ड्रैगन पर अब नहीं है भरोसा! चीन से समझौते के बाद भी LAC पर क्यों तैनात रहेगी भारतीय वायुसेना?
India-China border truce: भारतीय वायु सेना (IAF) का बाई एनुअल कमांडर सम्मेलन रविवार को शुरू हुआ, जो बुधवार 20 नवंबर 2024 तक जारी रहेगा. इस सम्मेलन में सुरक्षा के कई अहम मुद्दों पर विचार किया जाता है और आगे की रणनीति तय की जाती है.;
India-China border truce: भारत-चीन सीमा पर संघर्ष विराम तो हो चुका है, लेकिन ड्रैगन की हरकतों से भारत को अब भी उस पर भरोसा नहीं हो रहा. भारतीय वायुसेना पल-पल वास्तविक नियंत्रण रेखा LAC पर चीन की हर हलचल पर नजर रख रही है. ये भारत की ओर से दोस्ती पर शक नहीं, बल्कि चीन की पहले की करतूतों का असर है.
भारतीय वायु सेना (IAF) के कमांडरों का बाई एनुअल कॉन्फ्रेंस दिल्ली स्थित वायु सेना मुख्यालय में शुरू हुआ. ये कॉन्फ्रेंस चीन के साथ LAC पर पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग के टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने के बाद पहली बार हुआ. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, LAC पर मौजूदा IAF तैनाती में तत्काल कोई बदलाव नहीं होगा.
भारत क्यों रख रहा चीन पर नजर?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा तैनाती पर जोर देने के अलावा चर्चा में भारतीय वायुसेना की मॉडर्नाइजेशन प्लानिंग को भी शामिल किया जाएगा, जिसका उद्देश्य उभरते क्षेत्रीय खतरों के सामने अपनी क्षमताओं को मजबूत करना है.
चीन के साथ हाल ही में सीमा पर हुई झड़पों के बीच भारतीय वायुसेना ने अपनी तैनाती को बनाए रखने का फैसला किया है. यह कदम भारत के अपनी सीमाओं की रक्षा करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर संचालन बनाए रखने के लिए है.
वरिष्ठ कमांडरों की बैठक भविष्य की चुनौतियों और देश की रक्षा में वायु सेना की भूमिका के लिए योजना बनाने की होगी.
क्या है बाई-एनुअल कॉन्फ्रेंस?
बाई एनुअल कॉन्फ्रेंस रविवार को शुरू हुआ और बुधवार यानी 20 नवंबर 2024 तक जारी रहेगा. कमांडरों का सम्मेलन भारतीय वायुसेना की ऑपरेटिंग कैपेबिलिटी और तैयारियों की रिव्यू करने के लिए एक मंच के तौर पर काम करता है. खास तौर पर इस सम्मेलन में उत्तरी सीमाओं पर चल रही सुरक्षा चुनौतियों पर विचार किया जाता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कल यानी 19 नवंबर 2024 को सम्मेलन को संबोधित करेंगे.
सम्मेलन में सशस्त्र बलों के भीतर एकीकरण पर चर्चा होगी, जिसका उद्देश्य अंतर-संचालन और कोऑर्डिनेट ऑपरेशन में सुधार करना है. इसके अलावा कॉन्फ्रेंस में सर्दियों की परिचालन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि मौसम की कठोर परिस्थितियों के दौरान सुरक्षा बनाए रखी जा सके.