क्या आईफोन यूजर्स से ज्‍यादा किराया वसूलती हैं Uber और ओला जैसी कंपनियां? खुद कंपनी ने दिया जवाब

ऑनलाइन कैब सर्विस प्रोवाइडर्स ओला और ऊबर पर अकसर फोन के आधार पर सस्ती और महंगे किराया वसूलती है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक बार फिर से बहस छिड़ी. जिसपर खुद ऊबर कंपनी ने प्रतिक्रिया दी और बताया कि आखिर ऐसा क्यों होता है.;

( Image Source:  Social Media: X )
Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 26 Dec 2024 3:43 PM IST

कैब सर्विस ऑपरेटर्स ओला और ऊबर जैसी कंपनियों भी लोगों के ट्रैवल का अहम हिस्सा बनती जा रही है. लेकिन एक बार फिर से कैब के फेयर्स को लेकर कस्टमर्स में बहस छिड़ी है. बहस इस बात पर कि कंपनी एंड्रॉयड यूजर्स कसे कम और आईओएस यूजर्स से ज्यादा पैसे चार्ज करती है. सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस छिड़ी है. कई लोग अपने-अपने प्लेटफॉर्म पर फेयर्स की फोटोज शेयर करते नजर आ रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जब सच जाना गया और दोनों ही डिवाइस का इस्तेमाल कर फेयर जानने की कोशिश की गई तो सामने आया कि एक ही जगह पर जाने के लिए एक साथ दोनों डिवाइस में फेयर जब चेक किया तो दोनों डिवाइस में फेयर अलग शो हुए. हालांकि ये किसी तरह का प्रूफ नहीं है क्योंकी अगले दिन भी उसी लोकेशन का फेयर जब देखा गया तो अलग दिखाया.

फोन के आधार पर सेट होती है प्राइसिंग?

इस पर ऊबर की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई है. कंपनी का कहना है कि ऐसी कोई पॉलिसी नहीं कि यूजर्स के फोन के आधार पर प्राइसिंग सेट की जाती है. केवल टाइम, डिस्टैंस और उस दौरान स्पेसिफिक एरिया के अनुसार और कैब की डिमांड देखते हुए प्रासिंग शो की जाती है. वहीं ओला की ओर से इस पर कुछ नहीं कहा गया है.

इधर सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे प्राइस के कंपैरिजन में कई ट्वीट शेयर किए हैं. पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर में दो फोन दिखाई दे रहे हैं और इन दोनों डिवाइस में फेयर अलग दिखाए जा रहे हैं. केवल एंड्रॉयड और आईफोन डिवाइस का फर्क फोटो में दिखाई दे रहा है. हालांकि इस बहस के बीच कुछ लोगों ने इसपर सलाह भी दी कि आखिर कैसे इससे आप बच सकते हैं.

एक्सपर्ट्स ने दी ये सलाह

एक्सपर्ट्स के अनुसार ऐप इंस्टॉलेशन के दौरान ऐप द्वारा मांगी गई डेटा पर्मिशन का किराए पर असर पड़ सकता है. हालांकि कुछ का ऐसा भी कहना है कि कंपनिया ऐसे यूजर्स से ज्यादा पैसे लेती हैं जो अकसर प्राइस चेक करके बुकिंग करते हैं. यूजर्स द्वारा ऐप के इस्तेमाल के आधार पर कंपनी फेयर की प्रिडिक्ट करती है. कुछ का कहना है कि अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो अपने ऐप के कैश को रोजाना डिलीट कीजिए. 

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