किस हाईकोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट को होती है चिंता? दो जजों की पीठ ने कही बड़ी बात

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट उन न्यायालयों में से एक है जिनके बारे में चिंतित होने की जरूरत है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की तरफ से बताया कि भूमि पर कब्जे से संबंधित याचिका को बार-बार हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, लेकिन कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 9 Jan 2025 5:41 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट पर सख्त टिप्पणी की. पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट उन न्यायालयों में से एक है जिनके बारे में चिंतित होने की जरूरत है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि सुप्रीम कोर्ट को एक हाईकोर्ट के बारे में कहना पड़ा कि उन्हें चिंता होती है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के जियामऊ में विवादित भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फ्लैट निर्माण को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. इस जमीन पर गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी स्वामित्व का दावा कर रहे हैं. 2020 में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मुख्तार अंसारी और उनके बेटों के बंगलों को बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया था.

आदेश का नहीं हुआ पालन

सरकार इस भूमि पर पीएम आवास योजना के तहत आवासीय इकाइयों का निर्माण करना चाहती है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की तरफ से बताया कि भूमि पर कब्जे से संबंधित याचिका को बार-बार हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, लेकिन कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले साल 21 अक्टूबर को ही उसने हाईकोर्ट से मामले की त्वरित सुनवाई का निर्देश दिया था, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को मामले की शीघ्र सुनवाई का निर्देश देते हुए निर्माण स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

एकतरफा आदेश देकर बनाई सरकारी संपत्ति

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि उनके दादा ने जियामऊ के प्लॉट संख्या 93 में हिस्सा खरीदा था, जो 2004 में रजिस्टर हुआ. इस संपत्ति को उनकी दादी ने 2017 में वसीयत के जरिए अब्बास और उनके भाई के नाम कर दिया. याचिका के अनुसार, 2020 में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट ने एकतरफा आदेश जारी कर इस भूमि को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया और 2023 में उन्हें बेदखल कर दिया गया.

प्रशासन ने जमीन पर किया कब्जा

अब्बास अंसारी ने अगस्त 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की, लेकिन कोई अंतरिम राहत नहीं मिली. उनकी याचिका अन्य सह-मालिकों की याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध की गई थी. 8 जनवरी 2024 को हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने इसे खंडपीठ के सामने भेजने का आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि प्रशासन ने उनके भूखंड पर कब्जा कर लिया और पीएम आवास योजना के तहत निर्माण कार्य शुरू कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति हो सकती है यदि विवादित स्थल पर तीसरे पक्ष के अधिकार बना दिए गए. अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया.

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