मां गंगा का मायका है मुखवा, जहां पहुंचे पीएम मोदी, 5 किमी दूर ही है 'मिनी स्विट्ज़रलैंड'; जानें खास बातें
मुखवा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक पवित्र गांव है, जिसे मां गंगा का मायका कहा जाता है. सर्दियों में गंगोत्री मंदिर के बंद होने पर मां गंगा की मूर्ति यहीं लाई जाती है. यह स्थान हर्षिल घाटी के पास है और प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक शांति के लिए प्रसिद्ध है. यहीं पर पीएम मोदी ध्यान करेंगे.;
मुखवा गांव को गंगोत्री धाम का शीतकालीन निवास माना जाता है, जहां मां गंगा की पूजा और धार्मिक अनुष्ठान पूरे बारह माह चलते हैं. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी पावन स्थान पर स्थित गंगा मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करेंगे, जिससे इस ऐतिहासिक स्थल की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है. इसे मां गंगा का मायका भी कहा जाता है.
उत्तरकाशी से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर, गंगोत्री हाईवे पर स्थित हर्षिल से करीब 3 किलोमीटर आगे बसा मुखवा गांव अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है. यह स्थल अनादिकाल से मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल रहा है. माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक 'मुखीमठ' यहीं स्थित है. इस मान्यता के कारण यह स्थान केवल एक गांव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बन चुका है, जहां भक्तगण हर मौसम में मां गंगा के दर्शन कर सकते हैं.
बेटी की तरह होती है विदाई
गंगोत्री धाम के तीर्थपुरोहित भी इसी पवित्र गांव से आते हैं, जो इस स्थान की पौराणिकता को और अधिक प्रामाणिकता प्रदान करता है. जब ग्रीष्मकाल में अक्षय तृतीया के अवसर पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुलते हैं, तो मां गंगा की भोग मूर्ति को विशेष अनुष्ठानों के साथ मुखवा गांव के गंगा मंदिर से गंगोत्री ले जाया जाता है, मानो बेटी की विदाई हो रही हो. इसी प्रकार, जब शीतकाल में गंगोत्री धाम के कपाट बंद होते हैं, तो शोभायात्रा के साथ मां गंगा की भोग मूर्ति को मुखवा के गंगा मंदिर में वापस लाया जाता है, जिससे इस गांव की धार्मिक परंपराएं पुनः जीवंत हो उठती है.
मुखवा में घूमने की जगहें
- गंगा मंदिर मुखवा: यह मंदिर गंगोत्री मंदिर का शीतकालीन निवास है. यहां मां गंगा की मूर्ति को रखा जाता है और भक्तों को गंगोत्री के समान दर्शन और पूजा का अवसर मिलता है.
- गंगोत्री धाम: मुखवा से लगभग 20 किमी दूर इस जगह को गंगा नदी का उद्गम स्थल माना जाता है. यहां भागीरथ शिला, पांडव गुफा और सूर्य कुंड भी दर्शनीय स्थल हैं.
- हरसिल घाटी: मुखवा से 5 किमी दूर इस खूबसूरत हिल स्टेशन को 'मिनी स्विट्ज़रलैंड' भी कहा जाता है. यहां की शांति, हरियाली, और भागीरथी नदी का किनारा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है.
- सतोपंथ झील: यह एक अलौकिक झील है, जिसे पवित्र माना जाता है. यह झील बद्रीनाथ धाम के रास्ते में पड़ती है और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन ट्रेकिंग स्पॉट है.
- नेलांग घाटी: यह घाटी भारत-तिब्बत सीमा के पास स्थित है और साहसिक यात्रा करने वालों के लिए बहुत आकर्षक जगह है. यहां ठंडी हवाएं, बर्फीली चोटियां और तिब्बती शैली की संरचनाएं देखने को मिलती हैं.
- दयारा बुग्याल: यह उत्तराखंड के सबसे सुंदर बुग्यालों (घास के मैदानों) में से एक है. सर्दियों में यह स्थान स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध है और गर्मियों में ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त रहता है.
- नचिकेता ताल: यह एक बेहद सुंदर झील है जो चारों तरफ से घने जंगलों से घिरी हुई है. यह स्थान आध्यात्मिक शांति और ट्रेकिंग के लिए अच्छा माना जाता है.
- गंगानी हॉट स्प्रिंग्स: यह प्राकृतिक गर्म पानी के कुंड हैं, जो गंगोत्री जाते समय मार्ग में आते हैं. यात्री यहां स्नान करके खुद को ताजगी और आराम का अनुभव करा सकते हैं.
मुखवा कैसे पहुंचें?
मुखवा गांव उत्तरकाशी जिले में भटवारी के पास स्थित है और गंगोत्री धाम से लगभग 20 किलोमीटर पहले पड़ता है. यह सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और आप उत्तरकाशी या हरिद्वार से बस/टैक्सी लेकर यहां पहुंच सकते हैं.