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साहिल या सौरभ... मुस्कान के बच्चे का बाप कौन? DNA रिपोर्ट से खुलेगा राज

मेरठ के सौरभ हत्याकांड में आरोपी मुस्कान की जेल में मेडिकल जांच के दौरान एक महीने की गर्भवती होने की पुष्टि हुई है. प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या के बाद वह जेल में बंद है. अब जेल प्रशासन उसे विशेष सुविधाएं देगा। यह घटना न्याय, मानवाधिकार और सामाजिक व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े करती है. कानूनी प्रक्रिया गर्भावस्था से प्रभावित नहीं होगी.

साहिल या सौरभ... मुस्कान के बच्चे का बाप कौन? DNA रिपोर्ट से खुलेगा राज
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 8 April 2025 7:41 AM

मेरठ के चर्चित सौरभ हत्याकांड में नया मोड़ तब आया जब आरोपी मुस्कान की जेल में हुई मेडिकल जांच में वह गर्भवती पाई गई. डॉक्टरों की टीम ने उसे एक महीने का गर्भवती बताया है. जेल प्रशासन ने अब मुस्कान को विशेष देखभाल के लिए महिला कैदियों की अलग बैरक में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. उसे खून की कमी की दवाएं दी जा रही हैं और जल्द ही अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर ले जाया जाएगा.

तीन मार्च की रात ब्रह्मपुरी क्षेत्र में मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर पति सौरभ की हत्या कर दी थी. आरोप है कि सौरभ को बेहोश करने के बाद उसकी छाती में चाकू से वार कर उसकी जान ली गई. इसके बाद शव के टुकड़े कर एक नीले ड्रम में डालकर सीमेंट से ढक दिया गया. पुलिस ने हत्या का खुलासा 18 मार्च को किया और दोनों को 19 मार्च को जेल भेज दिया गया.

आखिर किसका है बच्चा?

अब साल उठता है कि मुस्कान के पेट में पल रहा बच्चा आखिर किसका है. बॉयफ्रेंड साहिल का या पति सौरभ का. इस बात का पता तो डीएनए रिपोर्ट के बाद ही पता चल पायेगा. अब जेल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह मुस्कान की देखभाल करें और उस नन्ही सी जान को सुरक्षित दुनिया में आने के लिए हरसंभव प्रयास करे.

अभी तक मिलने नहीं पहुंचा परिवार

हत्या की यह घटना जहां समाज को झकझोरने वाली थी, वहीं अब मुस्कान की गर्भावस्था ने इसे और भी संवेदनशील बना दिया है. मेडिकल जांच के बाद जेल अधीक्षक ने पुष्टि की कि मुस्कान अब विशेष निगरानी में रहेगी और उसे प्रसूति से जुड़ी सभी सुविधाएं दी जाएंगी. फिलहाल मुस्कान से मिलने उसके परिवार का कोई भी सदस्य जेल नहीं आया है, जबकि साहिल की नानी दूसरी बार उससे मिलने पहुंचीं.

केस पर नहीं पड़ेगा असर

वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित आनंद कश्यप के अनुसार, किसी आरोपी महिला के गर्भवती होने से न्यायिक प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ता. मुकदमा यथावत चलेगा, लेकिन जेल प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि वह गर्भवती महिला को मातृत्व सुविधाएं प्रदान करे. कानूनी रूप से उसे बेहतर खान-पान, चिकित्सा देखरेख और शारीरिक श्रम से मुक्त रखा जाएगा.

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