भारत-यूएस के बीच होगा ट्रेड समझौता! टैरिफ को कैसे डील कर रहा देश; जानें जयशंकर-रुबियो की क्या हुई बातचीत
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच हुई वार्ता में द्विपक्षीय व्यापार समझौते के शीघ्र समापन पर बल दिया गया. अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26% टैरिफ की पृष्ठभूमि में यह चर्चा अहम रही. दोनों पक्षों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण और तकनीकी साझेदारी जैसे मुद्दों पर भी विचार शेयर किए.;
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने के लिए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच फोन पर बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर सहमति जताई. बातचीत का एक प्रमुख बिंदु द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द अंतिम रूप देना था.
हाल ही में अमेरिका द्वारा पारस्परिक टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद यह बातचीत और भी महत्वपूर्ण हो गई है. राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में घोषित इन टैरिफों में भारत पर 26 प्रतिशत शुल्क लागू किया गया है, जबकि चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों पर इससे भी अधिक टैरिफ लगाए गए हैं. भारत पर अपेक्षाकृत कम शुल्क लगाने के बावजूद, इसका व्यापारिक असर गहरा माना जा रहा है.
विदेश मंत्री ने क्या लिखा?
एस. जयशंकर ने वार्ता के बाद सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए लिखा कि उन्होंने इंडो-पैसिफिक, यूरोप, मध्य पूर्व और कैरिबियन जैसे क्षेत्रों में भी साझा रणनीतियों पर चर्चा की है. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत दिखे कि व्यापार समझौते का शीघ्र समापन दोनों देशों के आर्थिक हितों के लिए अहम है. इससे न केवल टैरिफ मुद्दों पर समाधान निकल सकता है, बल्कि निवेश और तकनीकी सहयोग भी बढ़ाया जा सकेगा.
सरकार कर रही समीक्षा
सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित टैरिफ की समीक्षा की जा रही है. वाणिज्य मंत्रालय ने उद्योग और निर्यातकों के साथ बातचीत की प्रक्रिया तेज कर दी है ताकि इस नीति परिवर्तन से उत्पन्न जोखिम और अवसर दोनों को समझा जा सके. सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है व्यापार नीतियों में सामंजस्य बैठाकर देश के हितों की रक्षा करना.
जल्द होगा समझौता
इन प्रयासों के बीच भारत और अमेरिका के बीच सप्लाई चेन इंटीग्रेशन, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, और नई व्यापार रणनीतियों पर बातचीत जारी है. माना जा रहा है कि यदि आने वाले महीनों में समझौता होता है तो यह वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा और द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा.