जून से अगस्त तक जा सकेंगे कैलाश मानसरोवर, भोलेनाथ के दर्शन की मुराद होगी पूरी, जल्दी से इस लिंक पर जाकर करें रजिस्ट्रेशन
पांच साल के अंतराल के बाद इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होने वाली है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने हाल ही में घोषणा की है कि तीर्थयात्रा 30 जून से शुरू होगी. कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और बोन धर्म के अनुयायियों द्वारा की जाती है.;
Kailash Mansarovar Yatra: भोलेनाथ के भक्त सालों से कैलाश मानसरोवर जाने और शिव दर्शन का इंतजार कर रहे थे. हालांकि, अब ये इंतजार खत्म हो गया है. ये यात्रा 5 साल के बाद शुरू हो रही है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने हाल ही में घोषणा की है कि तीर्थयात्रा 30 जून 2025 से शुरू होगी, जो कि अगस्त 2025 तक जारी रहेगी. इस यात्रा के संचालन की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) को सौंपी गई है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा में इस साल 5 बैच, जिनमें से प्रत्येक में 50 यात्री होंगे, उत्तराखंड राज्य से लिपुलेख दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेंगे. जबकि 10 बैच, जिनमें से प्रत्येक में 50 यात्री होंगे, सिक्किम राज्य से नाथू ला दर्रे को पार करते हुए यात्रा करने वाले हैं. KMVN के पास जमीनी रसद, भोजन, आवास और यात्रा व्यवस्था की जिम्मेदार होगी. इस यात्रा पर जाने वाला पहला समूह 10 जुलाई को चीन में प्रवेश करेगा. तीर्थयात्रियों का अंतिम समूह 22 अगस्त को भारत के लिए रवाना होगा.
कैलाश मानसरोवर के लिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
कैलाश मानसरोवर जाने के लिए आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा. आवेदन स्वीकार करने के लिए http://kmy.gov.in वेबसाइट खोल दी गई है. भक्तगण इस वेबसाइट पर जाकर सही इन्फॉर्मेशन और डिटेल्स के साथ रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.
रजिस्ट्रेशन के बाद क्या?
कैलाश मानसरोवर यात्रा एक चुनौतीपूर्ण तीर्थयात्रा है जो दिल्ली से शुरू होती है. तिब्बत में प्रवेश करने के लिए तीर्थयात्रियों को पिथौरागढ़ जिले में स्थित लिपुलेख दर्रे से होकर यात्रा करनी होती है. लगभग 250 यात्री 22 दिनों तक चलने वाली इस तीर्थयात्रा में भाग लेते हैं. इन तीर्थयात्रियों को 50-50 के पांच जत्थों में विभाजित किया जाता है.
रजिस्ट्रेशन के बाद दिल्ली में तीर्थयात्री मेडिकल स्क्रीनिंग के बाद यहां से रवाना होंगे. इसके बाद टनकपुर (चम्पावत) तीर्थयात्रियों को यहां एक रात अवश्य बितानी होगी. धारचूला (पिथौरागढ़) में एक और रात्रि प्रवास होगा. गुंजी में यात्रियों को ऊंचाई पर रहने की आदत डालने के लिए यहां दो रातें बितानी पड़ती हैं. नाभिडांग में तीर्थयात्रियों के तिब्बत में प्रवेश करने से पहले दो रात का एक और पड़ाव होगा... इसके बाद तिब्बत के तकलाकोट में प्रवेश बिंदु होगा.
कैलाश मानसरोवर यात्रा क्यों की गई थी स्थगित?
कोविड-19 महामारी के कारण पांच साल पहले 2020 में कैलाश मानसरोवर यात्रा रोक दी गई थी. महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों के कारण श्रद्धालु यात्रा पर नहीं जा सके. भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के कारण यात्रा को फिर से शुरू करने में और देरी हुई.