घुसपैठियों का सफाया और राष्ट्रवादी मुस्लिमों पर नजर, बंगाल में ममता के कोर वोटर को क्यों साधना चाह रही बीजेपी?
बिहार की बड़ी जीत के बाद बंगाल भाजपा को पूरा भरोसा है कि 2026 में वह ममता बनर्जी को हरा सकती है, लेकिन इसके लिए उसे कुछ मुस्लिम वोट चाहिए. इसलिए अब पार्टी 'कट्टर हिंदुत्व' के साथ-साथ 'राष्ट्रवादी मुसलमानों' को साथ लाने की दोहरी रणनीति चला रही है. यही कारण है कि बिहार वाला सख्त तेवर अब बंगाल में नरम पड़ गया है.;
हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके गठबंधन (एनडीए) ने बहुत बड़ी जीत हासिल की. 243 सीटों में से 200 से ज्यादा सीटें जीत ली. इस जीत से पहले भाजपा ने बिहार में चुनाव आयोग के उस विशेष अभियत अभियान (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर) का जोर-शोर से समर्थन किया था, जिसमें कहा गया था कि इससे बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठिए और फर्जी वोटर मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे.
उस समय विपक्ष ने आरोप लगाया था कि असल में मुसलमानों के नाम काटे जा रहे हैं. लेकिन अब जब वही एसआईआर अभियान पश्चिम बंगाल सहित दूसरे राज्यों में भी चल रहा है, तो बंगाल की भाजपा ने अपना लहजा बहुत नरम कर लिया है. अब बंगाल भाजपा के नेता कह रहे हैं, 'हम राष्ट्रवादी मुसलमानों के खिलाफ बिल्कुल नहीं हैं.'
क्यों बदला लहजा?
क्योंकि बंगाल की राजनीति बिहार से बहुत अलग है. बिहार में जाति का गणित बहुत बड़ा रोल खेलता है, वहां हिंदू वोट कई टुकड़ों में बंटे रहते हैं, इसलिए ध्रुवीकरण आसान हो जाता है. बंगाल में जाति की राजनीति लगभग नहीं के बराबर है और हिंदू वोट पहले से ही काफी हद तक एकजुट रहते हैं. यहां मुसलमान करीब 30% हैं (2011 की जनगणना के अनुसार 27% से थोड़ा ज्यादा). कुल 294 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 40-50 सीटें ही ऐसी हैं जहां मुसलमान निर्णायक बहुमत में हैं, बाकी सीटों पर वे 15-25% तक हैं, लेकिन वही 15-25% वोट अक्सर चुनाव का फैसला कर देते हैं. 2021 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बंगाल में मुस्लिम वोट लगभग शून्य ही मिले थे. अब पार्टी नहीं चाहती कि 2026 के चुनाव में भी वही गलती दोहराई जाए.
गुटबाजी में एक-दूसरे को मारा
एक बड़े भाजपा नेता ने साफ-साफ कहा, 'हम उन मुस्लिम मतदाताओं को लक्ष्य बना रहे हैं जो अब ममता बनर्जी और टीएमसी से नाराज़ चल रहे हैं. बहुत से मुसलमान इलाकों में टीएमसी के गुंडों ने आपसी गुटबाजी में एक-दूसरे को मारा है. लोग थक चुके हैं हम उनसे कह रहे हैं – देखो गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में मुसलमान सुरक्षित और शांति से रह रहे हैं, बंगाल में पिछले तीन-चार साल में जितने मुसलमान मारे गए, उतने शायद कहीं और नहीं मारे गए.' नए प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी भी अब यह संदेश दे रहे हैं कि भाजपा किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि सिर्फ अवैध घुसपैठियों, रोहिंग्या और कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ है. जो भारतीय मुसलमान देश से प्यार करते हैं और कानून मानते हैं, उनके साथ हमें कोई दिक्कत नहीं है.
हिंदू एकजुटता की बात
हालांकि शुभेंदु अधिकारी अभी भी हिंदू एकजुटता की बात ज़ोर-शोर से करते हैं और कहते हैं कि 2026 में भाजपा सत्ता में आएगी तो 'हिंदू विरोधी ताकतों' को सबक सिखाएगी, लेकिन अब वे यह भी जोड़ देते हैं कि 'हम सबका विकास चाहते हैं, किसी को वोट बैंक नहीं समझते' दूसरी तरफ टीएमसी और वामपंथी दल भाजपा पर हमला कर रहे हैं. टीएमसी प्रवक्ता कहते हैं, 'पहले हिंदू-मुसलमान बांटते थे, अब मुसलमानों को ही राष्ट्रवादी और गैर-राष्ट्रवादी में बांट रहे हैं ये लोग समाज को और कितना तोड़ेंगे?.' वामपंथी नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, 'राष्ट्रवादी मुसलमान कौन और गैर-राष्ट्रवादी कौन, यह फैसला भाजपा तय करेगी? जो भाजपा के साथ खड़ा हो वही राष्ट्रवादी, बाकी देशद्रोही – यही इनका नया फार्मूला है.'