संसद में न हो ड्रामा, नई पीढ़ियों को मिले मौका और हार बहाना नहीं सुधार का मौका है; संसद सत्र से पहले PM मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि संसद बहस, नीति और राष्ट्रहित का मंच है न कि हार की झुंझलाहट या नारेबाज़ी का. पीएम ने विपक्ष से सकारात्मक रवैये के साथ मजबूत मुद्दे उठाने और पराजय की निराशा से बाहर आने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह सत्र लोकतंत्र की जीवंतता, विकसित भारत की दिशा और रचनात्मक संवाद को मजबूत करने का अवसर है, जहां “ड्रामा नहीं, डिलीवरी” होनी चाहिए.;
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है और इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस अंदाज़ में राष्ट्र को संदेश दिया, वह सिर्फ एक औपचारिक टिप्पणी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की परंपरा और उसकी जवाबदेही की सीधी याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र किसी किताब में लिखी परिभाषा नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है जिसे जनता ने हमेशा सक्रिय भागीदारी से मजबूत किया है. पीएम मोदी के अनुसार, इस सत्र को औपचारिकता नहीं, बल्कि "डेमोक्रेसी कैन डिलीवर" का प्रमाण बनना चाहिए जहां बहस, तर्क और निर्णय राष्ट्रहित में आगे बढ़ें.
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से विपक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि पराजय लोकतंत्र का स्वाभाविक हिस्सा है, लेकिन इसे अवरोध या क्रोध की राजनीति का कारण नहीं बनना चाहिए. यह सत्र, उनके अनुसार, न तो विजय का अहंकार दिखाने का स्थान है और न ही हार की झुंझलाहट निकालने का मंच. उन्होंने विपक्ष से कहा कि वे मजबूत मुद्दे उठाएं, रचनात्मक विमर्श करें और संसद को देश की आकांक्षाओं का सच्चा प्रतिनिधि बनाएं. पीएम मोदी का संदेश साफ था संसद में “ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए.”
पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें
1. यह सत्र औपचारिकता नहीं, लोकतंत्र की जीवंतता का प्रतीक
मोदी ने शुरुआत में ही कहा कि संसद का सत्र सिर्फ कैलेंडर की तारीख नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक शक्ति का प्रतीक है. यह संदेश उन विपक्षी दलों को भी था जो अक्सर सत्रों को गतिरोध में बदल देते हैं. पीएम ने कहा कि भारत ने दुनिया को दिखाया है कि लोकतंत्र परिणाम दे सकता है.
2. विपक्ष पराजय की निराशा से बाहर निकले
बिहार चुनाव के बाद विपक्ष में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में हार-जीत सामान्य है लेकिन इसे संसद की कार्यवाही बिगाड़ने का आधार नहीं बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हार को बहाना नहीं, सुधार का मौका मानना चाहिए.
3. सदन बहस और नीतियों का मंच है
मोदी का यह बयान सीधा विपक्ष के हंगामे पर निशाना था, “यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए. यहां नीतियों पर बात होनी चाहिए, न कि नारेबाज़ी पर.” यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि सरकार इस सत्र में बिना बाधा के विधायी काम चाहती है.
4. यह सत्र देश को ‘विकसित भारत’ की दिशा में नई ऊर्जा देगा
पीएम मोदी ने कहा कि यह सत्र भारत की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां ऐसे 14 बिल आने वाले हैं जो भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में और मजबूत करेंगे खासकर परमाणु ऊर्जा सेक्टर और नए आर्थिक सुधारों से जुड़े प्रस्ताव.
5. परिणाम चाहे जो भी हों देश का हित सबसे ऊपर
मोदी ने कहा कि जनता ने सांसदों को बहस, चर्चा और संवाद के लिए भेजा है, सड़क पर संघर्ष करने के लिए नहीं. उन्होंने कहा कि संसद जनता का दर्पण है, जहां टकराव नहीं, समाधान दिखना चाहिए.
6. नई पीढ़ी के सांसदों को सीखने का मौका मिलना चाहिए
मोदी ने अनुभवी और नए सांसदों के बीच सहयोग पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि सदन एक विद्यालय की तरह है जहां नीति, राजनीति और राष्ट्रनीति के पाठ सीखने चाहिए. हंगामे से सिर्फ भविष्य की पीढ़ियों को गलत संदेश जाता है.
7. विपक्ष अपनी जिम्मेदारी निभाए, मजबूत मुद्दे उठाए
पीएम मोदी ने विपक्ष को कहा कि वे जनता से जुड़े मजबूत मुद्दे उठाएं. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सरकार चर्चा और बहस से नहीं डरती बशर्ते वह रचनात्मक हो.
8. कुछ दल हार को पचा नहीं पा रहे
मोदी ने बिना नाम लिए कहा कि बिहार के नतीजों के बाद भी कुछ दल शांत नहीं हुए हैं और उनकी बेचैनी संसद में दिखाई दे सकती है. उन्होंने इसे लोकतांत्रिक परिपक्वता की कमी बताया.
9. सदन को अवरोध का मैदान न बनाएं
पीएम मोदी ने कहा कि जनता चाहती है कि संसद चले, न कि शोर में डूबी रह जाए. उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष से संवाद जारी रखेगी ताकि सत्र सुचारू रूप से चल सके.
10. देशहित के मुद्दों पर सरकार–विपक्ष मिलकर काम करें
मोदी ने कहा कि संसद एक सामूहिक संस्थान है जहां सरकार और विपक्ष दोनों की समान भूमिका है. उन्होंने अपील की कि महंगाई, राष्ट्रीय सुरक्षा, किसानों, युवाओं और अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर संयुक्त प्रयास किए जाएं.