जान बचाता ही नहीं, ले भी सकता है एयर बैग; ये सावधानियां बरतनी हैं जरूरी
हाल ही में मुंबई के पास वाशी में एक सड़क दुर्घटना में 6 साल के बच्चे की मौत हो गई. यह बच्चा कार में बैठा था और कार की स्पीड भी ज्यादा नहीं थी. दुर्घटना के दौरान अचानक खुले एयरबैग की वजह से बच्चे को गंभीर अंदरूनी चोटें आईं, जिससे उसकी जान चली गई. डॉक्टरों ने बताया कि एयरबैग के दबाव से चोटें लगीं और खून अंदर ही बहता रहा, जो जानलेवा साबित हुआ.

भारत में अब हर कार में एयरबैग देना अनिवार्य है, जो ड्राइवर और पैसेंजर्स की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, उचित सड़क सुरक्षा नियमों का पालन न करने पर यह फीचर खतरे का कारण भी बन सकता है. हाल ही में मुंबई के पास वाशी में एक सड़क दुर्घटना में 6 साल के बच्चे की मौत हो गई. यह बच्चा कार में बैठा था और कार की स्पीड भी ज्यादा नहीं थी. दुर्घटना के दौरान अचानक खुले एयरबैग की वजह से बच्चे को गंभीर अंदरूनी चोटें आईं, जिससे उसकी जान चली गई. डॉक्टरों ने बताया कि एयरबैग के दबाव से चोटें लगीं और खून अंदर ही बहता रहा, जो जानलेवा साबित हुआ.
एयरबैग जो एक सेफ्टी फीचर के रूप में डिज़ाइन किया गया है, सही तरीके से इस्तेमाल न करने पर जानलेवा भी हो सकता है. खासकर अगर किसी ने सीट बेल्ट नहीं लगाई हो और एयरबैग खुल जाए, तो यह गंभीर चोट का कारण बन सकता है.
बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष ध्यान
13 साल से कम उम्र के बच्चों को हमेशा पिछली सीट पर बैठाना चाहिए, क्योंकि फ्रंट सीट की तुलना में रियर सीट 70% ज्यादा सुरक्षित होती है. कंपनियां फ्रंट एयरबैग्स को वयस्कों के हिसाब से डिज़ाइन करती हैं. यदि छोटे बच्चे को फ्रंट सीट पर बैठाया जाए, तो दुर्घटना के समय उसे गंभीर चोट लगने की संभावना रहती है.
सुरक्षा के लिए इन बातों का रखें ध्यान
- ड्राइव के दौरान चाइल्ड लॉक का उपयोग करें
- बच्चों को सनरूफ से सिर बाहर निकालने न दें
- एयरबैग्स के साथ सीट बेल्ट लगाने के नियमों का पालन करें
- गाड़ी में बैठते ही सीट बेल्ट लगाने की आदत डालें
- छोटे बच्चों को आगे की सीट पर बिल्कुल न बैठाएं
- बच्चों के लिए पिछली सीट पर चाइल्ड सीट का उपयोग करें
- बूस्टर सीट का इस्तेमाल करें, ताकि बच्चे सीट बेल्ट का सही उपयोग कर सकें
इन सावधानियों को अपनाकर सड़क दुर्घटनाओं के दौरान संभावित खतरों को कम किया जा सकता है.
एयरबैग कैसे काम करता है?
कार में कई सेंसर लगाए जाते हैं, जिनमें से एक सेंसर विशेष रूप से एयरबैग से जुड़ा होता है. जब कार टकराती है तो यह सेंसर एक्टिव हो जाता है और इंफ्लेटर तक इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल भेजता है. इंफ्लेटर जो एयरबैग के साथ जुड़ा होता है, इस सिग्नल को प्राप्त करते ही एयरबैग को फुला देता है, जिससे दुर्घटना के दौरान यात्रियों को सुरक्षा मिलती है.