Diu में क्यों है मातम का माहौल? अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मारे गए 7 पुर्तगाली नागरिक क्या करने आए थे इंडिया?
Ahmedabad Plane Crash: दीव की कुल आबादी 50 हजार से अधिक है. इनमें से कम से कम आधे घरों के लोगों ने पुर्तगाली नागरिकता ले ली है या ब्रिटिश वे नागरिक हैं. बावजूद इसके वे अपनी जड़ों से आज भी जुड़े हुए हैं. घर पर बुजुर्गों से मिलने या शादियों और प्रमुख त्योहारों में शामिल होने के लिए कम से कम साल में एक बाद दीव की यात्रा जरूर करते हैं.;
Air India Plane Crash News: अपनी जड़ों को ना भूलना हमेशा से इंसानी फिरतत का अटूट हिस्सा रहा है. यही वो वजह है, जिसके चलते इंसान दूर रहते हुए भी एक-दूसरे से जुड़ा रहता है, लेकिन अहमदाबाद प्लेन क्रैश सात पुर्तगाली नागरिकों के लिए यह हादसा हमेशा के लिए दुखद साबित हुआ. ऐसा इसलिए कि केंद्र शासित प्रदेश दादर और नगर हवेली के दीव के मूल रूप से रहने वाले सात पुर्तगाली नागरिक अपने परिजनों से मिलने दीव आए थे.
अहमदाबाद प्लेन क्रैश के दिन सातों पुर्तगाली नागरिक उसी प्लेन में सवार होकर वापस लंदन जा रहे थे, लेकिन उन्हें क्या पता इस बार वो वापस पूर्तगाल नहीं पहुंच पाएंगे.
दरअसल, 12 जून को हुए अहमदाबाद प्लेन क्रैश में जान गंवाने वाले 14 यात्री ऐसे थे जो दीव से जुड़े थे. इनमें सात दीव के मूल निवासी और पुर्तगाली नागरिक भी शामिल थे. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार दुर्घटना में मारे 14 यात्रियों में से नौ बुचर वाड़ा ग्राम पंचायत के थे. एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति विश्वास कुमार रमेश दीव में रहने वाले अन्य लोगों में से एक हैं जो ब्रिटिश नागरिक हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने बुचरवाड़ा के एक पंचायत सदस्य दिनेश भानु भाई के हवाले से बताया, "दीव के कई गांवों के लोगों ने पुर्तगाल और यूके की नागरिकता ले ली है, लेकिन वे अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और घर पर बुजुर्गों से मिलने या शादियों और प्रमुख त्योहारों में शामिल होने के लिए कम से कम एक बार वार्षिक यात्रा करते हैं."
दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारियों के अनुसार एयर इंडिया दुर्घटना ने क्षेत्र के कई परिवारों को दुख पहुंचाया, जिनके सदस्य 'नियमित यात्रा' पर थे.
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दीव के अधिकांश लोगों ने ले ली है पुर्तगाल या ब्रिटेन की नागरिकता
दीव की कुल आबादी 50 से अधिक है. इनमें से कम से कम आधे घरों लोगों के लोगों ने पुर्तगाली नागरिकता ले ली है या ब्रिटिश वे नागरिक हैं. यहां रहने वाले अधिकांश निवासी अपनी आजीविका के लिए मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर हैं. अधिकांश परिवारों के सदस्यों ने भविष्य की संभावनाओं के लिए पुर्तगाली नागरिकता ले ली है. विदेश में रहने वाले कुछ लोग स्थानीय व्यवसायों जैसे मछली पकड़ने का प्रबंधन करने में मदद करते हैं, जिसे उनके परिवार अपने देश में संभालते हैं. यही वजह है कि वे अक्सर आते रहते हैं. दीवमें नागरिकता के लिए पात्र युवा पुर्तगाल में बसने की इच्छा रखते हैं.”
क्या है दीव का इतिहास?
भानु भाई के मुताबिक दीव के इतिहास में यह अनूठी कड़ी 16वीं शताब्दी से शुरू होती है. जब यह द्वीप 1961 में भारत में शामिल होने तक पुर्तगाल का उपनिवेश था. पुर्तगाल ने बाद में अपने पूर्ववर्ती “एस्टाडो दा इंडिया” (भारत का राज्य) में पैदा हुए लोगों को पुर्तगाली राष्ट्रीयता बनाए रखने की अनुमति दी. एक ऐसा प्रस्ताव जिसमें उनके वंशजों की दो पीढ़ियां भी शामिल थीं.
अधिकारियों के अनुसार दीव के गांवों के कई लोगों ने ब्रिटिश नागरिक बनने का विकल्प चुना. पुर्तगाली नागरिकता प्राप्त करने के बाद उन्हें ब्रिटेन में रहने और काम करने की अनुमति दी गई. जब देश यूरोपीय संघ का हिस्सा था. एक बार जब वे ब्रिटेन में एक निश्चित अवधि के लिए रुक गए तो वे दोहरी नागरिकता प्राप्त करने के पात्र हो गए.
दीव के 14 लोगों की अहमदाबाद दुर्घटना में मृत्यु के बाद गांवों के कई लोग अपने प्रियजनों की पहचान में मदद करने के लिए अहमदाबाद में हैं. सोमवार को अधिकारियों ने कहा कि पहचान के बाद दो शवों को दीव भेज दिया गया. दीव से जुड़े सात पुर्तगाली नागरिकों की पहचान चंदू बगुआने, संतूभाई बीका, हेमक्सी शांतिलाल, वनिता कान्हा, देवजी लछमने, गिरीश लालजी और आर वासरामो प्रेमगी के रूप में हुई है.