Parivartini Ekadashi 2025: इस दिन क्यों बदलते हैं भगवान विष्णु करवट? ये उपाय दिलाएंगे परेशानियों से छुटकारा

परिवर्तिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक बेहद खास और पवित्र तिथि मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु, जो चातुर्मास के दौरान योग निद्रा में रहते हैं, अपनी पहली करवट बदलते हैं. इस दिव्य परिवर्तन को शुभ संकेत माना जाता है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव और नई ऊर्जा लाने वाला होता है. ऐसे में अगर इस दिन कुछ खास उपाय किए जाएं, तो जीवन की परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है और सुख-समृद्धि का मार्ग खुल सकता है.;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 2 Sept 2025 6:01 PM IST

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. हर माह दो एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस प्रकार एक साल में कुल 26 एकादशी का व्रत रखा जाता है. हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी को कई दूसरे नामों से भी मनाया जाता है, इसे पद्या एकाकशी, जलझूलनी, वामन, और डोल ग्यारस एकादशी के नाम से जाना जाता है.

आपको बता दें सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को शेषनाग की शैया में करवट बदलते हैं. इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 03 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा. धर्म ग्रंथों में इस एकादशी के व्रत को करने का विशेष महत्व होता है. इस व्रत को करने से सभी तरह के पारों से मुक्ति मिलती और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी की तिथि, उपाय और महत्व.

परिवर्तिनी एकादशी 2025 तिथि

पंचांग गणना के मुताबिक, इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 03 सितंबर को सुबह 03 बजकर 53 मिनट से होगी, जिसका समापन 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर होगा. इस तरह से उदया तिथि के आधार पर परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 03 सितंबर को रखा जाएगा.

शुभ योग

शास्त्रों के अनुसार, एकादशी पर बने शुभ योगों में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी तरह के शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आपको बता दें कि इस साल परिवर्तिनी एकादशी पर आयुष्मान, सौभाग्य और रवि योग का निर्माण हो रहा है. ऐसे में इस योग में एकादशी पर व्रत रहने और पूजा करने से अत्यंत लाभ मिलेगा.

महत्व

परिवर्तिनी एकादशी को वामन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन विशेष रूपल से भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. इस एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करते भगवान विष्णु को पंचामृत से अभिषेक करें, इसके बाद गंगाजल से स्नान कराकर तिलक और अक्षत अर्पित करें. इस एकादशी पर वामन अवतार की कथा सुनने का विशेष महत्व होता है. इस दिन तुलसी की माला से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और शाम के समय भजन-कीर्तन कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना करें इससे सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है.

एकादशी पर उपाय

एकादशी तिथि पर कुछ उपाय करने का विशेष महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी बहुत ही प्रिय होती है. ऐसे में परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान उनको भोग में तुलसी के पत्तो को जरूर शामिल करना चाहिए. इस उपाय को करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्त के जीवन में चली आ रही परेशानियों और दुखों का अंत होता है. इससे अलावा परिवर्तिनी एकादशी पर माता तुलसी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी के पौधे के पास देशी घी का दीपक जलाएं. साथ ही माता तुलसी को चुनरी, सिंदूर और रोली अर्पित करें और लगातार विष्णुजी के मंत्रों का जाप करें. इसे परेशानियों से मुक्ति मिलती है.

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