मैक्सिको में सदियों से छिपे थे मगरमच्छों के ये रहस्यमय Species, अब हुआ खुलासा

मैक्सिको के युकातान प्रायद्वीप के पास स्थित कोज़ुमेल द्वीप और बैंको चिनचोरो एटोल से वैज्ञानिकों ने मगरमच्छ की दो नई प्रजातियों की खोज की है, जो अब तक एक ही प्रजाति मानी जा रही थीं. जीन परीक्षणों से पता चला कि ये दोनों समूह आनुवंशिक रूप से अलग हैं और हर समूह में 1,000 से भी कम प्रजनन योग्य मगरमच्छ बचे हैं.;

By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 19 May 2025 5:49 PM IST

जैव विविधता का संसार जितना विशाल है, उतना ही रहस्यमयी भी. जब हम सोचते हैं कि हमें किसी प्रजाति के बारे में सब कुछ पता चल गया है, तभी प्रकृति कोई नई परत खोल देती है. ऐसा ही कुछ हुआ है मैक्सिको के यूकाटन प्रायद्वीप के पास, जहां दो नई मगरमच्छ प्रजातियों की खोज ने वैज्ञानिकों की पुरानी धारणाओं को बदलकर रख दिया है.

ये दोनों नई प्रजातियां मैक्सिको के दो अलग-अलग क्षेत्रों- कोज़ुमेल द्वीप और बैंको चिनचोरो कोरल द्वीप- में पाई गई हैं. पहले माना जाता था कि 'अमेरिकन क्रोकोडाइल' (Crocodylus acutus) एक ही प्रजाति है जो उत्तरी अमेरिका के बाजा कैलिफोर्निया से लेकर वेनेजुएला और पूरे कैरिबियन तक फैली हुई है. लेकिन अब इन नई खोजों ने इस धारणा को चुनौती दे दी है.

कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के जीवविज्ञान प्रोफेसर हांस लार्सन, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया, बताते हैं कि उन्होंने कैरिबियन, मध्य अमेरिका और मैक्सिको के प्रशांत तटीय क्षेत्रों के मगरमच्छों के डीएनए का विश्लेषण किया. उन्होंने कहा, 'हमने पहली बार इन जानवरों में जेनेटिक और शारीरिक विविधता को गहराई से परखा, और पाया कि ये वास्तव में अलग-अलग प्रजातियां हैं.

हालांकि इन दोनों नई मगरमच्छ प्रजातियों को अभी तक कोई नाम नहीं दिया गया है, लेकिन यह स्पष्ट हो चुका है कि ये अन्य मगरमच्छों से जेनेटिक रूप से अलग हैं. दोनों प्रजातियों के प्रजनन योग्य मगरमच्छों की संख्या 1,000 से भी कम है, और वे बेहद सीमित इलाकों तक ही सीमित हैं. यही कारण है कि पर्यावरणीय बदलाव या मानवीय गतिविधियों से इनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है.

लार्सन का कहना है, “हम जिन प्रजातियों को खोज भी नहीं पाए हैं, वे हमसे पहले ही खत्म हो रही हैं. इस खोज को केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि न मानते हुए, इसे जैव विविधता संरक्षण के लिए चेतावनी की तरह देखा जा रहा है. तटीय इलाकों में बढ़ता विकास और पारिस्थितिक तंत्रों की बर्बादी कई प्रजातियों को संकट में डाल रही है. यही समय है जब नीतिगत बदलाव, पर्यावरणीय जागरूकता और संरक्षण कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए.

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