Amol Muzumdar: जिसने कभी टीम इंडिया की जर्सी नहीं पहनी, उसी ने भारत को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया

जिसे कभी INDIA की जर्सी पहनने का मौका नहीं मिला, आज उसी ने टीम को WORLD CHAMPION बना दिया... यह कहानी है महिला क्रिकेट टीम के हेड कोच अमोल मजूमदार की... मजूमदार ने जिस जर्सी का सपना देखा, वह कभी नहीं पहन पाए, लेकिन आज वह जर्सी उनके खिलाड़ियों के शरीर पर है... और उनके ही नेतृत्व में भारत विश्व विजेता बना है. कभी पैड बांधकर इंतज़ार करने वाले खिलाड़ी ने आज एक पूरे देश का इंतज़ार ख़त्म कर दिया है.;

( Image Source:  BCCI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 3 Nov 2025 10:36 PM IST

Amol Muzumdar Coach Story: जब मुंबई के शारदाश्रम विद्या मंदिर स्कूल में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रनों की ऐतिहासिक साझेदारी की थी, उस समय पूरी दुनिया इन दो युवा बल्लेबाज़ों की चर्चा कर रही थी, लेकिन उसी टीम में एक और खिलाड़ी था- पैड बांधे पूरे दिन अपनी बारी का इंतज़ार करता हुआ. नाम था अमोल मजूमदार. उन्हें एक भी गेंद खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन यही घटना उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई.

अमोल मजूमदार ने उस दिन मैदान पर नहीं, बल्कि अपने मन में यह ठान लिया कि क्रिकेट उनकी पहचान होगा... और आगे चलकर उन्होंने फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में 11,000 से ज़्यादा रन और 30 शतक जमाते हुए भारत के महान घरेलू बल्लेबाज़ों में अपना नाम दर्ज कर दिया. अक्सर कहा गया कि वह अगला सचिन बन सकते थे, लेकिन टीम इंडिया में जगह नहीं मिली, क्योंकि उस दौर में सचिन, द्रविड़, गांगुली और लक्ष्मण जैसे दिग्गज मध्यक्रम में मजबूती से जमे हुए थे.

वो पल जिसने सब बदल दिया

2025 महिला वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में जब भारत ने ऐतिहासिक जीत हासिल की, कप्तान हरमनप्रीत कौर सबसे पहले कोच अमोल मजूमदार के पास दौड़ीं, उनके पैरों में झुककर गले लगाया और फूट-फूटकर रो पड़ीं. अमोल ने भी गर्व से कहा, “यह भारतीय महिला क्रिकेट के लिए नया दौर है.” उनके लिए यह पल फिल्म चक दे इंडिया के कबीर ख़ान जैसी जीत थी. 21 साल के करियर में कभी भारत की जर्सी न पहन पाने का दर्द, अब एक कोच के रूप में वर्ल्ड कप ट्रॉफी उठाने के गर्व में बदल चुका था.

शानदार घरेलू करियर

  • पहला रणजी मैच: 260 रन, रिकॉर्ड डेब्यू
  • 171 फर्स्ट क्लास मैच
  • 11,167 रन, औसत 48.13
  • 30 शतक और 60 अर्धशतक
  • मुंबई को 8 बार रणजी खिताब जिताने में अहम भूमिका
  • 2006–07 में कप्तान बनकर डूबती मुंबई टीम को ट्रॉफी दिलाई

मुंबई के कप्तान रवि शास्त्री ने उन्हें मौका दिया, लेकिन चयन की दौड़ में वह सचिन, द्रविड़ और गांगुली जैसे दिग्गजों के बीच जगह नहीं बना सके.

क्रिकेट से बाहर, लेकिन खेल के मैदान से नहीं

रिटायर होने के बाद अमोल ने कोचिंग को अपना करियर बनाया. उन्होंने NCA में कोचिंग दी. इसके बाद मुंबई टीम के कोच बने, राजस्थान रॉयल्स सपोर्ट स्टाफ का भी हिस्सा रहे और फिर अक्टूबर 2023 में इंडियन महिला टीम के हेड कोच बने. उनकी रणनीति और नेतृत्व ने टीम इंडिया को मानसिक मजबूती और क्लैरिटी दी.

इंग्लैंड मैच की चिंगारी, जिसने टीम को बदला

वर्ल्ड कप में लगातार तीन हार के बाद ड्रेसिंग रूम में अमोल का 'फटकार वाला भाषण' टर्निंग पॉइंट बना. हरमनप्रीत ने ख़ुद बताया, “मैं चुप थी, सर ने सब कहा. उन्होंने जोर से बोला कि यह मैच आपको जीतना चाहिए था. हमने इसे पॉज़िटिव लिया. सर की ईमानदारी पर हमें भरोसा है.” इसी आत्मविश्वास और अनुशासन ने टीम को ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल तक पहुंचाया और फिर इतिहास बना दिया.

अंत में, कहानी एक अधूरी इच्छा नहीं, बल्कि जीत की मिसाल है. अमोल मजूमदार ने जिस जर्सी का सपना देखा, वह कभी नहीं पहन पाए, लेकिन आज वह जर्सी उनके खिलाड़ियों के शरीर पर है, और उनके ही नेतृत्व में भारत विश्व विजेता बना है.  कभी पैड बांधकर इंतज़ार करने वाले खिलाड़ी ने आज एक पूरे देश का इंतज़ार ख़त्म कर दिया है. वह भारत के कबीर ख़ान हैं... और अब दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती है.


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