नाज़िया इलाही खान से इंडिगो स्टाफ ने की बदतमीजी, कहा- इंडिगो कर दे ब्लैकलिस्ट, चुप नहीं बैठूंगी | Video

मुंबई एयरपोर्ट पर इंडिगो स्टाफ के साथ कथित दुर्व्यवहार का आरोप लगाने के बाद BJP की अल्पसंख्यक नेता नाज़िया इलाही खान ने एयरलाइन पर तीखा हमला बोला है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद खान ने इंडिगो को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर वह चाहे तो उन्हें उड़ानों से ब्लैकलिस्ट कर दे, क्योंकि वह चुप नहीं रहेंगी. उन्होंने एयरलाइन की भर्ती नीति और कर्मचारियों के व्यवहार पर गंभीर आरोप लगाए, जबकि उनके कुछ बयानों और भाषा को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना भी हुई. इंडिगो की ओर से अब तक कोई विस्तृत आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.;

( Image Source:  X/ElahiNazia1 )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 23 Dec 2025 10:38 AM IST

मुंबई एयरपोर्ट पर एक कथित विवाद अब सिर्फ एयरलाइन स्टाफ से झड़प तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने राजनीति, पहचान और भाषा के बेहद संवेदनशील मुद्दों को भी छू लिया है. भारतीय जनता पार्टी की अल्पसंख्यक नेता Nazia Elahi Khan द्वारा IndiGo पर लगाए गए उत्पीड़न के आरोप कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया बहस, राजनीतिक बयानबाज़ी और तीखे शब्दों के तूफान में बदल गए.

इस पूरे विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह महज़ एक यात्री और एयरलाइन के बीच का मामला है, या फिर इसे जानबूझकर एक वैचारिक और सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है. वीडियो, आरोप, पलटवार और चुनौती हर कदम ने इस मामले को और जटिल बना दिया है, जहां तथ्यों से ज्यादा सुर्खियों और शब्दों पर बहस होती दिख रही है.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें 

उत्पीड़न के आरोप से शुरू हुआ विवाद

नाज़िया इलाही खान ने दावा किया कि Chhatrapati Shivaji Maharaj International Airport पर इंडिगो स्टाफ ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. उनके अनुसार, यात्रा के दौरान जानबूझकर उन्हें असुविधा में डाला गया और स्टाफ का व्यवहार सामान्य पेशेवर मानकों से हटकर था. उन्होंने कहा कि इस घटना ने उन्हें मानसिक तनाव दिया और यह कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि “समन्वित रवैया” था.

वीडियो वायरल, बहस तेज

सोमवार को नाज़िया खान ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें वह एयरपोर्ट के टारमैक पर इंडिगो स्टाफ के साथ तीखी बहस करती दिखीं. वीडियो में आवाज़ें ऊंची होती हैं और माहौल तनावपूर्ण नजर आता है. यह क्लिप देखते ही देखते वायरल हो गई और सोशल मीडिया पर दो धड़ों में बहस छिड़ गई—एक पक्ष एयरलाइन स्टाफ के व्यवहार पर सवाल उठाता दिखा, तो दूसरा पक्ष खान की भाषा और लहजे की आलोचना करता नजर आया.

‘ब्लैकलिस्ट कर दीजिए’

वीडियो सामने आने के कुछ ही घंटों बाद नाज़िया खान ने एक और पोस्ट कर इंडिगो को सीधी चुनौती दे डाली. उन्होंने कहा कि अगर एयरलाइन चाहे तो उन्हें हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट कर दे, क्योंकि वह चुप बैठने वाली नहीं हैं. इस बयान ने विवाद को व्यक्तिगत शिकायत से आगे ले जाकर संस्थागत और वैचारिक टकराव में बदल दिया.

एयरलाइन की भर्ती नीति पर आरोप

खान ने अपने पोस्ट और वीडियो में यह भी आरोप लगाया कि इंडिगो में बड़ी संख्या में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति की जा रही है और एयरलाइन का “झुकाव” एक खास समुदाय की ओर है. उन्होंने यह तक कहा कि या तो एयरलाइन अपने कर्मचारियों को “नियंत्रित” करे या फिर ऐसी नियुक्तियां बंद करे. यह आरोप सामने आते ही मामला भेदभाव और सांप्रदायिक संवेदनशीलता के दायरे में चला गया.

विवादित शब्दों से बढ़ा तनाव

वीडियो के आखिरी हिस्से में खान द्वारा इस्तेमाल किए गए कुछ शब्द जिनमें कर्मचारियों को “अब्दुल” और “अब्दुल्ला” कहकर संबोधित किया गया ने तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया. कई यूज़र्स और टिप्पणीकारों ने इसे अनुचित और अपमानजनक बताया, जबकि समर्थकों का तर्क था कि खान भावनात्मक दबाव में थीं. इस बिंदु पर बहस आचरण बनाम प्रतिक्रिया की तरफ मुड़ गई.

धमकियों का दावा

नाज़िया खान ने यह भी दावा किया कि उन्हें पोस्ट हटाने के लिए धमकियां मिल रही हैं, जिनमें पाकिस्तान से जुड़े संदेशों का भी जिक्र किया गया. हालांकि इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि किसी भी दबाव के बावजूद वह अपने बयान वापस नहीं लेंगी. इससे विवाद और अधिक राजनीतिक रंग लेता चला गया.

इंडिगो की चुप्पी, सवाल बरकरार

अब तक इंडिगो एयरलाइंस की ओर से न तो आरोपों पर विस्तृत जवाब आया है और न ही वायरल वीडियो पर कोई आधिकारिक सफाई. एयरलाइन की यह चुप्पी भी चर्चा का विषय बन गई है. कुछ इसे तथ्यों की जांच की प्रक्रिया बता रहे हैं, तो कुछ इसे जवाबदेही से बचने की रणनीति मान रहे हैं.

तीन मोर्चों पर टकराव

यह पूरा प्रकरण अब तीन स्तरों पर बहस का कारण बन चुका है. पहला, यात्री अधिकार और एयरलाइन का व्यवहार; दूसरा, सार्वजनिक मंच पर इस्तेमाल की जाने वाली भाषा और उसकी सीमाएं; और तीसरा, किसी व्यक्तिगत घटना का राजनीतिक और सांप्रदायिक फ्रेम में बदल जाना. आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि क्या यह मामला कानूनी या प्रशासनिक जांच तक पहुंचेगा, या फिर सोशल मीडिया की बहस में ही सिमटकर रह जाएगा.

Similar News