बोलो जुबां केसरी... मुंबई की नई मेट्रो हुई गुटखे के दाग से रंगीन, वायरल पोस्ट पर यूजर ने कहा- राज्यों से बंटे, थूक से जुड़े
भारत की बड़ी शहरों में मेट्रो ट्रेनें रोज़ लाखों लोगों को तेज़ सफर कराती हैं. यह लोगों के समय की बचत के लिए एक भरोसेमंद ऑप्शन है और अक्सर इसे साफ-सुथरे रखने के लिए सराहा जाता है, लेकिन हाल ही में मुंबई में नई मेट्रो लाइन पर कुछ और ही नजारा देखने को मिला. मेट्रो पर लोगों ने गुटखा थूका हुआ था.;
भारत के प्रमुख शहरों में मेट्रो ट्रेनें आज लाखों लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी हैं. सफर को तेज़, आसान और साफ-सुथरा बनाने का वादा करने वाली ये मेट्रो सर्विस अक्सर अपनी साफ-सफाई के लिए तारीफ पाती हैं, लेकिन अफसोस, कुछ लोगों की आदतें इतने सख्त नियम और कैमरे के बावजूद बदलती नज़र नहीं आ रही हैं.
दरअसल मुंबई की नई मेट्रो लॉन्च होते ही चर्चा में आ गई है, लेकिन इस बार वजह साफ-सुथरी सुविधा नहीं बल्कि प्लेटफॉर्म पर दिखाई देने वाले गुटखे के दाग हैं. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें मेट्रो को गुटखे से रंगीन किया गया है.
मुंबई मेट्रो: नई लाइन पर लगा गुटखा के दाग
मुंबई मेट्रो की एक्वा लाइन को शुरू हुए अभी चंद दिन ही बीते थे, लेकिन एक यात्री की शेयर की हुई तस्वीर ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया. प्लेटफॉर्म पर गुटखा की पीक से बने दाग दिख रहे थे. एक्स पर की गई पोस्ट की फोटो के कैप्शन में लिखा है 'मुंबई मेट्रो लाइन-3 दिन. राज्यों से बंटे, थूक से जुड़े.' लोगों ने इस तस्वीर को देखकर नाराजगी जताई और सवाल उठाया कि आखिर नियम-कायदे, सुरक्षा बल और सीसीटीवी कैमरे होने के बावजूद ये लापरवाही क्यों होती है?
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
यह पोस्ट जमकर वायरल हुआ, जिस पर एक यूजर ने बताया कि लाइन -7 पर भी गुटखे के दाग दिखे. वहीं, एक दूसरे शख्स ने कमेंट करते हुए कहा ' ऐसे लोगों के लिए जुर्माना और सज़ा तय होनी चाहिए और सीसीटीवी की मदद से उन्हें पकड़ कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.' वहीं कुछ लोगों ने कहा कि 'समाज में बुनियादी नागरिक शिष्टाचार लागू कराना सरकार के लिए राजनीतिक रूप से मुश्किल है, इसलिए इसका समाधान निकालने की इच्छा कम दिखाई देती है.'
आखिर कब बदलेंगे हम?
यह घटनाएं बताती हैं कि चाहे मुंबई हो, पटना या देश का कोई भी शहर, कुछ बुरी आदतें हमें एक कर देती हैं. जरूरत है कि हम सभी मिलकर, सरकार, प्रशासन और आम नागरिक, अपनी सोच और व्यवहार में बदलाव लाएं. अधिकार का उपयोग जिम्मेदारी के साथ कैसे हो, यही असल चुनौती है.नया मेट्रो स्टेशन हो या पुरानी सड़क, हर सार्वजनिक जगह की स्वच्छता के लिए जवाबदेही सिर्फ किसी एक की नहीं, बल्कि हम सबकी है. शायद इसी सोच के साथ, एक दिन हम भारत को सच में क्लीन इंडिया बना सकेंगे.