भारत के पास आ रही दुनिया की सबसे ताकतवर एयर टू एयर मिसाइल R-37M, अब पाकिस्तान के F-16 और AWACS की खैर नहीं
भारत रूस से घातक R-37M (RVV-BD) मिसाइल खरीदने जा रहा है, जो Mach 6 की रफ्तार से 300–400 किमी दूर दुश्मन के विमान गिरा सकती है. इसे Su-30MKI पर तैनात किया जाएगा, जिससे भारत की BVR (Beyond Visual Range) क्षमता कई गुना बढ़ेगी. यह मिसाइल पाकिस्तान के F-16 और AWACS विमानों को सीमा पार से ही नष्ट करने में सक्षम है. रूस इसके Make in India उत्पादन की भी पेशकश कर चुका है.;
भारत अब उस तकनीकी छलांग के मुहाने पर है, जो दक्षिण एशिया के हवाई युद्ध समीकरण को पूरी तरह पलट सकती है. रूस से मिल रही जानकारी के अनुसार, भारत और रूस जल्द ही एक बड़े रक्षा समझौते को अंतिम रूप देने वाले हैं जिसमें रूस का R-37M एयर-टू-एयर मिसाइल (एक्सपोर्ट नाम RVV-BD) भारतीय वायुसेना के Su-30MKI लड़ाकू विमानों को मिलेगा. यह वही मिसाइल है जिसे दुनिया “Fox-Killer” के नाम से जानती है - यानी दुश्मन के विमान को देखने से पहले ही मार गिराने वाला हथियार. इसे दुनिया की सबसे खतरनाक एयर टू एयर मिसाइल माना जाता है.
यह मिसाइल इतनी तेज और लंबी दूरी तक मार करने वाली है कि अमेरिका और चीन जैसी सैन्य शक्तियां भी इसके नाम से चौंक जाती हैं. रूस ने न केवल भारत को इस मिसाइल की आपूर्ति की पेशकश की है, बल्कि इसके भारत में ही लाइसेंस प्रोडक्शन (स्थानीय निर्माण) की अनुमति देने की भी बात कही है. इससे भारत को न केवल अत्याधुनिक तकनीक हासिल होगी बल्कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता का नया अध्याय भी खुलेगा.
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R-37M: एक ‘जेट किलर’ का जन्म
R-37M कोई साधारण मिसाइल नहीं है, बल्कि यह हवा में उड़ते दुश्मन विमानों के लिए मौत का साया है. इसे रूस ने खास तौर पर AWACS (Airborne Warning and Control System), टैंकर विमानों और फाइटर जेट्स को दूर से निशाना बनाने के लिए तैयार किया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मिसाइल की अधिकतम रफ्तार Mach 6 (यानी आवाज की गति से छह गुना या करीब 7,400 किमी/घंटा) है और यह 300 से 400 किलोमीटर दूर तक वार कर सकती है. इसका 60 किलो का हाई-एक्सप्लोसिव वॉरहेड और एक्टिव रडार गाइडेंस सिस्टम इसे लगभग अनस्टॉपेबल बनाता है, यानी कोई भी जेट चाहे कितना भी तेज क्यों न हो, इससे बच नहीं सकता.
एक रक्षा विशेषज्ञ के शब्दों में, “R-37M मिसाइल एक उड़ता हुआ शिकारी है. यह भारत को वह क्षमता देती है कि वह दुश्मन के विमान को उनकी सीमा में घुसे बिना ही नष्ट कर दे. यह पूरे वायु युद्ध के सिद्धांत को उलट देता है.”
F-16 और AWACS होंगे पहले शिकार
पाकिस्तान वायुसेना (PAF) लंबे समय से अमेरिकी F-16 लड़ाकू विमानों और चीन से मिले PL-15E मिसाइलों पर निर्भर है. लेकिन रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि R-37M के आने के बाद ये सभी हथियार अप्रासंगिक हो जाएंगे. अगर भारत के Su-30MKI विमानों पर R-37M तैनात हो गई, तो भारत लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के उस पार से ही पाकिस्तान के F-16 और AWACS विमान गिरा सकेगा, बिना सीमा लांघे.
एक पूर्व एयर मार्शल ने कहा, “R-37M के आने के बाद पाकिस्तान का हवाई बढ़त पूरी तरह खत्म हो जाएगा. यह मिसाइल दुश्मन के लिए ऐसा खतरा है जिससे बचना लगभग असंभव है.”
तकनीकी शक्ति: आंकड़ों में R-37M
पैरामीटर | डिटेल्स |
स्पीड (Speed) | Mach 6 (7,400 किमी/घंटा) |
रेंज (Range) | 300–400 किमी तक |
वजन (Weight) | 510 किग्रा |
लंबाई (Length) | लगभग 4 मीटर |
वॉरहेड (Warhead) | 60 किग्रा हाई-एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन |
गाइडेंस सिस्टम | एक्टिव रडार और रेडियो कमांड |
लक्ष्य (Targets) | फाइटर जेट्स, AWACS, ड्रोन और टैंकर विमान |
NATO नाम | AA-13 Axehead |
इस मिसाइल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे दृश्य सीमा के पार (Beyond Visual Range) से दागा जा सकता है. यानी भारतीय पायलट को दुश्मन दिखे या न दिखे, उसका जेट पहले ही खत्म किया जा सकता है.
R-37M क्यों है भारत की “गेम-चेंजर” मिसाइल?
भारत के पास अभी R-77 मिसाइलें हैं जो Su-30MKI पर तैनात हैं, लेकिन उनकी मारक क्षमता और रेंज R-37M के मुकाबले काफी सीमित है. जहां R-77 की सीमा करीब 110 किमी तक है, वहीं R-37M तीन गुना दूर तक वार कर सकती है. इसके आने के बाद भारत की वायुसेना के पास BVR (Beyond Visual Range) मिसाइलों में विश्वस्तरीय बढ़त होगी - जो अभी तक चीन की PL-15 और पाकिस्तान की PL-15E मिसाइलों के सामने थोड़ी कमजोर मानी जाती थी.
मेक इन इंडिया के तहत होगा निर्माण
यह सौदा न केवल भारत की सैन्य क्षमता बढ़ाएगा बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी नया बल देगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सौदे में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल है ताकि भारत में ही इस मिसाइल का उत्पादन किया जा सके.
संभावित आंकड़े इस प्रकार हैं...
- प्रारंभिक यूनिट्स: 200–300 मिसाइलें
- अनुमानित डील वैल्यू: करीब $1.5 बिलियन (₹12,500 करोड़)
- डिलीवरी टाइमलाइन: 2027 से शुरू होने की उम्मीद
- निर्माण एजेंसी: भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL)
इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत का लक्ष्य दशक के अंत तक 1,000 से अधिक BVR मिसाइलें तैनात करने का है.
रणनीतिक असर और भारत की नई वायु नीति
R-37M सिर्फ एक मिसाइल नहीं बल्कि भारत के ‘सुपर सुखोई प्रोजेक्ट’ की रीढ़ मानी जा रही है. Su-30MKI विमानों में जब AESA रडार, ब्रह्मोस-II और R-37M जैसे हथियार एक साथ जुड़ेंगे, तो भारत के पास एक हाइपर-सोनिक एयर डॉमिनेंस सिस्टम होगा, जो चीन के J-16 और पाकिस्तान के F-16 से कई कदम आगे होगा. इससे भारत को न केवल Line of Actual Control (LAC) पर बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भी वायु बढ़त मिलेगी.
2027 के बाद जब R-37M भारतीय बेड़े में शामिल होगी, तब भारत के पास एक ऐसी क्षमता होगी जो उसके किसी भी दुश्मन के पास नहीं है -
- दुश्मन के विमान को 300 किमी दूर से गिराना
- AWACS को निष्क्रिय कर दुश्मन की आंखें बंद करना
- ड्रोन और रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट को नष्ट करना, जिससे दुश्मन की हवाई शक्ति आधी रह जाएगी
सरल शब्दों में कहें तो, यह मिसाइल भारत के आकाश को दुश्मनों के लिए “नो-फ्लाई जोन” में बदल सकती है.