Bhaum Pradosh Vrat 2025: शुभ योग में भौम प्रदोष व्रत, जानिए तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष कहा जाता है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह से जुड़े अशुभ प्रभाव रहता है उनको भौम प्रदोष व्रत रखना चाहिए. इससे मंगल दोष में कमी आती है और हनुमान जी की कृपा मिलती है.;
आज आषाढ़ माह का आखिरी प्रदोष व्रत है. मंगलवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता हैं. यह प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में कष्टों में कमी आती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
आपको बता दें एक साल कुल 24 प्रदोष व्रत आते हैं और इस तरह से एक माह में दो प्रदोष व्रत, कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ते हैं. आज यानी 08 जुलाई को आषाढ़ माह का आखिरी प्रदोष व्रत है फिर इसके बाद सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाएगा. आइए जानते हैं आज प्रदोष व्रत का महत्व, शुभ योग और महत्व के बारे में.
भौम प्रदोष व्रत तिथि 2025
आज मंगलवार के दिन होने के कारण इसे भौम प्रदोष कहा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि बीते दिन यानी 07 जुलाई को रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू हो गई थी और इस तिथि का समापन 08 जुलाई को देर रात 12 बजकर 39 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर प्रदोष व्रत आज रखा जा रहा है.
व्रत शुभ योग
आज मंगलवार के दिन त्रयोदशी तिथि पड़ने के कारण भौम प्रदोष व्रत के दिन रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है. शास्त्रों में इस योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक प्रदोष व्रत पूजा के लिए शुभ मुहूर्त आज शाम 07 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करना बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है.
प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसी मान्यता है जो भी पूरी भक्ति और निष्ठा के साथ शिवजी की आराधना करता है उसके सभी कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से और शिवजी की पूजा करने से दो गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है. रविवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से आयु में वृद्धि होती है और अच्छी सेहत मिलती है, सोमवार के दिन प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहते हैं इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मंगलवार के दिन के प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम कहते हैं, इससे रोगों के मुक्ति मिलती है.
भौम प्रदोष पर करें इन मंत्रों का जाप
- ऊँ नमः शिवाय
- ऊँ सर्वात्मने नमः
- ऊँ त्रिनेत्राय नमः
- ऊँ हराय नमः
- ऊँ इन्द्रमुखाय नमः
- ऊँ श्रीकंठाय नमः
- ऊँ वामदेवाय नमः