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क्या है Sleep Divorce? अलग सोकर शादी बचाने का नया ट्रेंड, 78% भारतीय कपल्स कर रहे फॉलो!

स्लीप डिवोर्स का मतलब बिल्कुल सिंपल है कपल्स रात में एक साथ न सोकर अलग-अलग बेड या अलग-अलग कमरों में सोना पसंद करते हैं. ये कोई तलाक नहीं है, बल्कि सिर्फ सोने का तरीका अलग करना है, ताकि दोनों को अच्छी नींद मिले और सुबह तरोताजा होकर उठें.

क्या है Sleep Divorce? अलग सोकर शादी बचाने का नया ट्रेंड, 78% भारतीय कपल्स कर रहे फॉलो!
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( Image Source:  Create By AI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 8 Nov 2025 3:22 PM IST

बदलाव तो प्रकृति का एक अटूट नियम है, जैसे गर्मियों के बाद ठंडी सर्दियां आती हैं, फिर बारिश का मौसम शुरू हो जाता है ठीक वैसे ही मौसम का बदलना बिल्कुल सामान्य बात है. लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि समय के साथ-साथ हमारे रिश्तों में भी बदलाव आते रहते हैं क्योंकि इंसान खुद बदलता है, उसकी जिंदगी की परिस्थितियां बदलती हैं, और उसके विचार भी बदल जाते हैं. कई बार ये बदलाव इतने गंभीर हो जाते हैं कि रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं. फिर लोग इन रिश्तों को बचाने के लिए तरह-तरह की कोशिशें करने लगते हैं कभी बातचीत से, कभी समझौते से, तो कभी नई आदतें अपनाकर.

इन्हीं कोशिशों के बीच आजकल एक नया ट्रेंड बहुत तेजी से पॉपुलर हो रहा है, जिसका नाम है 'स्लीप डिवोर्स' (Sleep Divorce). मतलब, अलग-अलग सोना! जी हां, अब वर्किंग कपल्स इस तरीके को अपनाकर अपनी पर्सनल लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ दोनों को मजबूत और बैलेंस्ड बना रहे हैं. इससे उनके बीच होने वाले छोटे-मोटे झगड़े कम हो रहे हैं, और नींद भी पूरी हो रही है. कुछ लोग इसे बहुत अच्छा बता रहे हैं, तो कुछ इसे रिश्ते के लिए खतरनाक मान रहे हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर ये स्लीप डिवोर्स है क्या? इसके क्या फायदे हैं और क्या नुकसान? और क्यों ये ट्रेंड इतनी तेजी से फैल रहा है, खासकर शहरों में?.

स्लीप डिवोर्स आखिर है क्या?

स्लीप डिवोर्स का मतलब बिल्कुल सिंपल है कपल्स रात में एक साथ न सोकर अलग-अलग बेड या अलग-अलग कमरों में सोना पसंद करते हैं. ये कोई तलाक नहीं है, बल्कि सिर्फ सोने का तरीका अलग करना है, ताकि दोनों को अच्छी नींद मिले और सुबह तरोताजा होकर उठें. आजकल की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल और वर्क कल्चर ने इस ट्रेंड को जन्म दिया है. सोचिए जरा एक पार्टनर को खर्राटे लेने की आदत है, तो दूसरा रात भर परेशान रहता है. कोई नाइट शिफ्ट करता है, तो देर रात घर आता है और लाइट जलाने या आवाज करने से दूसरे की नींद टूट जाती है. कोई फोन पर घंटों स्क्रॉल करता रहता है, तो ब्लू लाइट से दूसरे की आंखें खराब होती हैं. ऐसी छोटी-छोटी आदतें रोजाना झगड़े का कारण बन जाती हैं. सुबह उठते ही थकान, चिड़चिड़ापन, और फिर ऑफिस में परफॉर्मेंस खराब! बस, इसी समस्या का सबसे आसान हल है स्लीप डिवोर्स.

बड़े शहरों में बढ़ रहा है ट्रेंड

खासकर बड़े शहरों में ये ट्रेंड बहुत तेजी से बढ़ रहा है. वर्किंग कपल्स के लिए घर और ऑफिस का बैलेंस बनाना मुश्किल हो गया है. दिन भर काम, शाम को घर के काम, और रात में नींद की लड़ाई इससे बेहतर है कि अलग सोकर सुकून पाएं. जब पानी सिर से ऊपर चला जाता है और अलग होने की नौबत आती है, तो स्लीप डिवोर्स एक बढ़िया ऑप्शन साबित हो रहा है.

रिसर्च क्या कहती है स्लीप डिवोर्स के बारे में?

ये आइडिया सबसे पहले अमेरिका जैसे देशों में पॉपुलर हुआ, और अब भारत में भी लोग इसे खुशी-खुशी अपना रहे हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन की 2024 की रिसर्च बताती है कि करीब 29 प्रतिशत अमेरिकी कपल्स रात में पार्टनर से अलग कमरे में सोना पसंद करते हैं. जबकि 2023 में ये संख्या सिर्फ 20 प्रतिशत थी. मतलब, एक साल में ही 9 प्रतिशत का इजाफा!भारत की बात करें तो यहां तो ये ट्रेंड टॉप पर है. स्लीप फाउंडेशन (sleepfoundation.org) की स्टडी के अनुसार, जिन 53 प्रतिशत लोगों ने स्लीप डिवोर्स अपनाया, उन्हें बहुत बेहतर नींद आई. जो कपल्स अलग-अलग सोते हैं, वे एक साथ सोने वालों की तुलना में हर रात औसतन 37 मिनट ज्यादा सो पाते हैं और भारत में तो करीब 78 प्रतिशत लोग अब इस तरीके को फॉलो कर रहे हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि नींद की कमी एक बड़ी समस्या बन चुकी है, और स्लीप डिवोर्स इसका कारगर इलाज है.

स्लीप डिवोर्स क्यों अपनाना चाहिए और इसके फायदे क्या हैं?

दोस्तों, हमारे शरीर को चलाने के लिए दो सबसे जरूरी चीजें हैं अच्छा खाना और पूरी नींद. अगर नींद पूरी नहीं हुई, तो पूरा दिन खराब, मूड खराब, और रिश्ते भी खराब हो जाते हैं. स्लीप डिवोर्स अपनाने से ये फायदे मिलते हैं:

बेहतर नींद और हेल्थ: अलग सोने से खर्राटे, हलचल, लाइट या आवाज की कोई टेंशन नहीं. सुबह उठते ही फ्रेश फील होता है, जिससे दिन भर एनर्जी रहती है.

झगड़े कम होते हैं: छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई नहीं होती. दोनों खुश रहते हैं, तो रिश्ता मजबूत होता है.

प्रोडक्टिविटी बढ़ती है: अच्छी नींद से ऑफिस में बेहतर परफॉर्मेंस, और घर में भी सब कुछ आसानी से हैंडल होता है.

तनाव कम: जब दोनों तनावमुक्त रहते हैं, तो एक-दूसरे को ज्यादा प्यार और सपोर्ट दे पाते है. हैप्पी मैरिड लाइफ का सीक्रेट है – अलग सोओ, लेकिन साथ जीओ! यानी स्लीप डिवोर्स को रिश्ते का अंत मत समझिए, बल्कि इसे एक स्मार्ट तरीका मानिए जो आपकी जिंदगी को आसान बनाता है.

क्या है इसके नुकसान हैं?

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, स्लीप डिवोर्स के भी कुछ नुकसान हैं, जो इसे हर कपल के लिए परफेक्ट नहीं बनाते.

इमोशनल डिस्टेंस बढ़ता है: बेडरूम में एक साथ सोने से गले लगकर बातें करना, शिकायतें शेयर करना, प्यार जताना – ये सब होता है. इससे रिश्ते में गहराई आती है. लेकिन अलग सोने से ये मौके कम हो जाते हैं, और धीरे-धीरे एक-दूसरे से दूरियां बढ़ने लगती हैं.

रोमांस कम हो जाता है: रात का वक्त कपल्स के लिए सबसे प्राइवेट होता है. अलग कमरों में सोने से इंटीमेसी प्रभावित होती है, सेक्स लाइफ बोरिंग हो सकती है, और शादीशुदा जिंदगी में वो स्पार्क मिसिंग हो जाता है.

मनमुटाव बढ़ने का डर: पूरा दिन ऑफिस, घर के काम, फिर रात में अलग-अलग सोना कब बात करेंगे? कब एक-दूसरे को समझेंगे? इससे छोटी समस्याएं बड़ी हो जाती हैं, और रिश्ता कमजोर पड़ सकता है.

सोसाइटी का प्रेशर: भारत जैसे देश में लोग क्या कहेंगे? परिवार वाले क्या सोचेंगे? ये सोचकर कई कपल्स इसे अपनाने से डरते हैं.

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