बंगाल में नया विवाद: SIR रजिस्ट्रेशन से 79 आदिवासियों का बायकॉट, कहा - 'गांव की माझी... नागरिकता लेने से भी इनकार'

पश्चिम बंगाल में 79 आदिवासी परिवारों ने SIR प्रक्रिया में रजिस्ट्रेशन से साफ इनकार कर दिया है. उन्होंने दावा किया कि वे पारंपरिक ‘माझी सरकार’ के प्रति वफादार हैं और सरकारी प्रशासनिक प्रक्रियाओं के बजाय समुदाय आधारित शासन को मानते हैं. इस निर्णय से जिला प्रशासन में हलचल मच गई है.;

( Image Source:  ANI )

पश्चिम बंगाल के आदिवासी बहुल इलाके में SIR (Social Identity Registration) प्रक्रिया को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. यहां 79 आदिवासियों ने सरकारी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को ठुकराते हुए कहा कि वे केवल अपनी पारंपरिक ‘माझी सरकार’ का आदेश मानते हैं. समुदाय आधारित यह स्वशासन व्यवस्था सदियों पुरानी है, जिसके प्रति स्थानीय लोग आज भी गहरी निष्ठा रखते हैं. प्रशासन ने इस फैसले को गंभीर मानते हुए स्थिति की समीक्षा शुरू कर दी है.

इस बात से भी किया इनकार  

अधिकारियों के अनुसार 79 आदिवासी निवासियों ने वोटर लिस्ट में अपना नाम नहीं लिखवाया है. कथित तौर पर बाहरी लोगों के प्रभाव में आकर जो खुद को माझी सरकार का प्रतिनिधि बता रहे हैं. गांव वालों ने कहा कि उन्होंने उस ग्रुप से पहचान पत्र ले लिए हैं और भारत सरकार की नागरिकता स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. 

सरकार की योजना पर उठे सवाल

SIR रजिस्ट्रेशन का उद्देश्य हर नागरिक का रिकॉर्ड, पहचान और सरकारी योजनाओं से जोड़ना है, लेकिन आदिवासियों ने आशंका जताई कि इससे पारंपरिक शासन खत्म हो सकता है. समुदाय की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा. सरकारी हस्तक्षेप बढ़ जाएगा. बीडीओ-एसडीपीओ की बात नहीं असर. 

रानीबांध की BDO अनीशा यश और खटरा के SDPO अभिषेक यादव ने वोटर रजिस्ट्रेशन का महत्व समझाया, लेकिन निवासी अपनी बात पर अड़े रहे. प्रशासन ने कहा कि वे गांवों में फिर से जाएंगे और वोटर रजिस्ट्रेशन पर जागरूकता अभियान जारी रखेंगे.

अधिकारियों ने कहा, "हम फिर से गांवों में जाएंगे और लोगों को समझाने की कोशिश करेंगे। हम लगातार इस बात पर कैंपेन करते रहेंगे कि वोटर लिस्ट में आपका नाम होना क्यों जरूरी है."

क्या है SIR का मकसद?

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) भारत के चुनाव आयोग द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि सभी योग्य नागरिक चुनावी रोल में शामिल हों और कोई भी अयोग्य वोटर लिस्ट में शामिल न हो.

SIR का काम अभी 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है, जिनमें उत्तर प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. अगले साल इनमें से चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनके नाम हैं केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी.

16 दिसंबर को प्रकाशित होगा SIR ड्राफ्ट

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया 11 दिसंबर को एन्यूमरेशन पीरियड और पोलिंग स्टेशनों के रैशनलाइजेशन के साथ शुरू होगी. 12 से 15 दिसंबर तक, कंट्रोल टेबल को अपडेट किया जाएगा और ड्राफ्ट चुनावी रोल तैयार किया जाएगा, जिसे 16 दिसंबर को प्रकाशित किया जाएगा.

अंतिम रोल 14 फरवरी को

दावे और आपत्तियां 16 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच दर्ज की जा सकती हैं, जबकि नोटिस चरण 7 फरवरी तक जारी रहेगा. अंतिम रोल 14 फरवरी को प्रकाशित किया जाएगा.

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