ग्रेट डिसीजन... Payal Gaming ने फर्जी वायरल MMS मामले में कराई FIR, साइबर पुलिस ने वीडियो को बताया डीपफेक
मशहूर गेमिंग क्रिएटर पायल धारे उर्फ Payal Gaming ने वायरल फर्जी MMS वीडियो मामले में बड़ा कानूनी कदम उठाया है. सोशल मीडिया पर बिना पुष्टि उनके नाम से जोड़े गए कथित वीडियो को महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने जांच के बाद AI-जनरेटेड डीपफेक करार दिया है. पायल की शिकायत पर गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की गई है और अब वीडियो बनाने व फैलाने वालों की तलाश जारी है. यह मामला न सिर्फ डिजिटल बदनामी के खतरे को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि साइबर क्राइम के खिलाफ सख्त कार्रवाई अब हकीकत बन रही है.;
सोशल मीडिया पर किसी नाम को बदनाम करना आज कुछ लोगों के लिए खेल बन चुका है. कुछ सेकंड के क्लिप, भड़काऊ कैप्शन और बिना पुष्टि के दावे और देखते ही देखते किसी की साख दांव पर लग जाती है. ऐसा ही कुछ हुआ भारत की मशहूर गेमिंग क्रिएटर Payal Dhare के साथ, जिन्हें लोग Payal Gaming के नाम से जानते हैं.
बीते दिनों एक कथित “वायरल MMS वीडियो” को उनके नाम से जोड़कर फैलाया गया. बिना किसी सबूत के यह दावा सोशल मीडिया पर आग की तरह फैला, लेकिन इस बार कहानी यहीं नहीं रुकी. पायल ने चुप रहने के बजाय सीधा कानून का दरवाज़ा खटखटाया.
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सोशल मीडिया पर हैं लाखों फॉलोअर्स
पायल धारे भारत की सबसे लोकप्रिय फीमेल गेमिंग यूट्यूबर्स में से एक हैं. उनके लाखों फॉलोअर्स हैं और गेमिंग कम्युनिटी में उनकी साख मजबूत मानी जाती है. ऐसे में उनके नाम से किसी अश्लील वीडियो को जोड़ना सिर्फ व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि एक संगठित डिजिटल बदनामी का मामला बन गया. यही वजह रही कि इस बार फैंस भी दो हिस्सों में बंट गए. एक वर्ग ने सवाल उठाए, तो दूसरा खुलकर पायल के समर्थन में उतर आया.
कैसे फैली अफवाह?
जिस वीडियो को सोशल मीडिया पर पायल से जोड़कर फैलाया गया, उसकी प्रामाणिकता पर शुरुआत से ही सवाल थे. कई यूज़र्स ने दावा किया कि वीडियो के चेहरे, हाव-भाव और विज़ुअल्स में असंगतियां थीं. यहीं से यह शक गहराया कि मामला AI-जनरेटेड डीपफेक का हो सकता है यानी किसी की पहचान का इस्तेमाल कर फर्जी वीडियो तैयार करना.
इस वीडियो से मेरा कोई लेना-देना नहीं: पायल
शुरुआती शोर-शराबे के बाद Payal Gaming ने खुद सामने आकर साफ शब्दों में कहा कि वायरल वीडियो से उनका कोई संबंध नहीं है. उन्होंने इसे साजिश बताते हुए कहा कि यह उनकी छवि खराब करने की कोशिश है. पायल ने जल्दबाज़ी में प्रतिक्रिया देने के बजाय सबूतों और कानूनी रास्ते का इंतज़ार किया और यही उनकी सबसे बड़ी रणनीति साबित हुई.
महाराष्ट्र साइबर पुलिस की एंट्री
पायल की शिकायत के आधार पर महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने मामले का संज्ञान लिया और जांच शुरू की. तकनीकी जांच में वीडियो को विशेष टूल्स और डिजिटल फॉरेंसिक तकनीक से एनालाइज किया गया. जांच के दौरान जो सामने आया, उसने ट्रोल्स और अफवाह फैलाने वालों की बोलती बंद कर दी.
जांच में खुलासा: वीडियो पूरी तरह डीपफेक
महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि की कि वायरल वीडियो AI तकनीक से छेड़छाड़ कर बनाया गया डीपफेक है. वीडियो में मॉडिफिकेशन और डिजिटल मैनिपुलेशन के साफ संकेत मिले. इस निष्कर्ष के साथ ही पायल धारे का नाम पूरी तरह क्लीन हो गया और मामला अब अपराधियों की तलाश पर आ गया.
किन धाराओं में दर्ज हुई FIR
पायल की शिकायत पर FIR नंबर 52/2025 दर्ज की गई, जिसमें
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की कई धाराएं
- IT Act 2000 की धारा 67
- महिलाओं के अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986
जैसी गंभीर कानूनी धाराएं शामिल हैं. यह साफ संकेत है कि मामला सिर्फ अफवाह नहीं, बल्कि संगीन साइबर अपराध है.
ट्रोल्स के लिए सख्त संदेश
अब साइबर पुलिस उन लोगों की पहचान में जुटी है, जिन्होंने वीडियो बनाया, अपलोड किया या फैलाया. यह केस एक मिसाल बन सकता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर की गई बदनामी भी अब सज़ा से नहीं बचेगी. पायल गेमिंग का यह कदम सिर्फ अपनी साख बचाने की लड़ाई नहीं, बल्कि उन सभी के लिए चेतावनी है जो डीपफेक और अफवाहों के जरिए किसी की ज़िंदगी बर्बाद करने को “मजाक” समझते हैं.