बीयर का हर घूंट आपको ले जाता है कैंसर की ओर: शराब पीने की नहीं होती कोई सेफ लिमिट

टाटा मेमोरियल सेंटर की नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि शराब की कोई भी मात्रा सुरक्षित नहीं है. रोज़ाना सिर्फ कुछ घूंट बीयर पीने से भी मुंह के कैंसर का खतरा 59% तक बढ़ सकता है. तंबाकू के साथ शराब लेने पर यह जोखिम 346% तक पहुंच जाता है. भारत में मुंह का कैंसर तेजी से फैल रही घातक बीमारी है, जिसमें हर साल हजारों लोगों की जान जाती है.;

( Image Source:  Sora AI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
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अगर आप यह सोचते हैं कि “थोड़ी-सी बीयर” या “कभी-कभार एक ड्रिंक” सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं होती, तो यह खबर आपको डरा सकती है. टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC) की एक नई और बड़ी स्टडी ने साफ चेतावनी दी है कि शराब की मात्रा चाहे जितनी कम हो, वह मुंह के कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है. यह रिसर्च इस बात की ओर इशारा करती है कि शराब पीने की कोई भी मात्रा पूरी तरह सुरक्षित नहीं मानी जा सकती.

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TMC के कैंसर एपिडेमियोलॉजी यूनिट द्वारा किए गए इस अध्ययन के मुताबिक, जो लोग रोजाना औसतन सिर्फ 2 ग्राम अल्कोहल (लगभग कुछ घूंट बीयर) लेते हैं, उनमें मुंह के कैंसर (Buccal Mucosa Cancer) का खतरा उन लोगों की तुलना में 59% अधिक पाया गया, जो बिल्कुल शराब नहीं पीते.

यह भारत का पहला बड़ा अध्ययन है, जिसमें गाल और होंठों की अंदरूनी परत (Buccal Mucosa) में होने वाले कैंसर और शराब के बीच सीधा संबंध खोजा गया है.

भारत में गंभीर समस्या है मुंह का कैंसर

Buccal Mucosa Cancer भारत में स्तन कैंसर के बाद दूसरा सबसे आम कैंसर है. आंकड़ों के मुताबिक हर साल करीब 1.40 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं और करीब 80 हजार लोगों की जान जा रही है. और स्थिति इतनी गंभीर है कि इस कैंसर से पीड़ित 100 में से 57 मरीज पांच साल के भीतर दम तोड़ देते हैं. स्टडी में सामने आया कि सिर्फ तंबाकू चबाने से खतरा 200% बढ़ जाता है जबकि सिर्फ शराब पीने से खतरा 76% बढ़ता है. लेकिन शराब और तंबाकू दोनों साथ लेने पर खतरा 346% तक पहुंच जाता है. जो लोग रोजाना एक गिलास से ज्यादा शराब पीते हैं और तंबाकू भी चबाते हैं, उनमें मुंह के कैंसर का खतरा लगभग 5 गुना बढ़ जाता है.

लोकल शराब सबसे ज्यादा खतरनाक

रिसर्च में यह भी पाया गया कि बिना रेगुलेशन वाली देसी शराब सबसे ज्यादा खतरनाक है. अध्ययन में शामिल शराबों में अल्कोहल की मात्रा:

  • बीयर: 5%
  • व्हिस्की/वोडका: 40%
  • बंगला (बंगाल में प्रचलित): 60%
  • ठर्रा (उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में): 90%

जो लोग देसी शराब पीते हैं, उनमें कैंसर का खतरा 87%, जबकि रेगुलेटेड शराब पीने वालों में 72% पाया गया.

डेटा क्या कहता है?

शोधकर्ताओं ने 1,803 कैंसर मरीजों और 1,903 स्वस्थ लोगों के शराब पीने के पैटर्न, मात्रा, अवधि और प्रकार का विश्लेषण किया. कुल मिलाकर, शराब पीने वालों में मुंह के कैंसर का खतरा 68% ज्यादा पाया गया और यह खतरा बहुत कम मात्रा से ही शुरू हो जाता है. स्टडी की लीड रिसर्चर डॉ. शरायु म्हात्रे के मुताबिक, “जितनी ज्यादा शराब, उतना ज्यादा खतरा - यह पैटर्न बिल्कुल साफ है. एथेनॉल मुंह की अंदरूनी परत को कमजोर करता है, जिससे तंबाकू के कैंसरकारी तत्व आसानी से अंदर घुस जाते हैं.” TMC के निदेशक डॉ. राजेश दीक्षित ने कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि ‘मॉडरेट ड्रिंकिंग’ भी सुरक्षित नहीं है, खासकर देसी शराब के मामले में.

WHO भी दे चुका है चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2023 में ही साफ कहा था कि शराब की कोई भी मात्रा सेहत के लिए सुरक्षित नहीं है. WHO के मुताबिक, यूरोप में शराब से जुड़े आधे कैंसर मामले हल्की या मध्यम शराब पीने से ही होते हैं. यह अध्ययन एक सख्त चेतावनी है. बीयर की एक घूंट भी, अगर आदत बन जाए, तो जानलेवा साबित हो सकती है. शराब और तंबाकू से दूरी ही मुंह के कैंसर को रोकने का सबसे कारगर तरीका है.

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