दुनिया भर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा ‘टॉप हेल्थ थ्रेट’, नई स्टडी में चौंकाने वाले आंकड़े
The Lancet के नए अध्ययन के अनुसार, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा अब विश्व का सबसे बड़ा पब्लिक हेल्थ थ्रेट बन चुकी है. शोध में पाया गया कि दुनिया में 1 अरब से अधिक लोग बचपन में यौन हिंसा झेल चुके हैं, जबकि करीब 61 करोड़ (608 मिलियन) महिलाएं और लड़कियां घरेलू साथी द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती हैं.;
दुनिया भर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा केवल कानून-व्यवस्था या सामाजिक समस्या नहीं है - यह एक बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनकर सामने आई है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, द लैंसेट (The Lancet) में मंगलवार को जारी हुए नए शोध ने खुलासा किया है कि यौन हिंसा और घरेलू साथी द्वारा की जाने वाली हिंसा (Intimate Partner Violence- IPV) समय से पहले मौत और विकलांगता के सबसे बड़े जोखिम कारकों में शामिल हैं.
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शोध में कहा गया है कि 2023 में दुनिया भर में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के 1 अरब से अधिक लोग बचपन में यौन हिंसा का अनुभव कर चुके हैं. वहीं, करीब 61 करोड़ (608 मिलियन) महिलाएं और लड़कियां अपने पति, पार्टनर या साथी द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का सामना कर चुकी हैं. अध्ययन के मुताबिक 15-49 वर्ष की महिलाओं में, Intimate Partner Violence (IPV) चौथा, Sexual Violence Against Children (SVAC) पांचवां सबसे बड़ा स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ है. ये जोखिम उन खतरों से भी ऊपर हैं जो आम तौर पर वैश्विक स्वास्थ्य चर्चाओं में प्राथमिकता पाते हैं - जैसे ब्लड शुगर, हाई ब्लड प्रेशर या मोटापा.
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अध्ययन: 50 मिलियन से अधिक DALYs का नुकसान
यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के Institute for Health Metrics and Evaluation (IHME) द्वारा Global Burden of Disease 2023 स्टडी के तहत किया गया. रिपोर्ट में बताया गया है कि बचपन में यौन हिंसा (SVAC) के कारण 3.22 करोड़ (32.2 मिलियन), घरेलू साथी हिंसा (IPV) के कारण 1.85 करोड़ (18.5 मिलियन) यानी कुल 5.07 करोड़ (50.7 मिलियन) Disability-Adjusted Life Years (DALYs) दुनिया ने खो दिए. DALYs उन स्वस्थ वर्षों का कुल नुकसान है जो या तो समय से पहले हुई मौत या फिर विकलांगता की वजह से खत्म हो जाते हैं.
IHME की प्रमुख लेखक डॉ. लुइसा सोरियो फ्लोर ने कहा, “ये निष्कर्ष इस पुरानी धारणा को चुनौती देते हैं कि यौन हिंसा सिर्फ सामाजिक या क्रिमिनल जस्टिस का मुद्दा है. यह एक बड़ा पब्लिक-हेल्थ संकट है.”
SVAC 14 बीमारियों से जुड़ा, IPV 8 स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा
अध्ययन में पाया गया कि बचपन में यौन हिंसा (SVAC) का संबंध 14 स्वास्थ्य स्थितियों से है. घरेलू साथी हिंसा (IPV) का संबंध 8 प्रमुख स्वास्थ्य जोखिमों से है. इनमें मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, आत्महत्या का जोखिम, दिल की बीमारियां, गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं, नशीली दवाओं का दुरुपयोग, और दीर्घकालिक शारीरिक विकार शामिल हैं.
भारत में भी भयावह तस्वीर - 1990 से 2023 तक मौतों में भारी बढ़ोतरी
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अध्ययन में भारत के आंकड़े भी बेहद चिंताजनक हैं. 1990 में SVAC से 32,800 मौतें और IPV से 21,300 मौतें दर्ज की गई थीं, जो 2023 में बढ़कर SVAC से 71,600 मौतें और IPV से 30,100 मौतें हो गई हैं. यानी 33 सालों में इन मौतों में दो गुना से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई.
“यह सिर्फ सुरक्षा का नहीं, मानसिक स्वास्थ्य का राष्ट्रीय संकट है”
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ तानूजा बाबरे ने कहा कि भारत में यौन हिंसा और IPV कम आंके गए और सबसे उपेक्षित पब्लिक हेल्थ संकट हैं. NFHS-5 के अनुसार, 18-49 वर्ष की 29.3% महिलाओं ने पति द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा झेली है. हर तीन में से एक महिला ने कभी न कभी स्पाउस वायलेंस का अनुभव किया है और 75% से अधिक महिलाएं कभी मदद भी नहीं लेतीं. बाबरे ने कहा, “हमारे पास अपडेटेड राष्ट्रीय डेटा तक नहीं है. रोजाना की हिंसा महिलाओं और बच्चों में डिप्रेशन, एंग्जायटी, और आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ा रही है. यह केवल सुरक्षा का मुद्दा नहीं - यह मानसिक स्वास्थ्य का संकट है.”
"पूरा समाज बदले बिना IPV खत्म नहीं होगा"
Public Health Foundation of India की डॉ. रेखी दंडोना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि IPV से निपटने के लिए सम्पूर्ण समाज को शामिल करना होगा. उन्होंने कहा, भारतीय समाज की पितृसत्तात्मक संरचना महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देती है. समुदायों में छिपी हिंसा-समर्थक सोच को उजागर करना जरूरी है. संस्थागत सिस्टम भी कई बार इन मान्यताओं को मजबूत करते हैं. उन्होंने यह भी कहा, “हमें IPV को मापने के बेहतर और अधिक प्रासंगिक तरीके चाहिए. हिंसा झेल चुकी महिलाओं के अनुभवों को समझे बिना प्रभावी हस्तक्षेप नहीं बन सकते.”
यह रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं और बच्चों पर होने वाली यौन हिंसा किसी एक देश या संस्कृति की समस्या नहीं है - यह विश्वस्तरीय स्वास्थ्य आपातकाल है. DALYs में भारी नुकसान, मानसिक बीमारियों की बढ़ोतरी, आत्महत्या का जोखिम, और जीवन प्रत्याशा में गिरावट यह दिखाते हैं कि यौन हिंसा केवल सामाजिक अपराध नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य का संकट है.