देश को सिविलियन आर्मी की है जरूरत, सुप्रीम कोर्ट के जज ने ऐसा क्यों कहा?

Justice Surya Kant On Civilian Army: सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्य कांत ने हमें सेना के साथ ही नागरिक सेना यानी सिविलियन आर्मी की भी जरूरत है. यह सेना ऐसी होगी, जो देश के अंदर और बाहर समझदारी और लगन से काम करेगी. इसमें कई क्षेत्रों के लोग शामिल हो सकते हैं.;

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Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 8 Dec 2024 7:00 PM IST

Justice Surya Kant On Civilian Army: सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्य कांत ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमें सेना के साथ ही नागरिक सेना यानी सिविलियन आर्मी की भी जरूरत है, जो देश के अंदर और बाहर समझदारी और लगन से काम करे.

जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि आर्थिक, राजनीतिक, कानून के शासन और सुशासन में बढ़ते राष्ट्र को न केवल आर्मी की जरूरत है, बल्कि एक्सपर्ट्स की एक सिविलियन आर्मी की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि विधि क्षेत्र पूर्णता की मांग नहीं करता है, बल्कि इसके लिए दृढ़ता, जिज्ञासा, निष्पक्षता और समानता के आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता की जरूरत होती है.

सिविलियन आर्मी का कौन होगा हिस्सा?

जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि चाहे आप लॉ ग्रेजुएट हों, आपराधिक कानून या अंतरराष्ट्रीय कानून के एक्सपर्ट हों, प्रोफेसर हों, साइंटिस्ट हों, इंजीनियर हों या किसी अन्य जिम्मेदार पद पर हों, आप उस सिविलियन आर्मी का हिस्सा बन जाते हैं, जो बहुत सावधानी, बुद्धिमानी और लगन से देश के भीतर और बाहर हितों की देखभाल करती है.

मूट कोर्ट में छात्रों को मिलता है अनूठा अवसर

जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि मूट कोर्ट में छात्रों को प्रतिस्पर्धी माहौल में कानून के जटिल क्षेत्रों में प्रत्यक्ष अनुभव हासिल करने का अनूठा अवसर मिलता है, क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय कानून, वैश्विक सुरक्षा, साइबर आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में से निपटते हैं.

जस्टिस कांत ने जोर देते हुए कहा कि जब आप सिविल सेवा या किसी अन्य सार्वजनिक असाइनमेंट के लिए जाते हैं तो बोलने, भाषण देने और अभिव्यक्ति में आत्मविश्वास का तत्व बेहद महत्वपूर्ण होता है. ये ऐसे मंच हैं, जहां आप यह आत्मविश्वास हासिल करते हैं और सीखते हैं.

'मूट कोर्ट प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करता है'

जस्टिस कांत ने कहा कि मूट कोर्ट प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करता है. यह समग्र विकास, बौद्धिक जुड़ाव और साथियों के बीच विचारों के प्रयोग की सुविधा प्रदान करता है. भारत जैसे देशों में आर्थिक और वित्तीय अपराधों में वृद्धि को देखते हुए छात्रोके लिए खुद को रिसर्च में प्रशिक्षित करना अनिवार्य है.

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