क्या अब आपकी हवाई यात्रा भगवान भरोसे? संसद की स्टैंडिंग कमेटी का चौंकाने वाला खुलासा, 10 प्वाइंट में जानें
Parliament Standing Committee Report On Civil Aviation Security: देश की हवाई सेवा को लेकर कराए गए एक अध्ययन के अनुसार अहमदाबाद शहर की 10 प्रतिशत आबादी एयर ट्रैफिक से प्रभावित है. पिछले 10 साल में भारत में हवाई यात्रियों की संख्या दोगुनी हो गई है, लेकिन सुरक्षा स्टाफ में 50 प्रतिशत तक की कमी आई है. यानी हवाई सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है.;
गुजरात के अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद मार्च 2025 में संसद में नागरिक उड्डयन को लेकर स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट एक बार फिर चर्चा में हैं. रिपोर्ट में समिति ने हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा पहलुओं पर गंभीर चिंता जताई है. समिति ने बताया है कि देश में उड़ानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जबकि इसके मुकाबले सुरक्षा और निगरानी तंत्र की स्थिति पहले की तुलना में बहुत खराब है. जानें संसद की स्थायी समित की रिपोर्ट में और क्या है?
1. संसद की स्थायी समिति ने मार्च 2025 में पर्यटन, संस्कृति और नागरिक उड्डयन पर 375वीं रिपोर्ट सदन में पेश की थी. रिपोर्ट के अनुसार कई छोटे हवाई अड्डों पर स्थायी एयर ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिसर (एटीसीओ) नहीं हैं.
2. देश के कैटेगरी-सी एयरपोर्ट पर एक ही एटीसीओ से राडार सर्विलांस, रनवे क्लीयरेंस और मौसम रिपोर्टिंग के काम कराए जा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब रनवे की निगरानी करने वाले भी पर्याप्त न हों, तो एविएशन सेफ्टी किस्मत के भरोसे ही माना जा सकता है.
3. उत्तराखंड के केदारनाथ, तेजू और नादिरगुल एयरपोर्ट्स पर उड़ानें पूरी तरह विजुअल कंट्रोल पर चल रही हैं. केदारनाथ में चार दिन पहले तक एक दिन में 250 से ज्यादा हेलिकॉप्टर उड़ानें हुईं. वहां कोई फिक्स्ड एटीसीओ नहीं है.
4. नादिरगुल एक ट्रेनिंग एयरफील्ड है. वहां प्रशिक्षु पायलट्स के 53 प्रतिशत खाली हैं. कुल बजट 65 करोड़ है.
5. देश में एटीसीओ की 20-25 प्रतिशत कमी हैं. डीजीसीए में 53 प्रतिशत, बीसीएएस में 35 प्रतिशत और एएआई में 17 प्रतिशत पद खाली हैं. ये तीनों इकाइयां देश की विमानन सुरक्षा और जांच की रीढ़ हैं. इनका कुल बजट सिर्फ 65 करोड़ रु.है.
6. कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार डीजीसीए को 30 करोड़, एएआई को 20 करोड़ और बीसीएएस को 15 करोड़ रु. मिले हैं. यह तब है जब 2025 तक देश में 220 हवाई अड्डों का संचालन प्रस्तावित है. साल 2014 में यह संख्या 74 थी.
7. तेजू एयरपोर्ट पर उड़ानों का नियंत्रण सिर्फ विजुअल फ्लाइंग रूल्स पर निर्भर है. साल 2017 में घोषित रिमोट एटीसी टावर योजना भी पायलट चरण में अटकी है. जबकि इसका उद्देश्य छोटे हवाई अड्डों पर एटीसी संचालन को केंद्रीकृत और डिजिटल बनाना था.
8. अहमदाबाद, मुंबई, कोलकाता और दिल्ली जैसे शहरों में एयरपोर्ट के चारों ओर घनी बस्तियां, दुकानें और होटल हैं। बेल्जियम के रिसर्चर्स की 2022 की स्टडी के अनुसार, मुंबई एयरपोर्ट दुनिया का सबसे 'एनक्लोज्ड' यानी चारों ओर से घिरा हुआ एयरपोर्ट है.
9. मुंबई एयरपोर्ट देश के कुल हवाई यातायात का 25 प्रतिशत संभालता है. यहां 1,000 से ज्यादा इमारतें उड़ान पथ में बाधा हैं. कोर्ट के आदेश से टूटी तो कुछ ही हैं, लेकिन सैकड़ों नई इमारतें बन गईं.
10. अहमदाबाद एयरपोर्ट जमीन की सबसे ज्यादा कमी वाले एयरपोर्ट्स में से एक है. इसके बावजूद 2040 तक यात्री क्षमता 4 करोड़ करने की योजना है. एक अध्ययन के अनुसार अहमदाबाद शहर की 10 प्रतिशत आबादी एयर ट्रैफिक से प्रभावित है. पिछले 10 साल में भारत में हवाई यात्रियों की संख्या दोगुनी हो गई है. मगर सुरक्षा स्टाफ में 50 प्रशित तक की कमी आई है.