सिखों के दर्द का जवाब दो...! 1984 के दंगों पर राहुल से हुआ सवाल तो बोले- कांग्रेस की हर गलती की ज़िम्मेदारी लेता हूं

ब्राउन यूनिवर्सिटी में सिख युवक के तीखे सवालों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने 1984 सिख विरोधी दंगों को 'गलती' माना. उन्होंने कहा कि वे उस दौर में मौजूद नहीं थे, फिर भी कांग्रेस की ऐतिहासिक भूलों की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं. यह बयान कांग्रेस की आत्म-स्वीकृति की दिशा में एक कदम है, लेकिन सिख समुदाय की पीड़ा अभी भी जवाब मांग रही है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 4 May 2025 12:51 PM IST

राहुल गांधी जब ब्राउन यूनिवर्सिटी में बोल रहे थे, तो उनसे 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर तीखा सवाल पूछा गया. एक ऐसा विषय जो दशकों से कांग्रेस पार्टी का पीछा कर रहा है. जवाब में राहुल गांधी ने यह कहते हुए दूरी बनाने की कोशिश की कि ये घटनाएं तब हुई थीं जब वह राजनीति में सक्रिय नहीं थे. लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह पार्टी की ऐतिहासिक गलतियों की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं. यह एक्सेप्टेंस भारतीय राजनीति में कम ही देखने को मिलती है.

सवाल पूछने वाले सिख युवक ने सिर्फ एक राजनीतिक आरोप नहीं लगाया, बल्कि यह दर्शाया कि सिख समुदाय के भीतर कांग्रेस के खिलाफ गहरे असंतोष की भावना अब भी बनी हुई है. उसने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव और 1984 के दोषियों पर कार्रवाई की धीमी प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस की नीयत पर सवाल खड़े किए. यह उस सामाजिक और धार्मिक ट्रॉमा की अभिव्यक्ति थी जिसे राजनीति ने अक्सर अनदेखा किया है.

राहुल गांधी का संतुलित बचाव

अपने उत्तर में राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अतीत की गलतियों को गलत माना है, और कई बार सिख धर्मस्थलों की यात्राएं की हैं. उन्होंने सिखों के साहस और आत्मविश्वास पर भरोसा जताते हुए यह कहा कि उनका सवाल यह है कि क्या हम ऐसा भारत चाहते हैं जहां लोग अपने धर्म का प्रदर्शन न कर सकें. उनका यह जवाब एक भावनात्मक, लेकिन रणनीतिक संतुलन बनाने की कोशिश थी.

कांग्रेस की आत्म-चिंतन की कमी

सिख युवक का आरोप यह भी था कि कांग्रेस में अब भी अपनी गलतियों को लेकर मैच्योरिटी की कमी है. उसने कहा कि सज्जन कुमार जैसे दोषी तो सामने आ गए, लेकिन पार्टी में अभी भी ऐसे कई चेहरे हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से उस हिंसा से जुड़े थे. यह बात कांग्रेस के उस संकट की ओर इशारा करती है, जिसमें वह अपने इतिहास से पारदर्शिता से नहीं निपट पा रही है.

भाजपा का उभरता नैरेटिव

युवक ने अपने सवाल में भाजपा के खतरे को स्वीकार करते हुए भी राहुल गांधी से सवाल किया कि अगर कांग्रेस ने सामंजस्य नहीं बनाया, तो भाजपा पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत कर लेगी. यह चेतावनी सिर्फ एक राजनीतिक विश्लेषण नहीं थी, बल्कि यह दर्शाता है कि अब सिख समुदाय उन दलों की ओर देख रहा है जो उनके साथ संवाद स्थापित करने के लिए तैयार हों, भले ही वह विचारधारा में उनके विरोधी हों.

ऑपरेशन ब्लूस्टार नहीं छोड़ रहा पीछा

1980 के दशक की घटनाएं जैसे ऑपरेशन ब्लूस्टार और अकाल तख्त का ध्वस्त होना आज भी सिख समुदाय के दिलों में जिंदा हैं. भिंडरांवाले की मौत और इसके बाद हुए रक्तपात ने कांग्रेस को एक ऐसे मोड़ पर खड़ा कर दिया जहां से विश्वास की पुनर्स्थापना एक लंबी प्रक्रिया बन गई. राहुल गांधी की पीढ़ी उस समय की नीतियों की उत्तराधिकारी है, और उनसे सवाल पूछना एक नैतिक आवश्यकता है.

अंतरराष्ट्रीय मंच पर कांग्रेस की छवि

अमेरिका में हुए इस संवाद में जो सबसे अहम बात उभरी, वह यह थी कि कांग्रेस अब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी कठघरे में खड़ी की जा रही है. वरिष्ठ भाजपा नेता अमित मालवीय ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि अब उनका उपहास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होने लगा है. इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस का अतीत अब सिर्फ एक घरेलू राजनीतिक बोझ नहीं, बल्कि एक वैश्विक छवि संकट भी बन चुका है.

शंकराचार्य ने राहुल गांधी को हिंदू धर्म से निकाला

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि राहुल अब से हिंदू नहीं माने जाएंगे, क्योंकि उन्होंने संसद में मनुस्मृति को खारिज करते हुए केवल संविधान को मानने की बात कही थी. शंकराचार्य ने इस बयान पर स्पष्टीकरण मांगा और पत्र भी भेजा, लेकिन तीन महीने तक कोई जवाब न मिलने के बाद यह कठोर कदम उठाया गया.

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