वकीलों को फ्री में लड़ना होगा केस, जरूरतमंद की करनी होगी मदद; जल्द जारी होगी नई गाइडलाइन

कानून मंत्रालय ने इंटरनल रिपोर्ट में जारी की है. इस रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हुए हैं. वहीं मंत्रालय की ओर से सुझाव पेश किया गया. जानकारी के अनुसार वकीलों को उन लोगों का केस मुफ्त में लड़ना होगा जो वकीलों की फीस का भुगतान नहीं कर सकते. हालांकि इसके लिए उन्हें मंत्रालय की ओर से सर्टिफिकेट दिया जाएगा.;

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Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 23 Feb 2025 3:57 PM IST

भारत के कानून मंत्रालय ने इंटरनरल रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कई बड़े खुलासा किए गए है. जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 80 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्हें मुफ्त सहायता मिलनी चाहिए. लेकिन उन्हें मुफ्त सहायता मिल नहीं रही या फिर किसी कारण मिल नहीं पा रही. रिपोर्ट जारी होने के बाद मंत्रालय ने कुछ सुझाव भी दिए हैं.

मंत्रालय का कहना है कि देश में हर वकील को एक साल में एक ऐसे व्यक्ति का केस फ्री में लड़ना चाहिए. इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए. दरअसल ऐसे सुझाव को पेश करने का मकसद जो लोग वकील की फीस नहीं दे सकते उनकी मदद करना है. मंत्रालय ने कहा कि इससे लाखों लोगों की मदद होगी.

एक केस फ्री में लड़े वकील

केंद्रीय कानून मंत्रालय की ओर से ऐसी गाइडलाइन तैयार करने पर काम किया जा रहा है जिसमें सभी वकीलों को एक बार किसी व्यक्ति का केस फ्री में लड़ना होगा. इस गाइडलाइंस के तहत सभी वकीलों के लिए गरीब और जरूरतमंद लोगों की कानूनी मदद करना अनिवार्य किया जाए, ताकि ऐसे लोगों को फ्री कानूनी मदद मिल सके.

मिनिस्ट्री ऑफ लॉ जारी करेगा गाइडलाइन

आपको बता दें कि मिनिस्ट्री ऑफ लॉ मंत्रालय की ओर से वरिष्ठ वकील, एक्सपर्ट्स, लीगल सर्विस ऑथोरिटी के अधिकारियों से इस गाइडलाइन पर सुझाव लिए जा चुके हैं. इन्हीं सुझावों के तहत एक गाइडलाइन तैयार की जा रही है. जानकारी के अनुसार जल्द ही इसका ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया जाएगा. जिसे पब्लिक डोमेन में रखा जाने वाला है. जब ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा तो इसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास भेजा जाएगा.

70 प्रतिशत कैदी कर रहे इंतजार

कानून मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार इंटरुल रिपोर्ट में कहा गया कि देश में इस समय 4 लाख से ज्यादा कैदी जेल में हैं. इसमें 70 प्रतिशत कैदी ऐसे हैं जिनके मामले पेंडिंग है. इस कारण वो जेल में सजा काट रहे हैं. बताया गया कि ऐसे पेंडिंग केस में 90 प्रतिशत ऐसे कैदी हैं जिन्हें कानूनी सहायता मुफ्त मिलनी चाहिए, लेकिन उन्हें नहीं मिल पा रही.

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