'न खाना-पानी, न बाथरूम, पुलिस अधिकारी ने...', झूठे केस में 3 सप्ताह जेल में रहीं वसुंधरा ओसवाल ने सुनाई आपबीती
भारतीय मूल के अरबपति पंकज ओसवाल की बेटी वसुंधरा ओसवाल ने अपनी गिरफ्तारी और हिरासत के दौरान युगांडा पुलिस द्वारा किए गए दुर्व्यवहार को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा कि उन्हें बिना वारंट के गिरफ्तार किया गया और अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा.;
Who is Vasundhara Oswal: भारतीय मूल के अरबपति और ओसवाल ग्रुप के मालिक पंकज ओसवाल की बेटी वसुंधरा ओसवाल को बीते साल कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी के अपहरण और हत्या के आरोप में युगांडा पुलिस ने हिरासत में लिया था. हालांकि, करीब तीन हफ्ते बाद, 21 अक्टूबर को उन्हें रिहा कर दिया गया. जिसके बाद हाल ही वसुंधरा ओसवाल ने मीडिया को इंटरव्यू देते हुए आपबीती सुनाई है तो आइए इस खबर में विस्तार से जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा है.
भारतीय मूल के अरबपति पंकज ओसवाल की बेटी वसुंधरा ओसवाल ने अपनी गिरफ्तारी और हिरासत के दौरान युगांडा पुलिस द्वारा किए गए दुर्व्यवहार को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा कि उन्हें बिना वारंट के गिरफ्तार किया गया और अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा.
वसुंधरा ने क्या कुछ कहा?
वसुंधरा कई सप्ताहों के जेल में रहने के बाद PTI से बात करते हुए कहा कि, मुझे पांच दिनों तक हिरासत में रखा गया. फिर दो सप्ताह के लिए जेल में डाल दिया गया और मुझे नहाने तक नहीं दिया गया. इसके साथ ही मुझे भोजन और पानी से वंचित कर दिया गया था. इतना ही नहीं मेरे माता पिता को बुनियादी जरूरतें पूरी करने के पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ी थी.
वसुंधरा ओसवाल के अनुसार, युगांडा पुलिस ने बिना किसी कानूनी नोटिस के उनके परिसर पर छापा मारा और उन्हें जबरन हिरासत में ले लिया. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अधिकारियों से तलाशी वारंट दिखाने की मांग की, तो उन्हें जवाब मिला – "हम युगांडा में हैं, हम कुछ भी कर सकते हैं. तुम अब यूरोप में नहीं हो. उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने इस मनमाने व्यवहार का विरोध किया, तो एक पुरुष पुलिस अधिकारी ने उन्हें जबरन खींचकर पुलिस वैन में डाल दिया.
वसुंधरा के अनुसार, युगांडा पुलिस ने बिना किसी वारंट के उनके परिसर पर छापा मारा और उन्हें जबरन हिरासत में ले लिया. जब उन्होंने अधिकारियों से तलाशी वारंट दिखाने की मांग की, तो उन्हें जवाब मिला .'हम युगांडा में हैं, हम कुछ भी कर सकते हैं. तुम अब यूरोप में नहीं हो.'
उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने इस अन्यायपूर्ण व्यवहार का विरोध किया, तो एक पुरुष पुलिस अधिकारी ने जबरन उन्हें पुलिस वैन में डाल दिया. हिरासत में उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और उन्हें बिना किसी आपराधिक वकील के बयान देने के लिए मजबूर किया गया.
30,000 डॉलर की जबरन वसूली और कोर्ट के आदेश के बाद भी हिरासत
वसुंधरा ने बताया कि उन्हें 30,000 डॉलर का भुगतान करने और पुलिस बांड के लिए अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन फिर भी उन्हें वापस सेल में डाल दिया गया. चौंकाने वाली बात यह थी कि युगांडा की अदालत ने उनकी बिना शर्त रिहाई का आदेश दिया था, फिर भी उन्हें अवैध रूप से 72 घंटे तक हिरासत में रखा गया.
झूठे आरोप और पैसे ऐंठने का आरोप
सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि 10 अक्टूबर को जिस पूर्व कर्मचारी मेनारिया को अपहरण का शिकार बताया जा रहा था, वह जीवित पाया गया, लेकिन इसके बावजूद मामला खारिज नहीं किया गया. इसके बजाय, युगांडा पुलिस ने आरोपों को अपहरण से बढ़ाकर हत्या के प्रयास में बदल दिया और उन्हें जेल में रखा.
19 दिसंबर को खत्म हुआ मामला, लेकिन अन्याय की लड़ाई जारी
वसुंधरा को तीन हफ्तों की कानूनी लड़ाई के बाद 21 अक्टूबर को जमानत मिल गई, लेकिन उनका पासपोर्ट 10 दिसंबर को लौटाया गया और मामला 19 दिसंबर तक खारिज नहीं हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्ट अधिकारियों ने जानबूझकर केस को लंबा खींचा ताकि वे अधिक पैसे ऐंठ सकें.
युगांडा सरकार से न्याय की मांग
वसुंधरा अब युगांडा सरकार को उनके अन्यायपूर्ण उत्पीड़न के लिए जवाबदेह ठहराना चाहती हैं. उन्होंने कहा -"हमने वर्षों से युगांडा में निवेश किया है, और बदले में हमें इस तरह का व्यवहार झेलना पड़ा. यह युगांडा सरकार पर निर्भर है कि वह अपनी गलतियों को सुधारे. उनका मामला युगांडा में पुलिस भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ वैश्विक चिंता बढ़ा रहा है, और अब वे कानूनी विकल्पों की समीक्षा कर रही हैं.