दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ हो रहा गुरु-शनि का मिलन, इन राशियों को मिलेगा लाभ; पूजा के लिए बन रहा ये शुभ योग

इस दिवाली पर सिर्फ मां लक्ष्मी की कृपा ही नहीं, बल्कि ग्रहों की स्थिति भी आपकी किस्मत चमकाने वाली है. इस बार दिवाली के शुभ अवसर पर गुरु और शनि ग्रह का विशेष संयोग बन रहा है, जो कुछ राशियों के लिए विशेष लाभ लेकर आएगा. ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, यह योग न केवल धन और समृद्धि के संकेत देता है, बल्कि जीवन में निर्णय और करियर में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा.;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 20 Oct 2025 8:26 AM IST

आज दीपोत्सव का पर्व दीपावली है. यह त्योहार हिंदूओं का बहुत बड़ा पर्व होता है जो लगातार 5 दिनों चक चलता है. इस वर्ष दीपावली पर ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग बना है जो वर्षों बाद दोबारा से देखने को मिल रहा है. ज्योतिष गणनाओं के अनुसार इस साल दिवाली पर गुरु अतिचारी होकर अपनी उच्च राशि कर्क में हैं, साथ ही गुरु की द्दष्टि न्याय और कर्मफलदाता शनि के ऊपर रहेगी.

शनि भी गुरु के स्वामित्व वाली राशि मीन में मौजूद हैं. ज्योतिष में गुरु का उच्च राशि में होना और उस पर शनि की द्दष्टि, शनि का मीन राशि में संचरण करना एक दुर्लभ योग माना जाता है.

दिवाली पर गुरु-शनि की दुर्लभ संयोग

ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों के अनुसार इस बार दिवाली पर ऐसा संयोग इससे 676 साल पहले यानी 20 अक्टूबर 1349 में बना था. यह 20 अक्टूबर, सोमवार का दिन ही था. इसके अलावा गुरु भी अपनी उच्च राशि कर्क में थें, गुरु की द्दष्टि शनि पर और शनि मीन राशि में. अब इसके बाद दिवाली पर इस तरह का संयोग 18 अक्टूबर 2085 को बनेगा.

इन चार राशि के लिए रहेगा शुभ समय

इस वर्ष दिवाली पर जहां गुरु उच्च राशि कर्क में होंगे और गुरु की द्दष्टि शनि पर रहेगी साथ ही शनि गुरु की राशि में होंगे, वहीं गुरु पुनर्वसु नक्षत्र में रहेंगे जिसके स्वामी भी गुरु ही हैं और शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रहेंगे इसके स्वामी भी गुरु ही हैं. इन शुभ और दुर्लभ योगों के चलते देश में तरक्की, उन्नति और व्यापार की स्थिति मजबूत होगी. देश के शत्रुओं का बुरा हाल होगा. वहीं अगर सोना-चांदी के दामों के बारे बात करें तो दाम लगातार बढ़ते रहेंगे. इस दुर्लभ संयोग का लाभ चार राशि वालों को सबसे ज्यादा मिलेगा. ये राशियां हैं- कर्क, वृश्चिक, मकर और मीन राशि.

क्यों मनाते हैं दीपावली

शास्त्रों में दीपावली के मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति हुई थी, फिर इसके बाद कार्तिक अमावस्या के दिन महालक्ष्मी प्रकट हुईं थीं. धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का प्रकट होने की खुशी में उत्सव और दीप जलाए गए. इस कारण से दिवाली मानी जाती है.

एक दूसरी कथा के अनुसार, भगवान राम जब अपने 14 वर्षों के वनवास को पूरा करके और रावण का वध करके अयोध्या वापस आए तो कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को सभी नगर वासियों ने भगवान राम के स्वागत में दीये जलाए थे. इसके अलावा एक तीसरी कथा यह भी है भगवान श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन नरकासुर राक्षस का वध किया और अमावस्या पर द्वारिका में प्रवेश किया था, तब भगवान के स्वागत में दीप मालिकाएं जलाकर उनक द्वारिका में स्वागत किया था.

लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है. इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल और स्थिर लग्न सबसे बढ़िया मुहूर्त माना जाता है. ऐसी मान्यता है इस स्थिर मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं और अपने अंश के रूप वास करने लगती हैं. ऐसे में 20 अक्टूबर को दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस तरह से गृहस्थों के लिए पूजा की कुल अवधि 01 घंटा 11 मिनट तक का रहेगा.

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