शास्त्री के बाद अब गावस्कर ने उड़ाई 'वर्कलोड मैनेजमेंट' की धज्जियां; कहा - सीमा पर जवान भी यही सोचने लगें तो...
जसप्रीत बुमराह के ‘वर्कलोड मैनेजमेंट’ को लेकर बहस तेज़ हो गई है. पूर्व कोच रवि शास्त्री और दिग्गज बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने इसे लेकर टीम मैनेजमेंट की आलोचना की, वहीं गावस्कर ने कहा कि अगर जवान भी यही सोचें तो देश कैसे सुरक्षित रहेगा? दूसरी ओर, हरभजन सिंह और RP सिंह जैसे पूर्व गेंदबाज़ों ने बुमराह जैसे खिलाड़ियों के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट को ज़रूरी बताया है. ग्लेन मैग्रा ने भी सुझाव दिया कि बुमराह को सीमित ओवर में इस्तेमाल किया जा सकता है.;
इंग्लैंड के साथ समाप्त हुई तेंदुलकर-एंडरसन टेस्ट सिरीज़ में जहां शुभमन गिल, मोहम्मद सिराज, रवींद्र जडेजा, केएल राहुल, ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों के प्रदर्शनों की चर्चा लगातार हुई. लेकिन क्रिकेटरों के मैदान पर उतरने से कहीं पहले तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट की बात तो इंग्लैंड पहुंचने से पहले ही शुरू हो गई थी. सबसे पहले मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर ने कहा कि जसप्रीत बुमराह इंग्लैंड दौरे पर केवल तीन टेस्ट मैच ही खेल पाएंगे और फ़िर हेड कोच गौतम गंभीर भी पूरी सिरीज़ इस बात को दोहराते रहे.
हेडिंग्ले में हुए पहले टेस्ट मैच के बाद से ही जहां इंग्लैंड की टीम अगले वेन्यू पर टेस्ट मैच शुरू होने से दो-तीन दिन पहले ही अपना अंतिम एकादश एलान कर देती तो भारतीय टीम इसे मैच शुरू होने से कुछ देर पहले किया करती. हर टेस्ट मैच से पहले यह कयास लगाया जाता कि जसप्रीत बुमराह प्लेइंग इलेवन में होंगे या नहीं और यह तब तक चलता रहता जब तक कि मैच वाले दिन टॉस के वक़्त कप्तान शुभमन गिल अपने खिलाड़ियों की घोषणा न कर देते.
बुमराह की इतनी अहमियत क्यों?
आखिर बुमराह इतने अहम क्यों हैं? इसकी वजह बिल्कुल स्पष्ट है. कभी भारत के पास मध्यम गति के तेज़ गेंदबाज़ ही हुआ करते थे. लेकिन ये जसप्रीत बुमराह ही हैं जो भारत के मध्यम गति की गेंदबाज़ी से तेज़ गेंदबाज़ी में रसूख बनाने की वजह बने हैं. चाहे टेस्ट हो या वनडे या फिर टी-20 बुमराह क्रिकेट के सभी प्रारूपों में भारत के लिए खेलते हैं. उनकी सटीक और मारक यॉर्कर गेंदों का सामना करने से दुनिया भर के नामची बल्लेबाज़ भी ख़ौफ़ खाते हैं. टेस्ट मैचों में दोनों तरफ़ स्विंग करती उनकी गेंदों को कोई बल्लेबाज़ छेड़ना पसंद नहीं करता क्योंकि इससे विकेट के पीछे उनके कैच आउट होने की पूरी संभावना होती है.
सबसे तेज़ 200 विकेट लेने वाले भारतीय तेज़ गेंदबाज़
पिछले साल जब बुमराह ने बॉक्सिंग डे टेस्ट में 9 बल्लेबाज़ों को आउट कर अपना 200वां विकेट पूरा किया था. तब वो उनका 44वां टेस्ट मैच था और बुमराह ने भारत के पिछले सभी तेज़ गेंदबाज़ों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे तेज़ 200 विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज़ बन गए. उन्होंने कपिल देव के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा जिन्होंने अपने 50वें टेस्ट मैच में 200वां विकेट लिया था.
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200 विकेट 20 से कम की औसत वाले इकलौते गेंदबाज़
यही नहीं जसप्रीत बुमराह के नाम अब तक टेस्ट क्रिकेट में 19.82 की औसत से 219 विकेट चटकाने का रिकॉर्ड है. यह औसत के मामले में टेस्ट मैचों में दुनिया के किसी भी 200 विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों से बेहतर है. बता दें कि 200 विकेट लेने वाले दुनिया के अन्य किसी गेंदबाज़ का औसत 20 से ऊपर ही है. बुमराह स्ट्राइक रेट के मामले में भी 200 विकेट ले चुके किसी भी भारतीय गेंदबाज़ से आगे हैं. टेस्ट क्रिकेट में बुमराह का स्ट्राइक रेट 42.68 का है. वहीं दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव के टेस्ट करियर का स्ट्राइक रेट 63.92 का था. तो रविचंद्रन अश्विन जो कि भारत के सबसे तेज़ 200 विकेट लेने वाले टेस्ट गेंदबाज़ हैं, उनका भी करियर स्ट्राइक रेट 50.68 का रहा है. यही वजह है कि बुमराह आज टेस्ट क्रिकेट के नंबर-1 गेंदबाज़ हैं.
बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट की बात क्यों?
बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट की बात लगातार क्यों हो रही है, इसके पीछे उनके पीठ की इंजरी रही है, जिसकी वजह से वो एक लंबे अरसे तक टीम से बाहर रहे और पिछले साल हुए टी20 वर्ल्ड कप में भी टीम का हिस्सा नहीं थे. हालांकि अपनी वापसी के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में बहुत शानदार गेंदबाज़ी की और अब इंग्लैंड में भी जिन मैचों में वो मैदान में उतरे अपनी गेंदबाज़ी की छाप छोड़ी है. लेकिन बुमराह के वर्कलोड मैनेजमेंट की बात का जहां हरभजन सिंह जैसे क्रिकेटर ने समर्थन किया है और कहा है कि इसकी ज़रूरत है, खासकर जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज़ों के लिए, और उनकी प्रतिबद्धता और ईमानदारी की वो सराहना करते हैं. हरभजन भले ही इसकी सराहना करते हैं पर टीम इंडिया में बढ़ते वर्कलोड मैनेजमेंट की बात पर कई पूर्व क्रिकेटरों ने हाल ही में तीखे बयान दिए हैं. पूर्व क्रिकेटर्स अब वर्कलोड मैनेजमेंट की आलोचना कर रहे हैं. इनमें दिग्गज सुनील गावस्कर से लेकर रवि शास्त्री और अन्य कई पूर्व क्रिकेटर्स शामिल हैं.
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रवि शास्त्री ने सबसे पहले उठाया सवाल
पूर्व क्रिकेटर और टीम इंडिया के कोच रह चुके रवि शास्त्री ने हाल ही में जसप्रीत बुमराह को आराम देने के टीम प्रबंधन के फ़ैसले पर सवाल उठाया था. एजबेस्टन टेस्ट में बुमराह को आराम दिए जाने पर शास्त्री ने ही टॉस के वक़्त आश्चर्य से भरा सवाल उठाया था. उनका कहना था कि बुमराह को आराम देने पर कोई अगर-मगर नहीं होनी चाहिए और यह बुमराह का फ़ैसला नहीं होना चाहिए कि वो कोई मैच खेलेंगे या नहीं. हेडिंग्ले टेस्ट और एजबेस्टन में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के बीच कई दिनों के अंतर होने की वजह से शास्त्री ने ये सवाल छेड़ा था.
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शास्त्री क्या बोले?
शास्त्री का कहना था कि "भारत ने पिछले नौ में से केवल एक टेस्ट मैच में जीत हासिल की है और यह बहुत महत्वपूर्ण मैच है, बुमराह को एक हफ़्ते का आराम भी मिला है. मुझे आश्चर्य है कि बुमराह यह मैच नहीं खेल रहे हैं. यह खिलाड़ी के हाथ में नहीं होना चाहिए. कप्तान और मुख्य कोच को यह तय करना चाहिए कि प्लेइंग इलेवन में कौन होगा." तब भारत 0-1 से सिरीज़ में पिछे था. शास्त्री ने कहा, “ये मैच खेलो, 1-1 करो फ़िर उन्हें विकल्प दो कि आप लॉर्ड्स में आराम करना चाहते हैं तो आराम करें. आपके पास दुनिया का सबसे अच्छा तेज़ गेंदबाज़ है और आप उसे सात दिन के आराम के बाद बाहर बिठाते हैं तो इसे पचाना बहुत मुश्किल है."
गावस्कर ने पूछा - क्या जवान ठंड की शिकायत करते हैं?
वहीं पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भारत-इंग्लैंड सिरीज़ के ख़त्म होने के बाद वर्कलोड मैनेजमेंट की धज्जियां उड़ा कर रख दीं. उन्होंने बुमराह का नाम लिए बग़ैर कहा कि इस शब्द को क्रिकेट की डिक्शनरी से हटाया जाना चाहिए. उन्होंने साफ़ लहज़ों में कहा कि ऐसा नहीं है कि पहले वर्कलोड मैनजेमेंट नहीं किया जाता था लेकिन इसे कम महत्वपूर्ण मैचों या महज़ औपचारिकता वाले मैचों में ही किया जाता था. गावस्कर ने इस मुद्दे पर बड़ा सवाल उठाते हुए इसकी तुलना सीमा पर तैनात सैनिकों से की. गावस्कर बोले कि खिलाड़ियों को सीमा पर तैनात सैनिकों जैसी समर्पण भावना दिखानी चाहिए.
गावस्कर बोले, “अगर खिलाड़ी वर्कलोड की बातें सुनकर पीछे हटने लगेंगे, तो फिर मैदान पर कभी भी सर्वश्रेष्ठ टीम नहीं उतर पाएगी. उन्हें यह समझाना ज़रूरी है कि आप देश के लिए खेल रहे हैं, और जब आप देश के लिए खेलते हैं, तो मांसपेशियों के दर्द को भूलना पड़ता है. यही तो सीमा पर होता है."
उन्होंने सीमा पर तैनात सैनिकों का उदाहरण दिया और बोले, "क्या कभी जवान ठंड या हालात की शिकायत करते हैं? नहीं. वे देश के लिए जान देने को तैयार रहते हैं. इसी तरह खिलाड़ियों को भी देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए."
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पंत और सिराज का उदाहरण
गावस्कर ने मोहम्मद सिराज के लगातार पांच टेस्ट मैचों में की गई मेहनत और चोट के बावजूद बल्लेबाज़ी करने के लिए उतरने वाले ऋषभ पंत की बहादुरी की तारीफ़ की. वे बोले कि टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करना एक बड़ा सम्मान है, छोटी-मोटी चोटों की वजह से इसको नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. लिटिल मास्टर ने कहा, "छोटी-मोटी चोटों की चिंता मत कीजिए. ऋषभ पंत ने क्या किया? फ़्रैक्चर होने के बाद भी बल्लेबाज़ी के लिए उतरे. यही भावना हम टीम में देखना चाहते हैं." वे बोले, "भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका 140 करोड़ लोगों में से कुछ को ही मिलता है. यह बहुत बड़ी बात है, इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. हमने यह जज़्बा मोहम्मद सिराज में देखा जो पांचों टेस्ट मैच खेले, और लगातार गेंदबाज़ी की."
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"सिराज का वर्कलोड मैनेजमेंट किया जाना चाहिए"
इधर भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ आरपी सिंह ने कहा कि मोहम्मद सिराज का भी वर्कलोड मैनेजमेंट किया जाना चाहिए. सिराज ने इंग्लैंड में सबसे अधिक गेंदबाज़ी की है. उन्होंने 185.3 ओवर डालकर सबसे अधिक 23 विकेट चटकाए. आरपी सिंह ने एक न्यूज़ एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में कहा, ‘‘सिराज को भविष्य में चोटिल होने से बचाने के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट ज़रूरी होगा. तेज़ गेंदबाज़ अगर कम समय में ज़्यादा मैच खेलते हैं तो चोटिल होने का ख़तरा रहता है. सिराज के कार्यभार को भी उसी तरह से प्रबंधित करना होगा जैसे हमने बुमराह के साथ किया है.’’
ग्लेन मैग्रा का सुझाव- क्या बुमराह को...
जब ओवल के आखिरी और निर्णायक रहे टेस्ट मैच में भी बुमराह को नहीं उतारा गया तो ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज पूर्व तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैग्रा भारतीय टीम मैनेजमेंट के इस फ़ैसले से सहमत नहीं दिखे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि टीम मैनेजमेंट को ही यह तय करना होगा कि बुमराह कौन सा मैच खेलेंगे और कौन नहीं. मैग्रा बोले, “बुमराह के पास अलग तरह की बॉलिंग स्टाइल है, जिसका उनके शरीर पर अधिक असर पड़ता है.” उन्होंने बुमराह के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा, "ऑस्ट्रेलिया में बुमराह जब भी उतरे मुक़ाबला कांटे का रहा. लेकिन लगातार खेलने से उनके चोट की समस्या बढ़ने लगी. इसलिए टीम मैनेजमेंट को ही यह तय करना होगा कि वो कितना खेल सकते हैं." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि, "बुमराह जैसे खिलाड़ी को हर मैच में खिलाना ज़रूरी है क्योंकि वो मैच का रुख़ पलट सकते हैं." लिहाजा उन्होंने इस पर सुझाव देते हुए कहा कि “क्या बुमराह से कम ओवर डलवा कर उनका वर्कलोड मैनेज किया जा सकता था?” दरअसल बुमराह ने भले ही तीन टेस्ट मैच खेले हों पर उन्होंने सिराज के पांच टेस्ट मैचों की 9 पारियों में डाले गए 185.3 ओवरों की तुलना में केवल पांच पारियों में ही 119.4 ओवर डाले हैं. जो कि सिराज की तुलना में चार ओवर प्रति मैच अधिक है.