वेस्ट इंडीज़ के 325 रन के लक्ष्य के सामने मैच ड्रॉ खेला गया था. साथ ही क्रिकेट इतिहास उस रिकॉर्ड को भी बताता है कि जब-जब किसी विपक्षी टीम ने 378 रन से अधिक का स्कोर बनाया, इंग्लैंड कभी नहीं जीती है. इंग्लैंड को 92 टेस्ट मैचों में 378+ रन का लक्ष्य दिया गया. उनमें से उसने केवल 17 मैच ड्रॉ खेले हैं जबकि 75 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है.

क्या इंग्लैंड की वापसी मुमकिन है?

इंग्लैंड के पास क्रिकेट का एक समृद्ध इतिहास है, जिससे वो प्रेरणा लेकर मैच में वापसी कर सकती है. इस मैच से पहले चार बार ऐसे मौक़े आए हैं, जब विपक्षी टीम ने पहली पारी में 550 से अधिक रन बटोरे, पर इंग्लिश टीम न केवल मैच में वापसी करने में कामयाब रही, बल्कि उस टेस्ट को जीतने में भी उन्हें कामयाबी मिली. सबसे ख़ास बात तो यह है कि उनमें से तीन मौक़े बेन स्टोक्स की कप्तानी और ब्रेंडन मैकुलम के बैज़बॉल युग में आए हैं. यानी इंग्लैंड के लिए अभी सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है.

जब से बेन स्टोक्स ने कप्तान और ब्रेंडन मैकुलम ने कोच की भूमिका संभाली है, इंग्लैंड ने अपनी सरज़मीं पर 21 में से 16 टेस्ट मैच जीते हैं. इस दौरान उन्होंने न्यूज़ीलैंड, दक्षिण अफ़्रीका, वेस्ट इंडीज़़ और श्रीलंका के ख़िलाफ़ सीरीज़़ जीती हैं. साथ ही ऑस्ट्रेलिया की मज़बूत टीम को एशेज में 2-2 से ड्रॉ पर मजबूर किया है. मैकुलम ने उनके खेलने के अंदाज को बदल दिया है, जैसा कि मैच की पहली पारी में भी सभी ने देखा. इंग्लैंड ने 4.54 की औसत से 407 रन बटोरे. मैकुलम के बैज़बॉल युग में उनकी असली पहचान तेज़ी से रन बटोरना ही तो है.

इंग्लैंड की गेंदबाज़ी की कमज़ोरी उजागर

वैसे तो दोनों ही टीमों के पास मज़बूत बल्लेबाज़ी है, उस पर एजबेस्टन की पिच गेंदबाज़ों के लिए बिल्कुल भी मददगार नहीं दिख रही है, लेकिन जैसे-जैसे यह मैच आगे बढ़ रहा है, इंग्लैंड की गेंदबाज़ी की कमज़ोरी उजागर होती जा रही है. बेशक भारतीय गेंदबाज़ी दल भी कम अनुभवी है और इस मैच में तो सबसे अनुभवी जसप्रीत बुमराह भी नहीं खेल रहे हैं, इसके बावजूद टीम इंडिया की इस गेंदबाज़ी ने पूरी टीम में नई ऊर्जा फूंक दी है.

अब इस मैच का रुख़ किस करवट बैठेगा, वो टीम इंडिया के बल्लेबाज़ों पर निर्भर करता है कि वो कितनी ज़ल्दी इंग्लैंड के सामने एक बड़ा लक्ष्य रखते हैं. साथ ही यह इस पर भी निर्भर करेगा कि भारतीय गेंदबाज़ क्या पहली पारी वाले प्रदर्शन को दोहरा पाएंगे और इंग्लैंड को बैज़ ब़ॉल क्रिकेट खेलने से रोक सकेंगे?

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