Sawan 2025: सावन में शिवजी की तस्वीर घर पर लगाने से आती है सुख-समृद्धि, जानें वास्तु नियम
सावन के महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, शिव मंत्रों का जाप और व्रत-उपवास रखते हुए भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं. सावन के महीने में जहां एक तरफ शिव आराधना बहुत ही खास मानी जाती है. साथ ही, घर में महादेव की तस्वीर लगाने से सुख-समृद्धि आती है.;
आज से सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है जो 09 अगस्त तक चलेगा. श्रावण माह में शिव आराधना करना सबसे शुभ और फलदायी माना गया है. सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है,ऐसे में शिवभक्तों के लिए सावन का महीना बहुत खास हो जाता है. इस माह के दौरान शिवभक्त शिवभक्ति में डूबे रहते हैं.
वहीं इस माह में अगर शिवजी तस्वीर वास्तु के अनुसार घर पर लगाएं तो यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाली और हर तरह की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है. भगवान शिव को भोलेनाथ कहते हैं क्योंकि ये बहुत दयालु और जल्दी कृपा बरसाने वाले हैं. ऐसे में सावन में शिव आराधना करने के साथ घर पर उनकी तस्वीर लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार घर पर भगवान शिव की फोटो लगाने के नियम.
शिवजी की तस्वीर लगाने के वास्तु के नियम
- वास्तु के अनुसार भगवान शिव की तस्वीर घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना अत्यंत शुभ माना गया है. यह दिशा जल तत्व और देवताओं की दिशा होती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है.
- भगवान शिव की ध्यानमग्न मुद्रा, बैठी अवस्था, शिव-पार्वती परिवार या कैलाश पर्वत पर विराजित शिव की तस्वीर शुभ मानी जाती है. इससे घर में मानसिक शांति और संतुलन आता है.
- शिव के तांडव, रौद्र या अघोर रूप की तस्वीरें घर में नहीं लगानी चाहिए. ऐसी छवियां घर में तनाव, क्रोध और मानसिक अशांति को बढ़ा सकती हैं.
- शिव की तस्वीर मुख्य द्वार पर या उसके ठीक ऊपर नहीं लगानी चाहिए. इससे ऊर्जा का प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है. द्वार के भीतर ईशान कोण में लगाना उपयुक्त होता है.
- यदि घर में मंदिर या पूजा का स्थान है, तो वहां शिव की तस्वीर लगाना अत्यंत शुभ होता है. वहां नियमित धूप-दीप दिखाना और मंत्र जाप करना चाहिए.
- ऐसी तस्वीरें लगानी चाहिए जिनमें शिव की आकृति स्पष्ट, शांत और ध्यानात्मक हो. बहुत छोटी, धुंधली या अव्यवस्थित तस्वीरें शुभ फल नहीं देतीं.
- शिव जैसे देवता की तस्वीरें उन स्थानों पर नहीं लगानी चाहिए जहाँ शुद्धता का अभाव होता है, जैसे रसोईघर, शयनकक्ष या स्नानघर. इससे अनचाही नकारात्मकता फैल सकती है.