पाकिस्‍तान बना चीनी हथियारों का 'कब्रिस्‍तान', Operation Sindoor ने कहीं का न छोड़ा

भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने सिर्फ आतंक के अड्डों को नहीं उड़ाया, बल्कि पाकिस्तान की फौजी ताकत की सच्चाई भी दुनिया के सामने रख दी. महज 100 घंटे की इस निर्णायक कार्रवाई ने दिखा दिया कि चीनी हथियारों पर टिका पाकिस्तान का रक्षा ढांचा कितना खोखला, जर्जर और टेक्नोलॉजी के लिहाज से पिछड़ा हुआ है. पाकिस्तानी सिस्टम जहां भारतीय SCALP मिसाइलों और HAMMER बमों को पकड़ भी नहीं पाया, वहीं भारत के राफेल, अकाश मिसाइल और स्वदेशी ड्रोन विरोधी सिस्टम्स ने दुश्मन को पस्त कर दिया.;

Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 13 May 2025 2:55 PM IST

भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न केवल पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, बल्कि उसके पूरे रक्षा तंत्र की पोल भी खोल दी है. चार दिनों तक चले इस जवाबी अभियान में भारत ने न केवल आतंकवादियों को नेस्तनाबूद किया, बल्कि पाकिस्तानी सेना की ‘चीनी ताकत’ को भी मिट्टी में मिला दिया.

जिन मिसाइलों, ड्रोन्स और राडार सिस्टम्स पर पाकिस्तान अपनी सुरक्षा का दावा करता था, वे भारतीय तकनीकी हमलों के सामने या तो नाकाम रहे या फिर मैदान में आकर खुद ही गिर गए.

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की फौज आज एक ऐसी सेना बन चुकी है, जो लगभग पूरी तरह चीन के सस्ते लेकिन घटिया दर्जे के हथियारों पर टिकी हुई है. करीब 81 प्रतिशत हथियारों की आपूर्ति चीन से होती है, लेकिन ये सभी सिस्टम वे नहीं हैं जो चीन अपनी सेना के लिए इस्तेमाल करता है. पाकिस्तान को दिए जाने वाले अधिकांश सिस्टम्स डाउनग्रेडेड होते हैं – सीमित रेंज, कम सटीकता और कमजोर सुरक्षा क्षमताओं के साथ. उदाहरण के लिए, HQ-9P एयर डिफेंस सिस्टम जो पाकिस्तान को दिया गया है, उसकी अधिकतम रेंज 125 किलोमीटर है, जबकि चीन के HQ-9B सिस्टम की रेंज 250 से 300 किलोमीटर तक जाती है. यही अंतर युद्ध के मैदान में जानलेवा साबित हुआ.

चीनी सिस्टम - सस्ते, घटिया और सीमित क्षमता वाले

पाकिस्तान का रक्षा ढांचा अब लगभग पूरी तरह चीन पर निर्भर है. लेकिन उसे जो सिस्टम मिलते हैं, वे चीन की अपनी सेना वाले नहीं, बल्कि डाउनग्रेडेड वर्जन होते हैं. उदाहरण के तौर पर, HQ-9P एयर डिफेंस सिस्टम की अधिकतम रेंज 125 किमी है, जबकि चीन के HQ-9B की 250–300 किमी होती है. इसी कारण भारतीय SCALP और HAMMER जैसी स्मार्ट मिसाइलें इनसे बच निकलने में कामयाब रहीं.

SEAD ऑपरेशन से उड़ा दिया पूरा एयर डिफेंस नेटवर्क

भारत के SEAD (Suppression of Enemy Air Defense) मिशन के तहत पाकिस्तानी एयर डिफेंस के राडार नोड्स को टारगेट कर सिस्टम को पंगु कर दिया गया. पाकिस्तान का डिफेंस नेटवर्क न केवल गैर-लयबद्ध था, बल्कि उसमें कोई बैकअप या लेयर्ड डिफेंस सिस्टम नहीं था. यही वजह रही कि एक के बाद एक पाकिस्तानी सिस्टम ध्वस्त होते चले गए.

JF-17 बनाम राफेल - युद्ध में कौन भारी?

पाकिस्तान का चीनी JF-17 फाइटर जेट, भारत के राफेल के सामने टिक ही नहीं पाया. JF-17 में KLJ-7A रडार है जिसकी डिटेक्शन क्षमता कम है, जबकि राफेल में अत्याधुनिक RBE2-AA AESA रडार लगा है. इसके अलावा राफेल के Meteor मिसाइल की 200 किमी रेंज ने पाकिस्तान की PL-15E मिसाइल (145 किमी रेंज) को बेमानी बना दिया.

ड्रोन युद्ध में भी पाकिस्तान की बुरी हार

पाकिस्तान के Wing Loong II और CH-4 ड्रोन, जो चीन से खरीदे गए थे, भारतीय Akash SAM और SMASH-2000 सिस्टम के आगे टिक नहीं सके. कमजोर स्टील्थ, कम गति और सीमित ऑपरेशनल रेंज के कारण ये ड्रोन या तो मार गिराए गए या क्रैश हो गए. युद्ध के दौरान ड्रोन मिशन फेल होना पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका रहा.

बजट भी छोटा, मेंटेनेंस भी लचर

भारत का रक्षा बजट करीब 86 बिलियन डॉलर यानी करीब 6.5 लाख करोड़ रुपये है, जबकि पाकिस्तान का महज 10.2 बिलियन डॉलर. इसके चलते पाकिस्तान के पास न तो पर्याप्त टेक्निशियन हैं और न ही सिस्टम मेंटेनेंस की ठोस व्यवस्था. नतीजा ये हुआ कि कई सिस्टम ऑपरेशन के दौरान डाउन रहे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ Wing Loong ड्रोन टेक्निकल फॉल्ट के कारण खुद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गए.

ट्रेनिंग में भी पिछड़ा पाकिस्तान

जहां भारतीय राफेल पायलट्स फ्रांस में रीयल-टाइम मिशन पर ट्रेनिंग लेकर लौटे हैं, वहीं पाकिस्तान के अधिकांश पायलट सिमुलेटर्स तक सीमित रहे. इससे ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी पर सीधा असर पड़ा और पाकिस्तान की एयरफोर्स असल युद्ध-परिस्थितियों में बुरी तरह विफल रही.

चीनी हथियारों की असलियत आई सामने

ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखा दिया कि पाकिस्तान जिस चीनी हथियार शक्ति का प्रचार करता है, वह दिखावटी है. चीन ने कभी पाकिस्तान को J-20 जैसे एडवांस्ड फाइटर जेट्स नहीं दिए. पाकिस्तान आज भी आउटडेटेड सिस्टम और घटिया टेक्नोलॉजी पर निर्भर है, जबकि भारत ने रूस, फ्रांस, अमेरिका और स्वदेशी तकनीक का मिलाजुला सुरक्षा कवच तैयार किया है – जो रणनीतिक रूप से कहीं ज्यादा प्रभावी और भरोसेमंद है.

भारत की नीति अब सिर्फ जवाब नहीं, परिणाम देती है

ऑपरेशन सिंदूर भारत की नई रक्षा नीति का प्रतीक है, जहां सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि परिणाम दिया जाता है. पाकिस्तान को अब समझ लेना चाहिए कि सिर्फ चीनी हथियारों के पोस्टर लगाकर सुरक्षा नहीं होती; असली ताकत तकनीक, ट्रेनिंग और आत्मनिर्भरता में है और इस मोर्चे पर भारत अब अजेय बनता जा रहा है.

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