अवारा कुत्तों को एनिमल लवर्स के घर छोड़ देना चाहिए... समाधान के नाम पर ये क्या बोल गए बीजेपी विधायक, बयान से मचा बवाल
महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र आम दिनों की तरह शुरू हुआ जरूर था, लेकिन कुछ ही मिनटों में माहौल गरमा उठा. वजह थी राज्य में बढ़ते आवारा कुत्तों के हमले और उस पर सरकार की कार्रवाई. यह मुद्दा धीरे-धीरे जनता की परेशानी से निकलकर सीधा राजनीतिक अखाड़ा बन गया, जहां आरोप-प्रत्यारोप, तीखी टिप्पणियां और टकराव खुलकर देखने को मिला. आंकड़ों ने जब स्थिति की गंभीरता सामने रखी, तो विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष के नेता भी सरकार से जवाब मांगने लगे.;
महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र आम दिनों की तरह शुरू हुआ जरूर था, लेकिन कुछ ही मिनटों में माहौल गरमा उठा. वजह थी राज्य में बढ़ते आवारा कुत्तों के हमले और उस पर सरकार की कार्रवाई. इस मामले पर बीजेपी विधायक महेश लांडगे ने ऐसा बयान दिया कि पूरे सदन में हंगामा खड़ा कर दिया.
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दरअसल उन्होंने अवारा कुत्तों के हमले पर कहा कि 'अवारा कुत्तों को पकड़कर एनिमल लवर्स के घर छोड़ देना चाहिए.” उनकी यह टिप्पणी सदन में मौजूद विधायकों और सोशल मीडिया दोनों में आग की तरह फैल गई। विपक्ष ने इसे बेहद गैर-जिम्मेदाराना बताया, वहीं सत्ता पक्ष के कुछ नेता भी इस बयान से असहज दिखे.
मुंबई में 90 हजार, पूरे राज्य में 11 लाख आवारा कुत्ते
अर्बन डेवलपमेंट की राज्यमंत्री माधुरी मिसाल ने विधानसभा में ऐसे आंकड़े रखे, जिनसे सदन में हलचल मच गई. उनके अनुसार मुंबई शहर में लगभग 90,757 भटके हुए कुत्ते मौजूद हैं, जबकि उन्हें रखने के लिए BMC के पास सिर्फ आठ शेल्टर होम ही उपलब्ध हैं. वहीं पूरे महाराष्ट्र की 29 नगर निगमों में करीब 11.88 लाख स्ट्रे डॉग्स का अनुमान है, लेकिन इनके लिए राज्यभर में कुल 105 शेल्टर ही बने हुए हैं. जैसे-जैसे यह जानकारी सामने आई, सदन में माहौल और गर्म होने लगा तथा विधायकों ने सरकार से तत्काल समाधान की मांग तेज कर दी.
अवारा कुत्तों को पकड़कर एनिमल लवर्स के घर छोड़ दो
बीजेपी के विधायक महेश लांडगे ने कहा कि पिछले तीन सालों में पुणे में एक लाख से ज्यादा कुत्ते काटने की घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं, लेकिन समाधान हर बार विरोध के कारण अधर में रह जाता है. इसके बाद उन्होंने कहा कि 'आवारा कुत्तों को पकड़कर सीधे इन एनिमल लवर्स के घर भेज देना चाहिए.' उनके इस बयान को विपक्ष बेहद असंवेदनशील करार दिया.
नसबंदी का विरोध क्यों?
बीजेपी नेता अतुल भातखलकर ने चर्चा के दौरान कहा कि राज्य की खाली पड़ी सरकारी जमीनों का इस्तेमाल करके ज्यादा डॉग शेल्टर बनाए जाने चाहिए, ताकि बढ़ती संख्या पर नियंत्रण लाया जा सके. इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) के विधायक सुनील प्रभु ने चिंता जताई कि हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब जनप्रतिनिधि भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे. उन्होंने यह भी पूछा कि जब नसबंदी अभियान इस समस्या को कम करने का सबसे कारगर उपाय माना जाता है, तो फिर लगातार इसके खिलाफ विरोध क्यों खड़ा किया जाता है.
समाधान की कवायद
इस मामले पर सरकार की तरफ से शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और दिशानिर्देशों का ज़िक्र किया गया, लेकिन असंतुष्ट विधायकों ने इसे पर्याप्त नहीं माना. बढ़ते राजनीतिक दबाव और सदन में उठती नाराज़गी को देखते हुए अर्बन डेवलपमेंट मंत्री माधुरी मिसाल को सभी पक्षों को आश्वस्त करना पड़ा कि जल्द ही संबंधित विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों और विशेषज्ञों की मौजूदगी में विशेष बैठक आयोजित की जाएगी. इस बैठक में ऐसे ठोस और व्यवहारिक निर्णय लिए जाएंगे, जिन्हें फौरन जमीन पर लागू किया जा सके और आवारा कुत्तों की समस्या का प्रभावी समाधान सुनिश्चित हो.