Tata Trusts में मचा घमासान! रतन टाटा के करीबी महली मिस्त्री की छुट्टी, तीन ट्रस्टीज़ ने दोबारा नियुक्ति का किया विरोध

टाटा ट्रस्ट्स में बड़ा फेरबदल हुआ है. रतन टाटा के करीबी माने जाने वाले महली मिस्त्री का कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव को ट्रस्टीज़ ने खारिज कर दिया, जिसके चलते वे अब ट्रस्ट से बाहर हो रहे हैं. छह में से तीन ट्रस्टी, नोएल टाटा, वेनु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने उनके पुनर्नियुक्ति के खिलाफ वोट किया. यह फैसला ट्रस्ट के अंदर गहराते मतभेदों और टाटा समूह की भविष्य की दिशा पर बड़ा असर डाल सकता है.;

Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 28 Oct 2025 8:50 PM IST

टाटा ग्रुप से जुड़ी दो सबसे प्रभावशाली संस्थाओं, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट, में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. उद्योगपति महली मिस्त्री (Mehli Mistry) का कार्यकाल अब समाप्त होने जा रहा है, क्योंकि ट्रस्ट के अधिकांश ट्रस्टीज़ ने उनके पुनर्नियुक्ति प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. मिस्त्री का तीन साल का कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते एक सर्कुलर रेज़ोल्यूशन जारी किया गया था, जिसमें छह ट्रस्टीज़ में से तीन, चेयरमैन नोएल टाटा, वेनु श्रीनिवासन और विजय सिंह, ने महली मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति का विरोध किया. वहीं, दारियस खंबाटा, प्रमित झावेरी और जहांगीर एच.सी. जहांगीर ने उनके पक्ष में वोट किया. बहुमत विरोध में होने के कारण उनका कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया गया.

रतन टाटा के करीबी सहयोगी थे महली मिस्त्री

महली मिस्त्री को रतन टाटा के करीबी सहयोगी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने 2022 में दोनों ट्रस्ट्स से जुड़कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ये दोनों ट्रस्ट टाटा सन्स में सबसे बड़े शेयरधारक हैं और समूह की बोर्ड नियुक्तियों व गवर्नेंस से जुड़े प्रमुख निर्णयों में अहम भूमिका निभाते हैं.

हाल के महीनों में ट्रस्ट के भीतर मतभेद बढ़े

हाल के महीनों में ट्रस्ट के भीतर मतभेद बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. सितंबर 2025 में ट्रस्टी विजय सिंह को टाटा सन्स के बोर्ड में बतौर नोमिनी डायरेक्टर दोबारा नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन सर्वसम्मति न मिलने पर उन्होंने पद छोड़ दिया. बताया जाता है कि महली मिस्त्री उन ट्रस्टीज़ में शामिल थे जिन्होंने उस समय सिंह की नियुक्ति का विरोध किया था... और वही फैसला अब उनके लिए भी निर्णायक साबित हुआ.

ट्रस्ट ने महली मिस्त्री की शर्त को किया अस्वीकार

ट्रस्ट के भीतर यह मतभेद इस बात को लेकर भी गहराया है कि अक्टूबर 2024 में पारित एक प्रस्ताव का अर्थ कैसे निकाला जाए. उस प्रस्ताव के तहत ट्रस्टीज़ की दोबारा नियुक्ति की कोई तय सीमा नहीं रखी गई थी, जिससे कुछ सदस्यों ने इसे 'आजीवन कार्यकाल' की तरह देखा, जबकि अन्य इसे हर टर्म पर ट्रस्टी अनुमोदन के अधीन मानते हैं. हाल ही में वेनु श्रीनिवासन को फिर से नियुक्त किया गया था, लेकिन महली मिस्त्री ने शर्त रखी थी कि आगे से सभी नियुक्तियां सर्वसम्मति से हों. यह शर्त ट्रस्ट के बाकी सदस्यों ने अस्वीकार कर दी.

अब टाटा ट्रस्ट्स एक नए सदस्य की तलाश शुरू करने जा रहे हैं, जो महली मिस्त्री की जगह लेंगे. आने वाले महीनों में टाटा सन्स के बोर्ड के लिए नई नियुक्तियों और नीतिगत फैसलों पर भी चर्चा तेज होने की उम्मीद है.

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