लद्दाख के 'Druk Padma Karpo' स्कूल को CBSE से मिली मान्यता, जानें फिल्म '3 Idiots' से क्या है कनेक्शन

3 Idiots Ladakh School: रैंचो स्कूल अपनी अनोखी पढ़ाई के तरीकों के लिए पहले से ही मशहूर था, यहां बच्चों की स्किल्स पर बेस्ड पढ़ाई कराई जाती है. अब इसे इसे CBSE से मान्यता मिल गई है. अब स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ाया जा रहा है और 2028 तक क्लास 11 और 12 शुरू करने का प्लान है. इसके लिए टीचरों की ट्रेनिंग भी हो रही है ताकि CBSE के सिलेबस में आसानी से बदलाव किया जा सके.;

( Image Source:  canava )

Ladakh School: बॉलीवुड एक्टर आमिर खान की साल 2009 में आई ब्लॉकबास्टर फिल्म '3 इडियट्स' तो आपने देखी ही होगी. यह फिल्म स्टूडेंट्स और युवाओं की पसंदीदा फिल्मों में शामिल है. खास बात कर है कि फिल्म में लद्दाख का 'Druk Padma Karpo School' स्कूल दिखाया गया था, जिसे लोग 'रैंचो का स्कूल' भी कहते हैं. 3 इडियट्स के रिलीज होने के बाद यह स्कूल काफी पॉपुलर हो गया था. अब इससे जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है.

लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में बसे 'रैंचो के स्कूल' नाम से फेमस इसे CBSE से मान्यता मिल गई है. लंबे समय से इसके लिए अप्लाई किया गया था. कई बार देरी और रिजेक्शन के बाद आखिरकार मान्यता मिल गई. अब तक यह स्कूल जम्मू-कश्मीर स्टेट बोर्ड (JKBOSE) से जुड़ा था.

क्यों फेमल है रैंचो स्कूल?

रैंचो स्कूल स्कूल अपनी अनोखी पढ़ाई के तरीकों के लिए पहले से ही मशहूर था, यहां बच्चों की स्किल्स पर बेस्ड पढ़ाई कराई जाती है. बता दें कि जब नई शिक्षा नीति (NEP) का आइडिया भी नहीं आया था, तभी स्कूल में सबसे अलग बच्चों को शिक्षा दी जाती रही है. अब यहां पर कक्षा 12 तक पढ़ाई बढ़ाने की तैयारी की जा रही है.

मीडिया से बात करके हुए स्कूल की प्रिंसिपल मिंगुर अंगमो ने कहा, कई सालों की देरी के बाद हमें CBSE की मंजूरी मिल गई है. हमारे क्लास 10 के पहले बैच के बच्चे अब अपने CBSE बोर्ड रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पास अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर था, शानदार रिजल्ट्स थे और पढ़ाई के नए तरीके भी थे, फिर भी JKBOSE से 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' (NOC) नहीं मिल पा रहा था.

किस आधार पर मिलती है मान्यता?

किसी भी स्कूल को CBSE से मान्यता पाने के लिए अपने राज्य बोर्ड से NOC चाहिए होता है. विदेशों में स्कूलों को भारत के एंबेसी या कांसुलेट से ऐसा ही दस्तावेज चाहिए होता है. जब लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश भी नहीं बना था, तभी से यह स्कूल मंजूरी पाने की कोशिश कर रहा था. अब स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ाया जा रहा है और 2028 तक क्लास 11 और 12 शुरू करने का प्लान है. इसके लिए टीचरों की ट्रेनिंग भी हो रही है ताकि CBSE के सिलेबस में आसानी से बदलाव किया जा सके.

स्कूल के नाम का रहस्य

यह स्कूल करीब 24 साल पुराना है और इसका नाम एक बड़े विद्वान 'मिफाम पद्मा करपो' (1527-1592) के नाम पर रखा गया है. 'पद्मा करपो' का मतलब स्थानीय भाषा बोथी में 'सफेद कमल' होता है. लद्दाख के कई स्कूल अभी भी जम्मू-कश्मीर बोर्ड से जुड़े हैं. यह स्कूल अब टूरिस्ट्स के बीच भी काफी पॉपुलर हो गया है. फिल्म '3 इडियट्स' के आखिरी सीन में जो दीवार दिखती है, वह इसी स्कूल की दीवार थी. 2010 में बाढ़ के बाद उस इमारत का हिस्सा खराब हो गया था, और अब स्कूल ने पहली मंजिल पर लकड़ी के स्ट्रक्चर बनाए हैं, जो लद्दाख की खासियत है.

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