जहां ज़ुल्म होगा, वहां जिहाद होगा... मौलाना महमूद मदनी ने फिर शेयर किया ‘जिहाद’ वाली तकरीर का Video

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पुरानी तकरीर दोबारा शेयर की है जिसमें वे 'जिहाद' शब्द की पवित्रता पर जोर दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज मीडिया और कुछ राजनीतिक लोग जानबूझकर जिहाद को 'लव जिहाद', 'थूक जिहाद', 'जमीन जिहाद' जैसे शब्दों से जोड़कर बदनाम कर रहे हैं, जबकि इस्लाम में जिहाद का मतलब हर तरह के ज़ुल्म के खिलाफ संघर्ष है। मौलाना ने साफ शब्दों में दोहराया, 'जहां ज़ुल्म होगा, वहां जिहाद होगा. यह बात मैं बार-बार कहता रहूंगा.';

( Image Source:  Facebook : Maulana Mahmood Madani )
Edited By :  रूपाली राय
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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बार फिर अपनी पुरानी तकरीर (भाषण) को सोशल मीडिया पर दोबारा शेयर किया है, जिसमें वे 'जिहाद' शब्द के बारे में विस्तार से बात कर रहे हैं. इस वीडियो में वे बहुत साफ और जोर देकर कहते हैं कि 'जिहाद' एक बहुत पवित्र और पाक शब्द है. लेकिन आजकल मीडिया, कुछ राजनीतिक लोग और सरकारें इसे जानबूझकर गलत तरीके से पेश कर रही हैं.

लोग इसे 'लव जिहाद', 'थूक जिहाद', 'जमीन जिहाद', 'वोट जिहाद' जैसे शब्दों के साथ जोड़कर बदनाम कर रहे हैं यह गलत है. जिहाद हमेशा से पवित्र था, आज भी है और क़यामत तक पवित्र रहेगा. जब-जब इस दुनिया में ज़ुल्म होगा, अन्याय होगा, तब-तब जिहाद भी होगा. मैं यह बात बार-बार दोहराता हूं जहां ज़ुल्म होगा, वहां जिहाद होगा'. 

संविधान मुसलमानों के प्रति वफादार है  

हालांकि इसके साथ ही मौलाना मदनी ने यह भी बहुत साफ कर दिया कि भारत जैसे लोकतांत्रिक और सेक्युलर देश में जिहाद का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. उन्होंने कहा, 'भारत में संविधान सबसे ऊपर है. यहां की सरकार लोकतंत्र से चलती है. यहां के मुसलमान संविधान के प्रति पूरी तरह वफादार हैं और संविधान का पूरा सम्मान करते हैं. यहां जिहाद का कोई मतलब नहीं बनता. यहां सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संविधान के मुताबिक हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करे. अगर सरकार ऐसा नहीं करती, तो उसकी अपनी गलती है, उसकी अपनी जिम्मेदारी है.'

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सुप्रीम कोर्ट तभी कोर्ट कहलाएगा...

मौलाना ने सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका पर भी सवाल उठाए उनका कहना था, 'सुप्रीम कोर्ट तभी सुप्रीम कोर्ट कहलाने का हक रखता है, जब तक वह संविधान की पूरी रक्षा करेगा. अगर संविधान की रक्षा नहीं होगी, तो न कानूनी तौर पर और न ही नैतिक तौर पर वह सुप्रीम कोर्ट कहलाने लायक रहेगा. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद और अन्य मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि 1991 के पूजा स्थल कानून (वर्शिप एक्ट) के बावजूद इन मामलों में सुनवाई हो रही है, जो अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है. 

मुसलमानों को दी सलाह

मौलाना मदनी ने देश के मौजूदा माहौल पर भी बात की. उनका कहना था, 'आज देश में तीन तरह के लोग हैं लगभग 10% लोग ऐसे हैं जो मुसलमानों के साथ खड़े हैं और उनका साथ देते हैं. लगभग 30% लोग ऐसे हैं जो मुसलमानों के सख्त खिलाफ हैं और सबसे बड़ी तादाद यानी करीब 60% लोग चुप हैं, वे न इस तरफ हैं, न उस तरफ. मुसलमानों को चाहिए कि वे इन 60% चुप रहने वाले लोगों से बात करें. अपनी सच्चाई उनके सामने रखें. उन्हें समझाएं कि हम कौन हैं, हमारा दीन क्या सिखाता है. अगर ये 60% लोग भी मुसलमानों के खिलाफ हो गए, तो देश में बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा. याद दिला दें कि कुछ दिन पहले भी मौलाना महमूद मदनी ने यही बात कही थी कि 'ज़ुल्म होगा तो जिहाद होगा'. उस बयान की काफी आलोचना हुई थी अब उन्होंने उसी भाषण को दोबारा सोशल मीडिया पर शेयर करके अपनी बात को और मजबूती से रखा है. 

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