Begin typing your search...

Inside Story | युद्ध तो हम जीत जाते… फिर भारत ने क्यों किया Ceasefire

22 अप्रैल को 26 भारतीयों की हत्या का बदला ऑपरेशन सिंदूर से लिया गया, लेकिन जब पाकिस्तान झुक चुका था, भारत ने अचानक युद्ध रोकने का ऐलान क्यों किया? इस सीज़फायर के पीछे की कहानी सिर्फ राजनयिक नहीं, सामरिक भी है… और शायद डरावनी भी

Inside Story | युद्ध तो हम जीत जाते… फिर भारत ने क्यों किया Ceasefire
X

22 अप्रैल, कुछ दरिंदों ने धर्म पूछकर 26 टूरिस्ट मार गिराए, बदले में भारत ने 7 -8 मई की रात में ऑपरेशन सिन्दूर को अंजाम दिया, पाकिस्तान में आतंकी बेस को उड़ा दिया गया. देश गर्व और सुकून का जश्न मना रहा था, लेकिन तभी तिलमिलाए आतंकिस्तान ने हमला करना शुरू किया. भिखारियों की फ़ौज ने नाकाम कोशिश की लेकिन कुछ कर नहीं पाए. हमारे सुदर्शन चक्र यानी कि S-400 एयर डिफेन्स सिस्टम ने उन सभी ड्रोन और मिसाइल का खात्मा कर दिया जो भारत की ओर आये. साथ ही पाकिस्तान एयर फोर्स के फाइटर जेट्स भी ढेर कर दिए गए. पूरी दुनिया देख रही थी की भारत अब बुद्ध को छोड़ रणविजय अर्जुनावतार में आ गया है.

देशभर में चर्चाएं थी - "नहीं बचेगा पाकिस्तान". भारत ने घर में घुसकर उनके कई एयर बेस उड़ाए जिसकी पुष्टि इंडियन आर्म्ड फोर्सेज और मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स ने भी की. वहां बैठे खाट तोड़ रहे कई आतंकी आका हूरों के पास पहुंचा दिए गए. 9 मई रात 8-9 बजे के बाद जब वहां से हमले हुए भारत ने उनको याद दिला दिया - वालिद उनका भारत ही है.

अब ऐसा लग रहा था की युद्ध छिड़ चुका है, लेकिन अगले दिन बड़ी अम्मा बनकर कूद पड़े ट्रम्प चाचा. बोले सीज़फायर करो, और भारत ने सीज़फायर डिक्लेअर कर दिया. मंत्रालय ने बयान दिया कि पाकिस्तान के DGMO से कॉल आया और अब हम शांति चाहते हैं इसलिए सीज़फायर कर रहे हैं. उससे पहले इसहाक डार ने कहा - हम पीछे हटने को तैयार हैं.

सोशल मीडिया पर जो जनता मोदी की पीठ थपथपा रही थी अब आलोचना शुरू हो गई, कि ट्रम्प के ट्वीट से झुक गया भारत? लेकिन सवाल ये उठता है कि जब भारत ने पाकिस्तान की गर्दन पकड़ ली थी तो पीछे क्यों हटा? क्या हम अमेरिका से डर गए? क्या हम सच में ट्रम्प के कहने से रुके या कुछ और?

अब टाइमलाइन देखिए: 9th May, रात 9 बजे – इंडिया ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा मिलिट्री एक्शन लिया. 10th May आधी रात में 1:30 बजे – Pakistan में अर्थक्वैक, लेकिन लोग पूछने लगे - नेचुरल? ये सवाल है. 10th May, सुबह 8 बजे – National Command Authority पाकिस्तान बुलाता है इमरजेंसी नुक्लेअर मीटिंग, जिसे बाद में इंटरनेशनल मीडिया से डिनाय कर देता है. 10th May, दोपहर 12 बजे – भिखमंगे पाकिस्तान को IMF एक और भीख की किश्त देता है. उसी दिन भारत एक्ट ऑफ़ वॉर में एक नई चीज़ ऐड करता है, कि आंतकी घुसपैठ अब युद्ध को न्योता होगा.

और फिर दुनिया की बड़ी अम्मा बनने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प शाम 5:33 बजे ट्वीट करते हैं: FULL AND IMMEDIATE CEASEFIRE.

जिसके बाद भारत भी सीज़फायर की घोषणा करता है.

और फिर... Ceasefire.

हालांकि कुत्ते की दुम और उस जैसे मानचित्र वाले पाकिस्तान पर भरोसा करना मूर्खता होती है और उसी रात आतंकिस्तान ने ये फिर साबित किया, सीज़फायर तोड़कर. लेकिन ट्रम्प फिर आ गए एक और ट्वीट के साथ जिसमें लिखा था:

.. Millions of good and innocent people could have died!...

अब यहां सवाल उठता है: Millions of good and innocent people could have died? कहां? स्ट्राइक या मिलिट्री ऑपरेशन में?

11 मई को जब DGMO की प्रेस कांफ्रेंस हुई तो बातों-बातों में DGMO ने कहा: "हम पाकिस्तान का 'कोई भी' बेस उड़ाने में केपेबल हैं!"

फिर योगी कहते हैं - ऑपरेशन सिंदूर में दिखी ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत, नहीं देखी तो पाकिस्तानियों से पूछ लेना.

तो क्या वो भूकंप नेचुरल था? या स्ट्रैटर्जिक स्ट्राइक का कोलैटेरल ट्रेमर?

क्या भारत ने एक हाई प्रिसिजन स्ट्राइक के बाद उसे "एक्ट ऑफ गॉड" कहा? क्या पाकिस्तान के नुक्लेअर बंकर तक पहुंच गई थी ब्रह्मोस? क्या ट्रम्प को भी डर था कि कहीं मामला हाथ से ना निकल जाए?

या फिर सबकुछ प्लान के मुताबिक था — भारत ने दिखाया शक्ति, पाकिस्तान ने मांगी भीख, IMF ने डाली रकम, अमेरिका ने किया डैमेज कंट्रोल, और भारत ने कहा: अब बहुत हुआ, तुम्हें छोड़ा नहीं… बस फिलहाल के लिए छोड़ा है.

अब सोचिए:

अगर पाकिस्तान ने NCA (National Command Authority) की मीटिंग बुलाई, तो क्या सिर्फ जवाबी बयानों के लिए?

क्या रात 1:30 बजे भूकंप 'natural' था?

क्या ट्रम्प को सच में इंडिया-पाक की इतनी चिंता है?

क्या भारत ने सच में पूरा nukes-ready लॉजिक चला दिया था?

क्या वो millions की बात सिर्फ फालतू थी?

या फिर…

क्या ब्रह्मोस मिसाइल के शोर से ज़मीन कांपी थी?

क्या ऑपरेशन सिंदूर का कोलैटरल इफेक्ट पूरे पाकिस्तान में दर्ज हुआ था?

और आखिर में...

11 मई की DGMO प्रेस कांफ्रेंस में साफ-साफ कहा गया—हम पाकिस्तान के “कोई भी” बेस उड़ाने में सक्षम हैं. योगी ने कहा—“ब्रह्मोस की ताकत देखनी है तो पाकिस्तानियों से पूछो.”

तो फिर...

भूकंप था?

या गूंज थी उन वारहेड्स की जो नीचे से निकले?

ट्रम्प का “Millions could have died” ये उस आग की भनक थी जो अगर भारत ने अगले कुछ घंटों तक बरसाई होती, तो पाकिस्तान के 4-5 शहर सिर्फ नक़्शे से नहीं, satellite image से भी मिटा दिए जाते.

क्योंकि अगली बार… शांति का ढोंग नहीं, सिर्फ सनातनी प्रहार होगा.

अब ये सब इत्तेफाक है? या स्ट्रैटेजिक मास्टरप्लान का हिस्सा?

सोचिए… जवाब ढूंढिए… और सवाल पूछते रहिए… क्योंकि युद्ध अब सिर्फ बंदूकों से नहीं, ट्विटर, ट्रुथ सोशल और ब्रह्मोस से भी लड़ा जाता है.

अगला लेख