ट्रंप ने भारत पर जड़ा 50% टैरिफ, उसी बीच दिल्ली आ रहे पुतिन! क्या बढ़ेगा अमेरिका से टकराव?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल भारत दौरे पर आ सकते हैं, जो यूक्रेन युद्ध के बाद उनकी पहली भारत यात्रा होगी. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीद को लेकर 50% टैरिफ लगा दिया है. भारत ने रूस के साथ अपनी 'समय-की-कसौटी पर खरी' दोस्ती को मजबूत बताया है और ऊर्जा सुरक्षा का हवाला देते हुए तेल खरीद को जायज़ ठहराया है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 7 Aug 2025 6:41 PM IST

Vladimir Putin India Visit 2025 : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल नई दिल्ली का दौरा कर सकते हैं. यह यात्रा ऐसे समय पर संभावित है. जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है और द्विपक्षीय संबंधों पर सवाल खड़े किए हैं. यदि पुतिन भारत आते हैं, तो यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद उनकी पहली भारत यात्रा होगी.

रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण और उसके बाद 2023 में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) द्वारा 'युद्ध अपराधों' के आरोप में जारी गिरफ्तारी वारंट के चलते पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय यात्राएं सीमित कर दी थीं. हालांकि भारत ICC का सदस्य नहीं है, इसलिए यह वारंट यहां लागू नहीं होता.

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल पुतिन से दो बार की मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए संवाद और शांति की अपील कर चुके हैं. उन्होंने पिछले वर्ष पुतिन से दो बार मुलाकात की- पहली बार जुलाई 2024 में मॉस्को में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में और दूसरी बार कज़ान में 16वें ब्रिक्स सम्मेलन में.

भारत और रूस के रिश्तों की बुनियाद कब रखी गई थी?

अब जब अमेरिका खासकर डोनाल्ड ट्रंप भारत की रूस से नजदीकी पर सवाल उठा रहे हैं, यह यात्रा एक अहम संकेत बन सकती है. भारत ने अमेरिका के साथ क्वाड जैसे मंचों पर रणनीतिक संबंध मजबूत किए हैं, लेकिन रूस को अब भी 'विश्वसनीय और समय-परीक्षित साझेदार' मानता है. भारत और रूस के रिश्तों की बुनियाद 1971 के युद्ध में रखी गई थी, जब अमेरिका ने पाकिस्तान के समर्थन में युद्धपोत भेजा था और रूस ने भारत का साथ दिया था.

भारत ने सस्ते तेल खरीद को आर्थिक हित और ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी बताया

भारत ने सस्ते तेल खरीद को अपने आर्थिक हित और ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है. दोनों देशों के बीच 2000 में रणनीतिक साझेदारी की घोषणा के बाद से रक्षा, व्यापार, संस्कृति, और विज्ञान-तकनीक के क्षेत्र में संबंध गहरे हुए हैं. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों के बीच अब तक 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं. भारत और रूस संयुक्त राष्ट्र, G20, ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे मंचों पर भी सहयोग करते हैं.

50 अरब डॉलर के निवेश का नया लक्ष्य

व्यापारिक स्तर पर दोनों देशों ने 2025 तक $30 अरब के लक्ष्य को पहले ही पार कर लिया है, और अब $50 अरब के निवेश का नया लक्ष्य रखा गया है. रक्षा क्षेत्र में भारत-रूस सहयोग बेहद मजबूत है, जिसमें S-400 सिस्टम, T-90 टैंक, Su-30MKI, MiG-29, कामोव हेलिकॉप्टर, INS विक्रमादित्य, AK-203 राइफल्स और ब्रह्मोस मिसाइलें प्रमुख हैं. हाल ही में ब्रह्मोस मिसाइल सुर्खियों में रही, जब उसे ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ढांचों पर हमला करने में इस्तेमाल किया गया. चार दिन की मुठभेड़ में पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलों को गिराने में भी ब्रह्मोस का अहम योगदान रहा.

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